Bank Strike : बैंक स्ट्राइक का आज दूसरा दिन, ग्राहकों को करना पड़ेगा दिक्कतों का सामना

Bank Strike : सभी बैंकों के ग्राहकों को बैंको का कामकाज बंद होने की वजह से जमा और निकासी, चेक समाशोधन और लोन मंजूरी जैसी सेवाएं के ठप होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा था...

Update: 2021-12-17 04:54 GMT

बैंक स्ट्राइक का आज दूसरा दिन

Bank Strike : देश के सरकारी बैंकों के करीब नौ लाख कर्मचारियों ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में गुरुवार को दो दिन की हड़ताल शुरू की थी। आज यानी शुक्रवार 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का दूसरा दिन है। बता दें कि हड़ताल के पहले दिन देशभर में सरकारी बैंकों का कामकाज प्रभावित हुआ था। इन सभी बैंकों के ग्राहकों को बैंको का कामकाज बंद होने की वजह से जमा और निकासी, चेक समाशोधन और लोन मंजूरी जैसी सेवाएं के ठप होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल

गुरुवार के हड़ताल को देखते हुए शुक्रवार को भी बैंकों का कामकाज प्रभावित होने की आशंका है। बता दें कि यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (AIBOC), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (NOBW) सहित नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) ने बुलाई है। कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं. सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी

गुरुवार को हड़ताल

ग्राहकों को हड़ताल की जानकारी देने के साथ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंकों की कई शाखाएं गुरुवार को बंद थी। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कर्मचारी संघों ने बताया कि सरकारी बैंकों के अलावा पुरानी पीढ़ी के प्राइवेट बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कुछ कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हुए। साथ ही उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक सभी वर्ग के अधिकारी दो दिन की इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA ) के महासचिव सीएच वेंकटचलम के अनुसार हड़ताल की वजह से गुरुवार को 18,600 करोड़ रुपये के 20.4 लाख चेक से जुड़ा लेनदेन नहीं हो सका। भारतीय स्टेट बैंक सहित सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को पहले ही सूचित कर दिया था कि हड़ताल के कारण उनकी शाखाओं में सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

कई शाखाओं में प्रभावित हुआ था काम

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार वेंकटचलम ने कहा कि 'सरकारी बैंक सामान्य रूप से हमारे देश के आर्थिक विकास में और विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों तथा देश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं. सरकारी बैंकों ने कृषि, लघु व्यापार, लघु व्यवसाय, लघु उद्योग, छोटे पैमाने के उद्योगों (एसएसआई), परिवहन और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में एक अहम भूमिका निभायी है।'

साथ ही AIBOC के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के रवैये के कारण हो रहे हड़ताल से बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की एक लाख से अधिक शाखाओं का कामकाज प्रभावित हुआ है. वेंकटचलम ने कहा कि कांग्रेस, द्रमुक, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों ने हड़ताल का समर्थन किया है।

आरबीआई के कर्मचारी संघों ने भी हड़ताल का किया समर्थन

बता दें कि महाराष्ट्र में यूएफबीयू के राज्य समन्वयक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारी संघों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार महाराष्ट्र में सरकारी बैंकों के करीब 60,000 कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया। साथ ही उनका कहना है कि मुंबई के आजाद मैदान में 5,000 बैंक कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल में यूएफबीयू के समन्वयक गौतम नियोगी ने दावा किया कि राज्य में पूर्ण हड़ताल रही।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार AIBOC के महासचिव संजय दास ने कहा कि अगर सरकार सरकारी बैंकों के निजीकरण का विचार नहीं छोड़ती है तो दो दिन की हड़ताल के अलावा कई और विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से अर्थव्यवस्था के निजी क्षेत्रों को नुकसान होगा और साथ ही स्वयं-सहायता समूहों को ऋण के प्रवाह तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।

ऐसे हुआ विरोध प्रदर्शन

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार संजय दास ने कहा कि देश की करीब 70 प्रतिशत जमा राशि सरकारी बैंकों के पास है और उन्हें निजी पूंजी के हवाले करने से आम आदमी का पैसा जोखिम में पड़ जाएगा। चेन्नई में बैंक कर्मचारियों के एक वर्ग ने काला बैज पहनकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र के कदम के फैसले के खिलाफ नारे लगाए. वहीं राजस्थान की राजधानी जयपुर में बैंक कर्मचारियों ने अंबेडकर सर्किल के पास SBI कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय

बता दें कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। सरकार ने इससे पहले 2019 में IDBI में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी LIC को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।

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