कृषि विधेयक को मोदी सरकार ने राज्यसभा में किया पेश, कांग्रेस बोली - किसानों के डेथ वारंट पर हम नहीं करेंगे साइन
नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में तीन कृषि विधेयकों को पेश किया और उसे किसानों के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया है...
जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में पारित हुए दो कृषि विधेयकों को रविवार को राज्यसभा में पेश किया। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में इन दो विधेयकों को साथ वह तीसरा कृषि विधेयक भी पेश किया है जो अभी लोकसभा से पारित नहीं हो सकता है।
राज्यसभा में पेश किए बिल के नाम हैं कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन पर किसान बंदोबस्ती और सुरक्षा समझौता विधेयक 2020, कृषि सेवा विधेयक 2020। इनमें से पहला दो विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। ये तीनों विधेयक दोनों सदनों में पारित होने के बाद इस संबंध में लाए गए तीन अध्यादेशों की जगह ले लेंगे।
तीन विधेयकों का अंग्रेजी नाम (English Name of Bill) :
Farmers and Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020
Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance bill
Farm Services Bill, 2020, in Rajya Sabha
नरेंद्र सिंह तोमर ने इन विधेयकों को पेश करते हुए कहा कि लोकसभा में पारित दोनों विधयेक ऐतिहासिक हैं और यह किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा। इनके कानूनी शक्ल लेने के बाद किसान पूरे देश में कहीं भी अपना उत्पाद बेचने के लिए सक्षम हो जाएंगे। उन्होंने बिल को पेश करते हुए किसानों को आश्वस्त किया कि यह किसी भी तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ा नहीं है।
कांग्रेस ने राज्यसभा में इस बिल का विरोध किया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने मोदी सरकार के इस कृषि विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस दुर्भावनापूर्ण और बीमार समय के बिल का विरोध करती है। हम किसानों के इस डेथ वारंट पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रही है। आप कह रहे हैं कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करनी है, पर मौजूदा दर से किसानों की आय 2028 से पहले दोगुनी नहीं हो सकेगी। वादे करने के लिए आपकी विश्वसनीयता कम है।
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि कोई बाध्यता है कि सत्ता पक्ष इन विधेयकों पर बहस या चर्चा नहीं चाहता है। वो केवल इन बिलों के माध्यम से भाग रहे हैं। सरकार ने किसान संघों से इसको लेकर परामर्श भी नहीं किया है।
सत्तापक्ष के पास नहीं है खुद का बहुमत, विपक्ष की क्या है रणनीति
सत्तापक्ष के पास राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पारित करवाने के लिए बहुमत नहीं है। शिरोमणि अकाली दल इस बिल का विरोध करते हुए सरकार से बाहर हुई है, ऐसे में उसके सदस्यों को छोड़ कर 242 सदस्यीय राज्यसभा में एनडीए के पास 110 सासंद हैं, जो सामान्य बहुमत से कम है। ऐसे में उपसभापति चुनाव वाली रणनीति के जरिए बहुमत हासिल करने का प्रयास कर सकती है। उसे उम्मीद है कि अन्नाद्रमुमक, बीजद सहित 24 गैर एनडीए सांसदों का समर्थन मिलेगा।
वहीं, विपक्ष के 12 दलों ने बिल के खिलाफ एक प्रस्ताव तैयार कर सभापति वेंकैया नायडू को भेजा है और तीनों विधेयकों को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है। इस प्रस्ताव को तैयार करने वाले दलों में कांग्रेस, तृणमूल, सपा, राजद, टीआरएस, डीएमके आदि शामिल है। शिरोमणि अकाली दल ने अपने तीन राज्यसभा सांसदों को विह्प जारी कर बिल के विरोध में वोट देने को कहा है।