बुजुर्ग महिला के दरवाजे पर पेशाब करने के आरोपी ABVP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने एम्स मदुरई के बोर्ड मेंबर, सवालों में मोदी सरकार
शनमुगम सुब्बैया अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन पर एक बुजुर्ग महिला से अपार्टमेंट के खाली स्पेस के उपयोग को लेकर उन्हें परेशान करने के लिए उनके दरवाजे पर कचरा फेंकने व पेशाब करने का आरोप है...
मेघा कावेरी की रिपोर्ट
मदुरै। केंद्र सरकार ने मदुरै के पास बनने वाले एम्स के लिए अध्यक्ष व अन्य बोर्ड सदस्यों के नामों की घोषणा की है। घोषणा के अनुसार, जेआइएमइआर, पुड्डुचेरी के अध्यक्ष डाॅ वीएम कटोच इस नए एम्स के अध्यक्ष होंगे। इस नियुक्ति में जो सवाल उठ रहा है वह डाॅ शनमुगम सुब्बैया को बोर्ड का सदस्य बनाने को लेकर है। डाॅ सुब्बैया इस वक्त इस वक्त किलपुक मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं।
सुब्बैया हाल में एक वरिष्ठ महिला नागरिक के दरवाजे पर कचरा फेंकने और पेशाब कर कथित रूप से परेशान करने के लिए चर्चा में आए थे। वे भाजपा की छात्रा शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
हालांकि बाद में इस संबंध में की गई शिकायत को उक्त बुजुर्ग महिला के भतीजे ने वापस ले लिया। बुजुर्ग महिला के भतीजे ने तब कहा था कि उन पर शिकायत को वापस लेने के लिए काफी दबाव था। शिकायतकर्ता के अनुसार, अपार्टमेंट परिसर में खाली पार्किंग स्पेस का उपयोग करने को लेकर सुब्बैया ने महिला को परेशान करना आरंभ किया था। शिकायतकर्ता ने कहा था कि डाॅ शनमुगम सुब्बैया ने उनके दरवाजे के सामने कचरा फेंक दिया था और उसके सामने पेशाब भी किया था। शिकायत के साथ आरोप की पुष्टि के लिए सीसीटीवी फुटेल भी संलग्न किया गया था। हालांकि तब डाॅ सुब्बैया ने कहा था कि शिकायत मे ंसाक्ष्य के रूप में प्रयोग किया गया वीडिया डाक्टरेड है, यानी उसमें छेड़छाड़ की गई है।
शनमुगम की एम्स बोर्ड में नियुक्ति के केंद्र सरकार के फैसले पर कई राजनैतिक दलों और सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाया है।
वीसीके नेता व तमिलनाडु के विल्लुपुरम से सांसद डी रविकुमार ने सवाल उठाया है कि क्या यह निर्णय महिलाओं का अपमान नहीं है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है: एम्स मदुरै के सदस्य के रूप में महिला उत्पीड़न के आरोपी की नियुक्ति की गई है। क्या यह महिलाओं का अपमान नहीं है़?
तमिलनाडु के विरुधुनगर से कांग्रेस सांसद ने भी ट्वीट कर कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्द्धन ने अविश्वसनीय कार्रवाई की है। उन्होंने कहा है कि यह आदेश वापस लिया जाए और उन्हें बोर्ड से बाहर किया जाए। जब उनके द्वारा महिला के उत्पीड़न का मामला अभी भी लंबित है तो डाॅ हर्षवर्द्धन उन्हें कैसे उचित ठहरा सकते हैं।
डीएमके सांसद कानिमोझी ने भी ट्वीट कर इस नियुक्ति पर सवाल उठाया है और कहा है कि क्या यह अशोभनीय व्यवहार का समर्थन है कि भाजपा के दूसरे कैडरों के लिए भी इस तरह का व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहन है।
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस नियुक्ति पर अपनी नाराजगी प्रकट की है।
15 अक्टूबर को भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, तमिलनाडु की डाॅ एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी, चेन्नई की कुलपति डाॅ सुधा शेषायन को भी एम्स मदुरै का बोर्ड सदस्य नियुक्त किया गया है।
(मेघा कावेरी की यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में न्यूजमिनट में प्रकाशित)