Bharat Bandh : 48 घंटे के बंद में बैंकों की भी दो दिनी हड़ताल, जानिये कौन से बैंकों की सेवाएं होंगी प्रभावित

Bharat Bandh : 2 दिन की हड़ताल की वजह से वित्तीय वर्ष के आखिरी दिनों में क्लोजिंग के कारण 30 और 31 मार्च को भी बैंकों में ग्राहकों के लिए सेवाओं पर असर पड़ सकता है।

Update: 2022-03-28 08:58 GMT

भारत बंद में बैंकों की भी दो दिनी हड़ताल।

Bharat Bandh : केंद्र की जन विरोधी नीतियों, बैंकों के निजीकरण सहित तमाम मुद्दों पर भारत बंद ( Bharat Bandh) में बैंकों की भी हड़ताल ( Banks Strike ) है। यानि आज और कल बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह से तो नहीं लेकिन काफी हद तक बंद हैं। सरकारी बैंकों की यूनियनों (Trade Unions) भी इस हड़ताल का समर्थन दिया है। ट्रेड यूनियनों का दावा है कि सरकारी बैंकों ( public sector banks) के साथ निजी, विदेशी औऱ सहकारी बैंक के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हैं।

इन सेवाओं पर होगा असर

हड़ताल की वजह से बैंकों की कई सेवाएं प्रभावित हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI ), पीएनबी (PNB), केनरा बैंक, आरबीएल बैंक, यूनियन बैंक व अन्य ने कहा कि बैंक के कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल को लेकर नोटिस दिया है। इससे सेवाओं पर असर पड़ा है। हालांकि, हम इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि बैंकों के कामकाज असर कम से कम हो। सामान्य तौर पर बैंकों के कामकाज जारी रहें।

2 दिन की हड़ताल की वजह से वित्तीय वर्ष के आखिरी दिनों में क्लोजिंग के कारण 30 और 31 मार्च को भी बैंकों में ग्राहकों के लिए सेवाओं पर असर पड़ सकता है। बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के सभी सरकारी लेनदेन को 31 मार्च के पहले अकाउंट में डालना पड़ता है। रिजर्व बैंक का कहना है कि सभी बैंकों को सरकारी लेनदेन के लिए सभी शाखाओं को निश्चित समय के लिए खोलना पड़ेगा, ताकि कामकाज सुचारू रूप से चल सके।

ये हैं बैंकिंग संगठनों की मांगे

ट्रेड यूनियनों यानि मजदूर संगठनों के केंद्रीय ज्वाइंट फोरम और तमाम स्वतंत्र श्रमिक संगठनों ने सोमवार औऱ मंगलवार को केंद्र की आर्थिक नीतियों को जनता विरोधी और श्रमिक विरोधी बताते हुए इस भारत बंद का आह्वान किया है। इन संगठनों केंद्र द्वारा श्रम संहिता को खत्म करने, किसी क्षेत्र में निजीकरण न करने, परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए बने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को निरस्त करने, मनरेगा ( MNREGA) मजदूरी को बढ़ाने और कांट्रैक्ट वर्करों के नियमितीकरण जैसी मांगे उठाई हैं।

इसके अलावा ऑल इंडिया बैंक एंप्लायीज एसोसिएशन ( AIBEA ) ने एक बयान में कहा, हमने बैंकिंग क्षेत्रों की मांगों पर जोर देते हुए इस आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है। यूनियन के महासचिव सीएच वेंकटाचलम ने कहा कि हमारी मांग है कि बैंकों का निजीकरण ( privatisation ) बंद किया जाए औऱ सरकारी बैंकों को मजबूत किया जाए। बैड लोन की वसूली के लिए तंत्र को मजबूत करने के साथ जमा पर ब्याज दर बढ़ाई जाएं। ग्राहकों के लिए सर्विस चार्ज कम करने के साथ पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाना भी हमारी मांग में शामिल है।

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