RSS प्रमुख मोहन भगवत ने क्यों कहा - वर्ण-जाति व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए

समाज का हित चाहने वाले हर व्यक्ति इस बात को स्वीकार कर लें कि वर्ण और जाति व्यवस्था पुरानी सोच थी जिसे अब भूल जाना चाहिए।

Update: 2022-10-08 10:09 GMT

आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने क्यों कहा - वर्ण-जाति व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए

नई दिल्ली। विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ( RSS Chief Mohan Bhagwat ) द्वारा देश के ज्वलंत मुद्दों पर विचार व्यक्त करने के ​बाद 7 अक्टूबर को उन्होंने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा कि वर्ण ( Varna ) और जाति ( Caste ) व्यवस्था को पूरी तरह सक समाप्त कर देना चाहिए। वर्तमान दौर में इसकी कोई अहमियत भी नहीं हैं। मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) ने कहा कि समाज का हित चाहने वाले हर व्यक्ति इस बात को स्वीकार कर लें कि वर्ण और जाति व्यवस्था ( Varna and Caste system ) पुरानी सोच थी जिसे अब भूल जाना चाहिए। इससे पहले दशहरे पर उन्होंने रोजगार के लिए नौकरियों की तरफ न देखने की सलाह दी थी।

मोहन भगवत ( Mohan Bhagwat ) ने डॉ मदन कुलकर्णी और डॉ रेणुका बोकारे की किताब वज्रसुची तुंक का हवाला देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक समानता भारतीय परंपरा का एक हिस्सा था, लेकिन इसे भुला दिया गया और इसके खतरनाक परिणाम सामने आये हैं। उन्होंने कहा कि समानता के खिलाफ जो भी तत्व भेदभाव का कारण बनता है उसे बाहर कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली पीढ़ियों ने भारत सहित हर जगह गलतियां कीं। संघ प्रमुख मोहन भागवत यही पर न हीं रुके। उन्होंने कहा कि उन गलतियों को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है जो हमारे पूर्वजों ने की है।

अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं

इससे पहले आरएसएस ( RSS ) प्रमुख मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) ने कई मौलवियों के साथ बैठक और उसके बाद दिल्ली में एक मस्जिद और मदरसे का दौरा भी किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यक खतरे में नहीं हैं। हिंदुत्ववादी संगठन उनके डर को खत्म करने के लिए काम करते रहेंगे।

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सरकार बनाए आबादी नियंत्रण नीति

वहीं विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में आरएसएस ( RSS ) के स्थापना दिवस समारोह में मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) ने जनसंख्या पर अपनी बात खुलकर रखी थी। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या का संतुलन ( Polulation Control ) जरूरी है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि अपने देश में उपलब्ध संसाधन कितने लोगों को खिला सकता है, कितने लोगों का भार झेल सकता है। यह केवल देश का प्रश्न नहीं है। जन्म देने वाली माता का भी प्रश्न नहीं है। सरकार को चाहिए कि वो जनसंख्या की एक समग्र नीति बनाये, जो सभी पर एक समान तरीके से लागू हो। उसमें किसी को कोई छूट न मिले।

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