Beheading for Blasphemy : मदरसा के बच्चों को सिखाया जा रहा है कि ईशनिंदा पर सिर काटने की सजा दी जानी चाहिए - Arif Mohammad Khan

Beheading for Blasphemy : मौलानाओं और मदरसों ने मुसलमानों के एक तबके को कट्टर बना दिया है। वो गैर-मुस्लिमों के प्रति नफरत करना सिखाते हैं।

Update: 2022-06-30 05:02 GMT

Beheading for Blasphemy : मदरसा के बच्चों को सिखाया जा रहा है कि ईशनिंदा पर सिर काटने की सजा दी जानी चाहिए - आरिफ मोहम्मद खान

Beheading for Blasphemy : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ( Arif Mohammad Khan ) ने ईशनिंदा को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपाल ने उदयपुर हत्याकांड ( Udaipur Murder case ) के एक दिन बाद पूर्व भाजपा प्रवक्ता Nupur Sharma के समर्थन में न केवल राजस्थान में एक दर्जी कन्हैया लाल की हत्या की निंदा की बल्कि मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, को लेकर टिप्पणी कर नया ईशनिंदा ( Beheading for Blasphemy ) के मुद्दे पर बहस को पैदा करने की कोशिश की है। साथ ही इस मामले की जांच की भी अपील की है।

बच्चों को बनाया जा रहा कट्टर

उन्होंने इस बात की जिक्र करते हुए कि इस्लामी शिक्षा हत्या के खिलाफ है। इसके बावजूद मदरसों में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है कि ईशनिंदा करने पर सिर काटने की सजा दी जानी चाहिए। खास बात यह है कि भगवान के कानून के रूप में पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि मदरसों में जो पढ़ाया जा रहा है, उसकी फिर से जांच होनी चाहिए। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि जो पहले भी मदरसों के खिलाफ सामने आ चुके हैं। ऐसी बातों का विरोध किया जाना चाहिए। ऐसी नीतियां इस्लामी शिक्षा में शामिल नहीं हैं। यह ठीक वैसे ही है जैसे जब बीमारी के लक्षण आते हैं तो हम चिंता करते हैं लेकिन गहरी बीमारी को नोटिस करने से इनकार करते हैं।

आरिफ मोहम्मद खान समय समय पर यह कहते आये हैं कि मौलानाओं और मदरसों ने मुसलमानों के एक तबके को कट्टर बना दिया है। वो गैर-मुस्लिमों के प्रति नफरत करना सिखाते हैं जिस कारण बचपन में ही दूसरे धर्मों के प्रति नफरत का भाव पनप जाता है। ऐसे में जब वो बड़े होते हैं तो हमेशा दूसरे धर्म के लोगों के प्रति सतर्क रहते हैं और संदेह के नजरिए से देखते हैं।

इस्लामी कानून और मदरसों की शिक्षा पर हो पुनर्विचार

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कानून की किताब कुरान की बुनियादी शिक्षाओं का उल्लंघन करती हैं। इस्लाम में जिहाद के अर्थ को विकृत कर दिया गया है। इस्लामी कानून कुरान से नहीं आया है। यह साम्राज्य के समय के दौरान व्यक्तियों द्वारा लिखा गया है। यह सिर काटने की वकालत करता है। मदरसों में यह कानून बच्चों को पढ़ाया जाता है इसलिए यदि उन्हें सिखाया जाता है और वे इससे प्रभावित होते हैं और वे उसी के अनुसार कार्य करते हैं। मुझे लगता है कि इस बीमारी से निपटने के लिए बेहतर तरीका होगा कि मदरसों की शिक्षा पर पुनर्विचार किया जाए।

ईश्वरीय नियम नहीं है सिर काटना

केरल के राज्यपाल का कहना है कि पहले तो यह ईश्वरीय नियम नहीं है और दूसरी बात यह कि यह मनुष्यों द्वारा लिखा गया है। उन्होंने कहा कि इसके उलट बच्चों के दिमाग में डाला गया है कि यह ईश्वर का नियम है। अगर कुछ व्यक्ति ऐसा लिखते हैं तो कोई कैसे कह सकता है कि यही इस्लामी कानून है।

2 दिन पहले हुई थी कन्हैया लाल की निर्मम हत्या

बता दें कि राजस्थान के उदयपुर में मंगलवार शाम को टेलर कन्हैया लाल की दो मुस्लिम युवकों के गला रेतकर हत्या कर दी। आरोपी रियाज मोहम्मद गौस कपड़े सिलवाने के बहाने जब कन्हैया उनमें से एक की माप ले रहे थे, तभी उसने अचानक कन्हैया के दुकान में घुसे थे। दोनों के हाथ में खंजर था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला है कि हत्यारे ने कन्हैया लाल पर 26 बार वार किया था। बाद में हत्यारे रियाज अंसारी और मोम्मद गौस को उदयपुर से 60 किमी दूर राजसमंद से गिरफ्तार किया गया।

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