योगी सरकार मीडिया को नियंत्रित करके लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी को करना चाहती है खत्म : पूर्व IPS का आरोप
जब से योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मुखिया के रूप में पदभार संभाला है, कम से कम 48 पत्रकारों पर शारीरिक हमला किया गया है और 66 अन्य पर मामला दर्ज किया गया है या गिरफ्तार किया गया है...
लखनऊ। योगी सरकार ने मीडिया माध्यमों की 'नकारात्मक' खबरों की जांच करने का जो आदेश दिया है, उससे स्पष्ट है कि “योगी सरकार प्रेस स्वतंत्रता को खत्म करने पर तुली है तथा आईपीएफ लगाए गए इन प्रतिबंधों का विरोध करेगी”- यह बात आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने कही है। उन्होंने आगे कहा है कि योगी सरकार इस आदेश के माध्यम से मीडिया को नियंत्रित करने तथा लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करने की कोशिश कर रही है। यह ज्ञातव्य है की योगी सरकार पर पहले भी पत्रकारों पर मुकदमों और आपराधिक कार्रवाही द्वारा मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने का आरोप लगाया जाता रहा है।
2022 में पत्रकारों पर हमले के खिलाफ समिति द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 'जब से योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मुखिया के रूप में पदभार संभाला है, कम से कम 48 पत्रकारों पर शारीरिक हमला किया गया है और 66 अन्य पर मामला दर्ज किया गया है या गिरफ्तार किया गया है।'
उल्लेखनीय है कि 2020 में, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रेस की स्वतंत्रता में गिरावट के मुद्दे को संबोधित करने और राज्य में पत्रकारों के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने का आग्रह किया था। उन्होंने आगे कहा था कि राज्य में काम करने वाले पत्रकारों को "अधिकारियों द्वारा डराने-धमकाने (और) उत्पीड़न के बाध्यकारी मामले" सामने आए हैं। ईजीआई ने ऐसे आधा दर्जन मामलों को सूचीबद्ध करते हुए कहा, "उनमें से कई को गलत आरोपों पर अनुचित तरीके से गिरफ्तार किया गया है।"
पूर्व आईपीएस ने कहा, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट योगी सरकार द्वारा मीडिया माध्यमों की 'नकारात्मक' खबरों की जांच करने का जो आदेश दिया गया है, का विरोध करता है तथा प्रेस की स्वतंत्रता बचाए रखने के लिए सभी लोकतान्त्रिक ताकतों के लामबंद होने का आवाहन करता है।