अंधविश्वास : अधेड़ महिला को बताया डायन, गांववालों ने कहा मृत बच्ची को छू देगी तो वह हो जाएगी जिंदा
एक बच्ची की मौत के बाद बिहार के बांका जिले में महिला को डायन के नाम पर चला घंटों तक ड्रामा, महिला को देवी स्थान पर कसम खिलाई गई, पुलिस ने सूझ-बूझ दिखाते हुए टाल दिया लिंचिंग जैसी घटना को...
जनज्वार ब्यूरो, पटना। अंधविश्वास के नाम पर हमारे समाज खासकर पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी—ऐसी घटनायें सामने आती हैं, जिनके बारे में सुनकर आश्चर्य होता है कि हम आज विज्ञान के युग में जी रहे हैं। कहीं आकाशीय बिजली के शिकार को गोबर के नीचे दबा दिया जाता है तो कहीं डायन—बिसही के नाम पर महिलाओं पर जुल्म की इंतहा की जाती है, उनकी लिंचिंग तक कर दी जाती है।
बिहार के बांका जिला में 25 जून की रात ऐसी ही एक घटना सामने आई है। पुलिस ने हस्तक्षेप कर मामले को समय पर सुलझा लिया, नहीं तो अंधविश्वास के कारण बड़ी घटना भी घट सकती थी। बांका जिला में नूरगंज फतेहपुर गांव है। इस गांव में रहने वाले पवन मंडल की पुत्री पिछले एक सप्ताह से बीमार चल रही थी। इसी बीमारी के कारण 24 जून बुधवार की रात उसकी मृत्यु हो गई। पता नहीं कैसे बालिका के परिजनों के मन में यह बात घर कर गई कि गांव की एक अधेड़ महिला डायन है और उसी के कारण बच्ची की मौत हो गई है।
आक्रोशित लोग उस महिला को मारने पर आपदा हो गए। इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी। स्थानीय थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई और लोगों को समझाने-बुझाने की कोशिश करने लगी। मृतका की मां ने उस अधेड़ महिला पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसी के जादू-टोना के कारण बच्ची की मौत हुई है। उग्र ग्रामीण कहने लगे कि वह महिला अगर बच्ची को छू देगी तो वह जिंदा हो सकती है।
पुलिस ने लोगों के आक्रोश को देखते हुए सूझ-बूझ के साथ काम लिया। पुलिस उस महिला के घर गई और ग्रामीणों की मांग की बात बताई। जिसपर महिला उस मृत बच्ची के पास चलने को तैयार हो गई। उसने बच्ची के मृत शरीर को स्पर्श किया। पर बच्ची को न जिंदा होना था, न हुई।
उसके बाद भी ग्रामीणों का आक्रोश शांत नहीं हुआ और वे उसे गांव के देवी स्थान जाकर उस महिला को वहां देवी के सामने कसम खाने को कहने लगे। महिला ने यह भी किया। तब जाकर आक्रोशित गांव वाले शांत हुए।
स्थानीय थानाध्यक्ष ने बताया कि मामला हल हो गया है। आक्रोशित लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया जा चुका है। घटना को लेकर दोनों में से किसी भी पक्ष ने आगे थाने में कोई लिखित आवेदन नहीं दिया है।
सवाल उठता है कि विज्ञान के इस युग में भी हमारा समाज कबतक डायन,ओझा-गुनी, तंत्र-मंत्र और भूत-प्रेत के मकड़जाल में उलझा रहेगा। क्या हम इस इक्कीसवीं सदी में भी इस सोच से कभी बाहर आ पाएंगे।