उत्तराखण्ड में नौकरी नहीं मिलने से हताश था युवक, M.Com समेत सभी सर्टिफिकेट जला की आत्महत्या

आत्महत्या से पहले सोनू ने अपनी उम्मीदों के चिराग बने शैक्षिक प्रमाणपत्रों को जलाकर बेशर्मी की गर्त में जा चुके नीति-नियंताओं को बेरोजगार युवाओं की बैचेनी और बेबसी का सन्देश देने की कोशिश भी की...

Update: 2021-07-16 17:51 GMT

नौकरी नहीं मिलने से हताश युवक की आत्महत्या के बाद मौके पर जांच करती पुलिस और इनसेट में सोनू की फाइल फोटो 

रामनगर से सलीम मलिक की रिपोर्ट

जनज्वार। राजनीतिक दलों द्वारा जनता को रिझाने के लिए दिए गए 'अच्छे दिन' के लॉलीपॉप बेरोजगार युवाओं पर भारी पड़ रहे हैं। शिक्षा-दीक्षा के बाद भी सरकारी नीतियों के कारण तेजी से खत्म हो रहे रोजगार बेहतरीन शिक्षा-दीक्षा के बाद भी युवाओं को मौत की आगोश में धकेल रहे हैं। ऐसी ही एक और दर्दनाक जवान मौत से रू-ब-रू हुआ दुनियाभर में कॉर्बेट नेशनल पार्क की वजह से खास पहचान रखने वाला शहर रामनगर।

रामगगर में एक 24 साल के युवक को बेरोजगारी के दानव से बचने के लिए फांसी का फंदा चूमकर अपनी जान गंवानी पड़ी। युवा मौत की विद्रूप त्रासदी यह भी रही कि दुनिया छोड़ने से पहले उसने अपनी उम्मीदों के चिराग बने शैक्षिक प्रमाण-पत्रों को जलाकर बेशर्मी की गर्त में जा चुके नीति-नियंताओं को बेरोजगार युवाओं की बैचेनी और बेबसी का सन्देश देने की कोशिश भी की।

इस दुःखद हादसे का पता शुक्रवार 16 जुलाई की दोपहर उस समय चला जब एक सूचना के तहत पुलिस को खबर मिली कि थपली बाबा मज़ार के पास एक पेड़ से एक युवक की लाश लटकी पड़ी है। सूचना मिलते ही कोतवाल आशुतोष कुमार, एसएसआई जयपाल सिंह चौहान पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। मौके पर मौजूद लोगों ने मृतक की शिनाख्त 24 वर्षीय सोनू बिष्ट पुत्र उमेश बिष्ट निवासी शिल्पकार बस्ती, लखनपुर के रूप में की।

पुलिस ने मृतक के शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवाते हुए युवक की मौत की बाबत तहकीकात शुरू की तो सोनू की मौत की वजह में बेरोजगारी एक बड़ी वजह के रूप में सामने आई। बकौल कोतवाल कुमार अभी तक की प्रारंभिक जानकारी के अनुसार मृतक बेरोजगारी के चलते मानसिक अवसाद से त्रस्त था। लोगों से पता चल रहा है कि बीते दिनों मृतक सोनू ने सेना में भर्ती के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन उसका सलेक्शन नहीं हुआ था।

सेलेक्शन नहीं होने के बाद उसने अपने शैक्षिक प्रमाण-पत्र तक जला डाले थे। इसके अलावा वह कहीं नौकरी भी करता था, जो शायद किसी वजह से छूट गयी थी। इन्हीं सब वजह से सोनू मानसिक अवसाद का शिकार हो गया था। इसी अवसाद की हालत के चलते उसने पेड़ पर फांसी का फंदा लगाकर उससे लटककर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। फिलहाल परिजनों की ओर से मामले में कोई तहरीर नहीं मिली है, लेकिन अपनी ओर से पुलिस मामले की विभिन्न एंगल से जांच-पड़ताल में जुटी है।

इस घटना पर उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर जोशी कहते हैं, '24 साल का सोनू बिष्ट एक साल से बेरोजगार था। उसके पिता नहीं हैं और मां गंभीर बीमार है। कुछ समय उसने सीटीआर निदेशक के कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर का कार्य किया। बाद में उसे हटा दिया गया। वह तीन-चार बार सेना में भर्ती के लिए भी गया पर भर्ती न हो पाया। गुरुवार को वह घर से चला गया। शुक्रवार शाम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बिजरानी रेंज जंगल में उसका पेड़ से लटका शव मिला। यही हाल देश और प्रदेश के लाखों युवाओं का है। नौकरियां छूटने से युवा अवसाद में हैं। घरों में कोई व्यवस्था नहीं है। भोजन जुटा भी लिया जाए तो अन्य खर्चों के लिए भारी अभाव हो चुका है। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी हाथों के लिए काम नहीं है। हाल में कुछ युवाओं ने घर का धन लगाकर, लोन लेकर दुकानें खोली थीं अब ये दुकानें भी धड़ा-धड़ बंद होने लगी हैं। हर व्यक्ति भारी कर्ज में डूब चुका है। शातिर किस्म के लड़के नशा, चोरी, व्यभिचार, बदमाशी में लगे हैं। सामान्य युवा भारी डिप्रेशन में जी रहे हैं। हंसते-खेलते घर-परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाले युवाओं को अब मौत आसान लगने लगी है। हरियाली पर पौधे लगाने वाले नेता, घरों को उजाड़ने पर तुले हैं। यहां जंगल आबाद हो रहे और घर बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं। राजनेताओं का सत्यानाश हो।'

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