मानसून सत्र में रोजगार अधिकार विधेयक लाने की मांग को लेकर संयुक्त युवा मोर्चा ने लिखा विपक्षी दलों को पत्र

अनुच्छेद 39 में उल्लेख है कि संसाधनों व संपदा पर नागरिकों का अधिकार है, लेकिन मोदी सरकार की नीतियों से इस पर कारपोरेट्स का एकाधिकार बढ़ता जा रहा है, जोकि अभूतपूर्व रोजगार संकट की एक प्रमुख वजह है.....

Update: 2023-07-29 11:01 GMT

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लखनऊ। मानसून में रोजगार अधिकार विधेयक लाने की मांग को लेकर संयुक्त युवा मोर्चा ने विपक्षी दलों को पत्र लिखा है। पत्र में मांग की गयी है कि विपक्षी दल देशभर में सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े एक करोड़ पदों को पारदर्शी तरीके से तत्काल भरने, नियमित नौकरियों में आउटसोर्सिंग व ठेका प्रथा पर रोक लगाने, जनता के लिए उपयोगी शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंक, बीमा, रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट, बिजली-कोयला जैसे क्षेत्रों में निजीकरण बंद करने के मुद्दे को संसद में उठायें, जिससे बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिले।

संयुक्त युवा मोर्चा केंद्रीय टीम की ओर से युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने विपक्ष को यह पत्र लिखा है। पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीआई महासचिव डी, राजा, जदयू के नीतीश कुमार, राजद के तेजस्वी यादव, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व डीएमके प्रमुख स्टालिन, आम आदमी पार्टी संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवत मान, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे आदि प्रमुख विपक्षी दलों के अध्यक्ष व नेताओं को ट्विटर व ईमेल द्वारा पत्र प्रेषित कर रोजगार अधिकार विधेयक को संसद के चल रहे मानसून सत्र में लाने की अपील की गयी है।

संयुक्त युवा मोर्चा द्वारा तैयार किए गए रोजगार अधिकार विधेयक के प्रारूप को भी राजनीतिक दलों को भेजा गया है। पत्र में यह भी जिक्र किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 39 व 41 और अनुच्छेद 21 की व्याख्या में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गरिमामय रोजगार सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है।

संयुक्त युवा मोर्चा द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि अनुच्छेद 39 में उल्लेख है कि संसाधनों व संपदा पर नागरिकों का अधिकार है, लेकिन मोदी सरकार की नीतियों से इस पर कारपोरेट्स का एकाधिकार बढ़ता जा रहा है, जोकि अभूतपूर्व रोजगार संकट की एक प्रमुख वजह है। इससे मोदी सरकार की नीतियों के विरुद्ध युवाओं में आक्रोश है। हर साल दो करोड़ रोजगार देने की बात कौन कहे, इधर 9 वर्षों में रोजगार के अवसरों में भारी गिरावट आई है। इसके विरुद्ध संयुक्त युवा मोर्चा ने देशव्यापी रोजगार अधिकार अभियान शुरू किया है। 

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