Kerala के मंदिरों में डांस कंपीटिशन के मुद्दे पर भेदभाव, 2 कलाकारों ने किया विरोध, विवाद पकड़ सकता है तूल
Kerala News : केरल के कूडलमानिक्यम मंदिर में गैर हिंदू कलाकारों को डांस परफॉर्म करने से रोकने का साथी कलाकारों ने किया विरोध।
Kerala News : केरल के कूडलमानिक्यम मंदिर ( Koodalmanikyam temple ) में गैर हिंदू कलाकारों को डांस प्रतियोगिता ( Dance competition ) में शामिल होने से रोकने पर भरतनाट्यम के दो कलाकारों ने प्रतियोगिता में शामिल होने से इनकार कर दिया है। मंदिर प्रबंधन के फैसले के विरोध और मानसिया वीपी के समर्थन में दोनों कलाकारों ने यह कदम उठाया है। दोनों ने प्रतियोगिता से अपना नाम भी वापस ले लिया है।
केरल के कूडलमानिक्यम मंदिर ( Koodalmanikyam temple ) दस दिवसीय प्रतियोगिता के लिए 800 कलाकारों का डासं परफॉर्म करने के लिए चयन किया गया है। इस प्रतियोगिता में केवल हिंदू कलाकारों को शामिल होने की इजाजत दी गई है।
चूंकि, वीपी मानसिया मुसलमान हैं। मानसिया की पहचान एक नास्तिक व्यक्ति की है। इसलिए मंदिर के अधिकारियों ने परंपराओं का हवाला देते हुए उसे प्रतियोगिता में परफॉर्म करने की इजाजत नहीं दी है। इस बात का जिक्र मानसिया ने 27 मार्च को अपने फेसबुक पोस्ट में किया है।
हैदराबाद की शास्त्रीय नृत्यांगना और शोध छात्रा अंजू अरविंद ने गुरुवार को साथी कलाकारों के साथ उनके धर्म के आधार पर हो रहे भेदभाव की निंदा की है। उन्होंने कहा नर्तकियों को सूचित किया गया है कि गैर हिंदू होने के नाते वे चुने जाने के बावजूद प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। अंजू अरविंद का कहना है कि इससे पहले ये शर्तें कभी नहीं लगाई गई। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि एक कलाकार के कला की कोई जाति या धर्म नहीं होता, मैं अपनी कला को 'हिंदू' लिखकर उस मंच पर नृत्य नहीं कर सकती। इसलिए, मैं प्रतियोगिता का बहिष्कार करती हूं।
एक अन्य नर्तकी देविका सजीवन ने भी एकजुटता दिखाते हुए प्रतियोगिता से अपना नाम वापस ले लिया है। सजीवन ने फेसबुक पोस्ट में जिक्र किया गया है कि मैं उन कलाकारों के समर्थन में खड़ी हूं जिन्हें धर्म के आधार पर प्रतियोगिता में शामिल होने से रोक दिया गया है। मैं, 24 अप्रैल को होने वाले कूडलमनिक्यम नृत्य समारोह में भाग नहीं लूंगी।
सुकुमारन को चर्च से भी है शिकायतें
इस बीच डांस परफार्मर सौम्या सुकुमारन नाम की एक अन्य कलाकार ने भी बुधवार को कहा कि उन्हें भी हिंदू जाति प्रमाण पत्र न देने की वजह से प्रतियोगिता में शामिल होने से रोक दिया गया है। सुकुमारन ईसाई धर्म से जुड़ी हैं। सौम्या सुकुमारन को अपने समुदाय से भी शिकायतें होने की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि कला का कोई धर्म नहीं होता। अगर कलाकार किसी धर्म के होते तो हम सब केवल भक्ति गीतों पर ही परफॉर्म करते। मुझे चर्च की तरफ से धार्मिक सेवाओं से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि मैंने एक हिंदू भक्ति गीत पर मंदिरों में डांस परफॉर्म किया था।
मंदिर बोर्ड के अध्यक्ष ने दिया परंपरा का हवाला
इस बारे में कूडलमणिक्यम मंदिर बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने बताया कि देवस्वम बोर्ड अधिनियम के मुताबिक गैर-हिंदू मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। ये दिशानिर्देश केरल के 90% मंदिरों पर लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर के अधिकारी उसनी नीति का पालन कर रहे हैं। इस मामले में सरकार को फैसला लेना चाहिए।
मानसिया से क्या पूछा था मंदिर पदाधिकारियों ने?
केरल कलामंडलम में भरतनाट्यम में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर मानसिया ने कहा था कि मंदिर पदाधिकारी ने पूछा था कि वायलिन वादक और कलाकार श्याम कल्याण से शादी के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया या नहीं। मेरा कोई धर्म नहीं है। मैं कहाँ जाऊँ? उसने अपने फेसबुक पोस्ट में अनुरोध किया था। उसने कहा कि वह इस अनुभव से परेशान नहीं थी, क्योंकि यह उसके साथ पहली बार नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के गुरुवायूर मंदिर ने भी एक बार उन्हें परफॉर्म करने से रोक दिया था। मानसिया का कहना है कि कला और कलाकार अब भी धर्म और जाति से जुड़े हुए हैं। यह अच्छी स्थिति नहीं है।