योगी के यूपी में ICDS विभाग में गलत तरीके से विकलांग, बीमार और छोटे बच्चों वाली सुपरवाइजर महिलाओं का ट्रांसफर, और भी कई गंभीर आरोप
महिला उन्नति, समृद्धि और स्वावलंबन की बड़ी बातें प्रदेश में हो रही हैं, लेकिन महिलाओं के विभाग आईसीडीएस में न्यूनतम अधिकार भी शासन-प्रशासन के द्वारा नहीं दिए जा रहे हैं....
लखनऊ । हमारे संविधान का अनुच्छेद 19 देश में अभिव्यक्ति की आजादी देता है और संगठन बनाने और उसे चलाने का अधिकार देता है। कर्मचारी संगठन बुनियादी रूप से कर्मचारियों का जो गुस्सा और समस्या है उसे सूत्रबद्ध करते हैं और शासन प्रशासन के संज्ञान में लाते हैं, ताकि उनका समाधान हो सके और विभागेय कार्य शांति से पूर्ण होते रहे, लेकिन एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) विभाग पर मौजूदा समय में इस शांति को भंग करने के आरोप लग रहे हैं। आईसीडीएस (Integrated Child Development Services) सुपरवाइजर एसोसिएशन ने अपने विभाग पर गंभीर आरोप लगाये हैं।
पत्रकार वार्ता में आईसीडीएस सुपरवाइजर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि कर्मचारी आंदोलन का चौतरफा दमन किया जा रहा है। जानबूझकर साजिश के तहत नियम विरुद्ध स्थानातंरण किए गए हैं, यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अशुभ है। ऐसी स्थिति में विभाग को दमनकारी नीति वापस लेनी चाहिए और आईसीडीएस में नियम विरुद्ध किए गए सुपरवाइजर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के ट्रांसफर को वापस लिया जाए। यदि विभाग इस दिशा में कार्यवाही नहीं करता तो मजबूरी में हमें 1 अगस्त से अनिश्चतकालीन धरना करना पड़ेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी विभाग की होगी।
आईसीडीएस सुपरवाइजर्स एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष रेनू शुक्ला और महामंत्री शशिकांता ने कहा कि पिछले 14 वर्षों से विभाग में सुपरवाइजर्स की पदोन्नति लम्बित है प्रभारी बनाकर सुपरवाइजर्स का शोषण किया जा रहा है और एसीपी का भी लाभ नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार की ट्रांसफर नीति में कहा गया कि पदाधिकारी बनने के 2 वर्ष की अवधि तक ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके सुपरवाइजर्स एसोसिएशन के प्रांतीय पदाधिकारियों समेत जिला स्तरीय पदाधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि एक वर्ष पूर्व ही सुपरवाइजर एसोसिएशन का चुनाव हुआ है जिसके बारे में विभाग को पूर्व मे सूचना दी गई है।
विकलांग, बीमार और छोटे बच्चों की माताओं वाली सुपरवाइजरों का भी ट्रांसफर कर दिया गया है। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी ट्रांसफर नीति के विरुद्ध है। स्थानांतरण नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि पूरे प्रदेश में जो एक ही स्थान पर सबसे ज्यादा समय से है, उसका स्थानांतरण पहले किया जाए किंतु विभाग द्वारा ऐसा न करके मात्र लखनऊ और उसके आसपास के जिलों से स्थानांतरण किए गए और महज कर्मचारी नेताओं के उत्पीड़न के लिए की गई कार्यवाही है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए।
पिछले एक हफ्ते से पूरे प्रदेश की मुख्य सेविकाओं द्वारा काली पट्टी बांधकर सरकार का ध्यानाकर्षण कराया जा रहा है और मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन भी भेजे गए, लेकिन अभी तक विभाग ने उनकी मांगों के संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की है इसलिए यह फैसला लिया गया है कि 1 अगस्त को लखनऊ में इंदिरा भवन पर अनिश्चितकालीन घरना किया जाएगा। एसोसिएशन ने सभी कर्मचारी संगठनों से दमनकारी नीतियों के विरुद्ध लोकतंत्र व शांति के लिए शुरू हो रहे सत्याग्रह आंदोलन का समर्थन करने और शामिल होने की अपील भी की।
पदाधिकारियों का कहना है कि महिला उन्नति, समृद्धि और स्वावलंबन की बड़ी बातें प्रदेश में हो रही हैं, लेकिन महिलाओं के विभाग आईसीडीएस में न्यूनतम अधिकार भी शासन—प्रशासन के द्वारा नहीं दिए जा रहे हैं। वर्षों से सुपरवाइजर के एसीपी और पदोन्नति की मांग उठाई जा रही है, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। इसी तरह से विभाग की अन्य महिला कार्मिकों के न्यूनतम सवाल भी हल नहीं किए जा रहे हैं। परिणामतः महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है।
पत्रकार वार्ता में अर्चना वर्मा, ममता यादव, सुघा अग्निहोत्री, सुमन देवी, सरिता चैधरी, रश्मि सिंह, निरूपमा, संगीता उमराव, अनिता गौतम, स्मिता, सुधा मौर्या, शशी सिंह आदि पदाधिकारी शामिल रहे।