खून से सने नाखून सजाकर शेर बोला, देखो मैने हिंसक जानवरों को दे डाली है सजा
नवल सिंह की 3 कवितायें
1. बाकी सब मिथ्या
सच वही हैं जो उनके मुखारविंद से
लार बन टपके
भक्तों को चाहिए वो लपक ले उसे
मक्खियों की तरह
बाकी सब मिथ्या
कपोल गप्प
न्याय वही
जिस पर राजा का हाथ उठे
अन्याय हर वो
जिसे प्रजा लेने के आंदोलन करे
बाकी सब मिथ्या
कपोल गप्प
महान वही
जो नरकंकालों पर टिकाए सिहासन
दुष्ट-नीच हर वो
जिसकी ले ली गई जान
बाकी सब मिथ्या
कपोल गप्प ...
2.
जितना आसान है
खुद को राजसेवक दिखाने के लिए
सोशल मीडिया पर लिख देना
दुर्भाग्यपूर्ण...
उतना ही मुश्किल है
समझ कर होशो हवास में लिखना
इंकलाब-जिन्दाबाद...
जितना आसान है हक की आवाज
बुलन्द करने वालों को
आतंकवादी का तगमा देना...
उतना ही मुश्किल है
समझना क्रांति के विज्ञान को...
जितना आसान है
बदहवासी में कॉपी पेस्ट करना
उतना ही मुश्किल है
समझ कर समझाते हुए
सत्य का विश्लेषण करना...
आसान व मुश्किल अपनाना
खून में नहीं,
प्रगतिशील विचारों में होता है
ये विचार किसी की जागीर नहीं
दोस्त है सरफिरोशों के...
3. मैं शाकाहारी हूं. अब जंगल में अमन है
शेर के प्रवचन पर
खरगोश शर्मिंदा हो गए
जब सियारों ने चिलाहना शुरू किया
शेर शोक में है क्योंकि
जंगल में जानवर हिंसा पर उतर आए हैं
बिना जांच पड़ताल के
आत्मग्लानि में चिड़िया भी बोल उठी
शर्मनाम... निंदनीय...
मौका ताड़कर शेर ने
शर्मिंदा जानवरों का शिकार शुरू कर दिया...
शेर ने सियारों संग मिलकर
खूब शिकार किया
कई दिनों का भोजन तैयार किया
खून से सने नाखून सजा कर
शेर बोला, देखो मैने हिंसक जानवरों को
दे डाली है सजा
मैं शाकाहारी हूं...अब जंगल में अमन है...