आपातकाल की बैठक बुलाकर बेच दी बैंक, मौतों के मातमी माहौल में बनता मोदी का महल 'सेंट्रल विस्टा'
प्रधानमंत्री के इस बंकरनुमा महल को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी इस पर चुटकी ली है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘दवाइयों की कालाबाजारी..अप्रैल में चरम पर बेरोजगारी..विदेशी मदद एयरपोर्ट पर अटकी..पर राजा जी का नया घर बन रहा है।’...
जनज्वार ब्यूरो। भारत में कोरोना की दूसरी लहर से जलती चिताओं का धुआं विदेशी मीडिया तक पहुँच रहा है। देश के मुखिया मोदी इससे बेफिक्र नजर आ रहे हैं। अदालत की भाषा यहां की मीडिया पर फिट बैठती है जो उनने केंद्र सरकार के लिए कहा था कि 'आप रेत में सिर डालकर शुतुरमुर्ग नहीं हो सकते' तो सही मायनो में भारत की मीडिया मोदी की पैरोकारी में शुतुरमुर्ग हो गई है। सवाल करना तो दूर वह रात दिन मोदी और सिर्फ मोदी की पैलगी में डटी है और लगातार देश को गुमराह करने का काम कर रही है।
बुधवार 5 मई को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए गए एक निर्णय की चर्चा मेन स्ट्रीम मीडिया में कमतर देखी गई। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में गठित आर्थिक मामलों की समिति की बैठक हुई। बैठक में समिति ने IDBI बैंक को बेचने को मंजूरी दे दी। यह वही बैंक है जो लगातार फायदे में रह रही है और सरकार को हर साल मुनाफा कमा कर देती रही है। लेकिन अब यह सरकार की नहीं, किसी प्राइवेट व्यक्ति की कंपनी की हो जायेगी।
सवाल यह है कि आखिर इस अघोषित आपातकाल के वक्त ऐसी क्या जल्दबाजी है कि सरकार IDBI को बेचना चाह रही है। तब जब देश की कैबिनेट को यह विचार करना चाहिए था कि अस्पतालों तक ऑक्सीजन कैसे पहुंचे, वह बैंक बेचने का फैसला कर रही है। तब जब गांव-गांव और शहर-शहर में अर्थियां उठ रही हैं, चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, उसको ठीक करने की जगह बैठक में बैंक बेचने का फैसला लिया जाता है। बता दें कि वर्ष 2020-21 में इस बैंक ने 1359 करोड़ रूपये का शुद्ध लाभ कमाया है।
'सेंट्रल विस्टा' प्रोजेक्ट के तौर पर चिन्हित किए नए प्रधानमंत्री आवास का काम हर हाल में 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में डेडलाइन तय कर दी है। लॉकडाउन में भी इस प्रोजेक्ट का काम न रुके इसके लिए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को आवश्यक सेवाओं के तहत रखा गया है। ऐसे वक्त में जब देश कोविड महामारी के कारण अस्पतालों, ऑक्सीजन, दवाइयों और जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं का भारी संकट झेल रहा है, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है।
प्रधानमंत्री के इस बंकरनुमा महल को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी इस पर चुटकी ली है। उन्होंने ट्वीट किया, 'दवाइयों की कालाबाजारी..अप्रैल में चरम पर बेरोजगारी..विदेशी मदद एयरपोर्ट पर अटकी..पर राजा जी का नया घर बन रहा है।' देश में सरकार है कहॉं और कौन चला रहा है....?
आपको बता दें कि इस महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को बनाने में 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन और नए केंद्रीय सचिवालय के साथ राजपथ का पूरा इलाका फिर से बनाया जा रहा है। कोविड इमरजेंसी के बीच चल रहे निर्माण कार्य पर कई विपक्षी दलों ने भी कड़ी आपत्ति जताई है बावजूद इसके प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है।