UP Assembly Election 2022 : सीपीआई माले ने योगी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, लोगों से की हक के लिए संघर्ष की अपील

सोनभद्र में वन व खनिज संपदा की लूट की कारपोरेट को छूट है। मगर वन उत्पाद पर जीवनयापन करने वाले आदिवासियों को जलावन की लकड़ी और महुआ चुनने के लिए जेलयात्रा कराई जा रही है।

Update: 2021-10-28 08:02 GMT

सोनभद्र आदिवासी नरसंहार के बाद सीपीआई माले का आंदोलन जारी।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले एक बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले ( CPI Male ) और उनके समर्थकों ने योगी सरकार ( Yogi Government ) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अगर इस पर काबू नहीं पाया गया तो वामपंथी संगठनों का यह प्रयास बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव के दौरान नुकसान का सौदा साबित हो सकता है। दरअसल, सोनभद्र के उम्भा आदिवासी नरसंहार के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा ( माले ) की तीन दिवसीय भूख हड़ताल ( Hunger Strike ) बुधवार यानि 27 अक्टूबर, 2021 से जारी है। सीपीआई माले के कार्यकर्ता और उनके समर्थक सोनभद्र जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज में सामूहिक भूख हड़ताल बैठे हैं। हड़ताल पर बैठे लोग आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।

अजय मिश्र टोनी को गिरफ्तार करे सरकार

सीपीआई माले ( CPI Male ) की मांग है कि योगी सरकार प्रदेश में वनाधिकार कानून लागू करे। आदिवासियों का उत्पीड़न रोकने के लिए सख्त कदम उठाए। वन व ग्राम समाज की भूमि पर गरीबों को अधिकार देने और लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार के षड्यंत्रकर्ता अजय मिश्र टेनी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर गिरफ्तार करे।

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वन और खनिज संपदा लूट की खुली छूट

भाकपा माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि सोनभद्र में वन व खनिज संपदा की लूट की कारपोरेट को छूट है। मगर वन उत्पाद पर जीवनयापन करने वाले आदिवासियों-गरीबों को जलावन की लकड़ी और महुआ चुनने के लिए जेलयात्रा कराई जा रही है। वनाधिकार कानून को जल-जंगल-जमीन पर आदिवासियों को अधिकार देने की जगह उनकी बेदखली का हथियार बनाया जा रहा है। कोल, बियार, मुसहर, धांगर आदि आदिवासी जातियां कानूनी रूप से आदिवासी दर्जा न पाने के कारण वैसे भी इस कानून से बाहर हो गई हैं।

सोनभद्र नरसंहार से कोई सबक नहीं सीखा

माले नेता ने कहा कि ऐसा लगता है सोनभद्र के उभ्भा आदिवासी नरसंहार से शासन-प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा है। दुद्धी, चोपन और तेलगुड़वा से लेकर घोरावल तक आदिवासियों-दलितों व गरीबों की पुश्तैनी जमीनों को दबंगों ने सर्वे सेटिलमेंट की आड़ में अपने नाम करा लिया है। वे आए दिन पुलिस प्रशासन की मदद से उन्हें कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके चलते तनाव व संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।

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संघर्ष के लिए लोगों से आगे आने की अपील

उत्तर प्रदेश में पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर अवैध खनन जारी है। फैक्ट्रियों के प्रदूषण से लोग-बाग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहरे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दूरस्थ क्षेत्र के लोगों की डायरिया व मलेरिया से मौत हो जाती है। आजादी के 75वें साल में भी गरीब जनता आवास व जीवन की मूलभूत जरूरतों से वंचित है। ऐसे में किसान, महिलाएं, मजदूर और छात्र-नौजवान अपने संघर्षों व आंदोलनों में एका बना कर ही जनविरोधी सरकार से मुक्ति और अपने अधिकारों को हासिल कर सकते हैं।

भूख हड़ताल का नेतृत्व माले राज्य समिति के सदस्य सुरेश कोल, शंकर कोल व जिला इकाई के नेता दयाराम कर रहे हैं। आंदोलन के समर्थन में महिलाएं भी अच्छी संख्या में शामिल हैं। बता दें कि सोनभद्र के उभ्भा गांव में17 जुलाई 2019 को 112 बीघे ज़मीन के लिए यहां दबंगों ने अंधाधुंध फायरिंग कर 11 आदिवासियों की जान ले ली थी। इस घटना में 25 अन्य घायल हुए थे।

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