अयोध्या की रामलीला में बुराई के दो अहम किरदारों में मुस्लिम अभिनेताओं को चुनने की क्या रही वजह
रावण और अहिरावण के किरदार अच्छाई के बीच बुराई का प्रतीक हैं, जिसमें रावण के रोल में चंद्रकांता फेम शाहबाज खान और अहिरावण का किरदार रजा मुराद ने निभाया...
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर और उसके बाद रामलीला मुख्य आकर्षण का केंद्र रही। कल विजयदशमी को रामलीला का समापन हुआ। बुराई का प्रतीक यानी रावण का एक बार फिर वध हुआ, जो पुरातन काल से चला आ रहा। तमाम नामचीन कलाकारों ने इस रामलीला में अभिनय किया था।
कई भाषाओं में प्रसारित की गई यह रामलीला जिसमें एक बात जो अधिक गौरेकाबिल रही, वह यह कि इसमें दो अहम किरदार सिर्फ मुस्लिम अभिनेताओं को ही क्यों दिए गए। यह दोनों किरदार अच्छाई के बीच बुराई का प्रतीक हैं। यह किरदार रावण तथा अहिरावण के रहे, जिसमें रावण के रोल में चंद्रकांता फेम शाहबाज खान और अहिरावण का किरदार रजा मुराद ने निभाया।
जबकि इस भव्य रामलीला में राम से लेकर शबरी तक सभी किरदारों में हिंदुओं को दिखाया गया। अयोध्या की रामलीला में सोनू नागर राम बने थे।
पहले राम की भूमिका सोनू सूद द्वारा निभाने की चर्चा थी। कहा जा रहा था कि लॉकडाउन में गरीबों के मसीहा बनकर उभरे सोनू सूद को इस भूमिका में देखकर उनके प्रशंसक बहुत खुश होंगे, मगर बाद में इस भूमिका में सोनू नागर नजर आये। खबरों के मुताबिक उन्होंने अयोध्या की रामलीला में राम की भूमिका निभाने से साफ इंकार कर दिया था।
प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कट्टर हिन्दूवादी छवि का होना माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक यह रामलीला आदित्यनाथ के दिशानिर्देशों व देखरेख में चली थी। हो यह भी सकता है कि योगी आदित्यनाथ के सजेशन से इन दो बुराई के प्रतीक वाले किरदारों में मुस्लिम कनेक्शन दिया गया हो। तो कयास यह भी हैं कि अगर योगी आदित्यनाथ नहीं तो उनके किसी विशेष सलाहकार ने उन्हें खुश करने के लिए ये सुझाव दिया अथवा करवाया हो।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक जीवन मे प्रवेश करने के बाद उनकी जो मुख्य लड़ाई रही वह हिंदुओं की अखंडता और अस्मिता के लिए रही है। ऐसा माना जाता है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ अकेले हिंदुओं की ध्वजा, पताका के वाहक हैं। आदित्यनाथ शुरुआत से ही मुस्लिम समुदाय के प्रति अपनी अलग राय और सोच रखते आये हैं, जो उनके सूबे के मुखिया बन जाने के बाद भी दिख रहा है।
गौरतलब है कि अयोध्या की ऐतिहासिक रामलीला का उर्दू समेत 14 भाषाओं में प्रसारण किया गया। रामलीला के निर्देशक सुभाष मलिक ने कहा कि दूरदर्शन, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर दिखाई जा रही रामलीला ने एक और कीर्तिमान रच दिया है, क्योंकि इसके दर्शकों की संख्या दस करोड़ पार कर गई।
कोविड-19 के नियमों के कारण लोगों को आयोजन स्थल पर आकर रामलीला देखने की अनुमति नहीं है। यह रामलीला 17 अक्टूबर को शुरू हुई थी और 25 अक्टूबर को रावण दहन के साथ इसका समापन हुआ।