एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में योगेंद्र यादव 10 अगस्त को पहुंचेंगे आजमगढ़ के खिरियाबाग

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना करके हवा हवाई सूचनाएं जारी करती है, सरकार को जान लेना चाहिए कि अगर किसान जमीन नहीं देगा तो उसकी सहमति के बगैर जबरन जमीन नहीं ले सकते....

Update: 2023-07-18 12:51 GMT

आजमगढ़ एयरपोर्ट के खिलाफ खिरिया बाग संघर्ष के 2 महीने पूरे, जुलूस निकालकर छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत आयोजित

खिरिया बाग, आजमगढ़। आजमगढ़ में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ किसानों मजदूरों का 287वें दिन से धरना जारी है। दिल्ली के ऐतिहासिक किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव 10 अगस्त को किसानों मजदूरों के धरने के समर्थन में खिरिया बाग, आजमगढ़ पहुंचेंगे।

किसानों मजदूरों ने कहा कि खिरिया बाग के किसानों मजदूरों की लड़ाई देशव्यापी हो गई है। पूर्वांचल के किसानों को इस आंदोलन ने आशा दिलाई है। पूर्वांचल का छोटा किसान फसलों के दामों को लेकर संगठित हुआ तो पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब के किसानों समेत पूरे देश के किसान आंदोलन को व्यापकता मिलेगी।

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना करके हवा हवाई सूचनाएं जारी करती है। सरकार को जान लेना चाहिए कि अगर किसान जमीन नहीं देगा तो उसकी सहमति के बगैर जबरन जमीन नहीं ले सकते।

धरने में अवधेश यादव, राजेश सरोज, अशोक राम, शशिकांत उपाध्याय, पुष्पा राजभर, अर्जुन कुमार, बिंदु यादव, सुनीता, मीना, एडवोकेट संदीप उपाध्याय, जटाशंकर, हरिवंश यादव, नीलम, किस्मती, फूलमती, सुनील, सीता यादव, नंदलाल यादव, रविन्द्र यादव, प्रेमचंद्र, भारती, प्रमोद कुमार, बलराम यादव, संदीप यादव, आत्मा यादव, रामाधार यादव, राम प्रवेश यादव, नंदू यादव, डब्लू, रामचंद्र, अजय यादव, आदि मौजूद रहे।

गौरतलब है कि एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ आंदोलनरत किसानों—मजदूरों ने जिलाधिकारी आज़मगढ़ से 30 दिसंबर 2022 को जिलाधिकारी कार्यालय में वार्ता करते हुए पूछा तो बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए 670 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के लिए सर्वे किया गया है। जब आंदोलनकारियों ने कहा हम जमीन-मकान नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य और हमसे शासन-प्रशासन ने इस बारे में कभी कोई बात नहीं कि और 12-13 अक्टूबर 2022 की दिन और रात में राजस्वकर्मी भारी पुलिस बल के साथ सर्वे करने लगे और ग्रामीण महिलाओं-बुजुर्गों को मारा-पीटा और दलित महिलाओं को जातिसूचक-महिला विरोधी गालियां भी दीं। जब जमीन नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य और कोई सर्वे नहीं हुआ। इसी के बाद से किसानों मजदूरों ने खिरियाबाग में आंदोलन शुरू कर दिया था।

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