Uttar Pradesh : जानिए BJP के सत्ता में वापसी से हताश बेरोजगार युवक ने क्यों जलाए अपने सर्टिफिकेट?
करहल निवासी शीलरतन बोध का कहना है कि भाजपा सरकार के पांच साल के शासनकाल में काफी प्रयास के बावजूद नौकरी नहीं मिली। आगामी पांच साल में मेरी नौकरी की उम्र निकल जाएगी। ऐसे में पांच साल बाद सर्टिफिकेट लेकर क्या करूंगा।
मैनपुरी। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ( Yogi Government ) की दोबारा सत्ता में वापसी के नकारात्मक असर के संकेत अभी मिलने लगे हैं। करहल से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। इसमामले में मैनपुरी ( mainpuri News ) जिले के करहल निवासी एक युवक ( unemployed youth ) विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) की जती से इतना गमजदा हो गया कि उसने अपने साथ सर्टिफिकेट ( Certificates ) आग के हवाले कर दिया। युवक का कहना है कि भाजपा सरकार के पहले पांच साल के शासनकाल के दौरान काफी प्रयास के बावजूद नौकरी नहीं पा सका। अब सत्ता में दोबारा से भाजपा आ गई है। आगामी पांच साल में मेरी नौकरी की उम्र निकल जाएगी। ऐसे में पांच साल बाद भी सर्टिफिकेट का क्या करूंगा।
दरअलस, दसवीं ओर 12वीं का प्रमाण पत्र जलाने वाले युवक का नाम शीलरतन बोध है। उसकी उम्र 32 साल है। वह मैनपुरी जिले के करहल क्षेत्र का रहने वाला है। उसने भाजपा की जीत के बाद अपने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के शैक्षणिक प्रमाण पत्र जला दिए।
शीलरतन ने बोध ने चुनाव से पहले कहा था कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद उसे नौकरी मिलने की उम्मीद नहीं है। कंप्यूटर सेंटर चलाने वाले शीलरतन बोध ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) सरकार बनाएंगे। ऐसा होने पर मुझे नौकरी मिलेगी, लेकिन भाजपा दोबारा सत्ता में लौट आई है। तय है अगले पांच वर्षों में 37 साल का हो जाऊंगा। यानि सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन भी नहीं कर पाऊंगा।
सरकारी नौकरी न मिलने प्रबल संभावना से निराश युवक ने कहा कि मैं चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आने के बाद से ही परेशान था। नौकरी नहीं मिलने की डर से मैंने अपने शैक्षणिक प्रमाणपत्र जला दिए हैं। युवक का कहना है कि ऐसा केवल मैं ही नहीं हूं, ढेरों छात्र हैं जो सरकारी नौकरी की उम्मीद खो चुके हैं। इसी वजह भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वैकेंसी नहीं आना है।
शीलरतन बोध करहल प्रखंड कार्यालय के सामने स्थित अपने कंप्यूटर सेंटर में नौकरी एवं प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की सहायता करते हैं। उसे जरूरी परामर्श और सेवा भी प्रदान करते हैं। उनका एक छोटा सा स्टेशनरी का दुकान है।
बता दें कि 2011 में एक सड़क दुर्घटना में शीलरतन के दोनों पैर क्षतिग्रस्त हो गए थे। मुझे ठीक होने में चार साल से अधिक का समय लगा। दुर्घटना की वजह से 2012 से 2017 के दौरान अखिलेश यादव सरकार के दौरान सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सका। अब उन्हें अपने 26 वर्षीय स्नातक भाई की भी चिंता सताने लगी है। शीलरतन के पिता करहल में होम्योपैथी मेडिसिन सेंटर चलाते हैं।