खाने के लिए सामुदायिक किचेन जा रहे थे भाई-बहन, बाढ़ के पानी में डूबकर हो गई मौत

बिहार में सरकारी आंकड़े के अनुसार बाढ़ से अबतक 24 लोगों की मौत हो चुकी है, भाई-बहन की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है..

Update: 2020-08-12 13:42 GMT

मृत बच्चों के परिजन और ग्रामीण

जनज्वार ब्यूरो, पटना। सारण में बाढ़ से 9 प्रखंड बुरी तरह से प्रभावित हैं। इन प्रखंडों के 102 पंचायतों के 449 गांवों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है। जिला की 7 लाख 22 हजार की आबादी बाढ़ से पीड़ित है। इस दौरान बाढ़ के पानी में डूबकर अबतक कई लोगों की मौत हो चुकी है।

बुधवार, 12 अगस्त को जिला के अमनौर थाना क्षेत्र के सलखुआ गांव में चल रहे समुदायिक किचेन सेंटर में खाना खाने जा रहे भाई बहन की बाढ़ के पानी में डूबनेे से जान चली गई। दोनों बच्चों की मौत के बाद परिजनों मेंं कोहराम मच गया।

घटना के संबंध में बताया जाता है कि अपहर पंचायत के सलखुआ गांव में सरकारी स्तर पर बाढ़ पीडितों के लिए समुदायिक किचेन सेंटर चलाया जा रहा है। यहां आसपास के बाढ़ पीडित समुदायिक किचेन में भोजन कर रहे हैं। बुधवार को गांव के राजेश नट की बारह वर्षीय पुत्री राधा कुमारी तथा दस वर्षीय पुत्र अदित्य कुमार भी खाना खाने के लिए बाढ़ के पानी के बीच से सेंटर में जा रहे थे। अचानक दोनों अत्यधिक पानी के चपेट में आ गये और गहरे पानी में चले गए।

हो- हल्ला मचा तो स्थानीय ग्रामीण उन्हें बचाने के लिए पानी में कूदे, पर तबतक देर हो चुकी थी। दोनों की डूबने से जान चली गई। दोनों के शवों को ही पानी से बाहर निकाला जा सका। बच्चों के डूबने की खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सैकड़ों की संख्या मेंं वहां ग्रामीणों की भीड़ जुट गयी।  सूचना के बाद मौके पर स्थानीय विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी पहुंचे।

ग्रामीण अब सवाल खड़ा कर रहे हैं कि अगर बाढ़ में सामुदायिक किचेन चलाई जा रही थी तो  वहां ग्रामीणों को ले जाने के लिए किसी नाव की व्यवस्था क्यों नहीं की गई थी? अगर दोनों बच्चे नाव से गए होते तो सँभवतः यह घटना नहीं होती। जनप्रतिनिधि जिस ततपरता से घटना के बाद पहुंचे, उतनी ततपरता ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्यों नहीं दिखाई?

उल्लेखनीय है कि बिहार में बाढ़ का कहर अब भी कम नहीं हो रहा। बाढ़ से 16 जिलों की 73 लाख से ज्यादा की आबादी पीड़ित है। कुछ जगह सरकारी स्तर पर राहत की व्यवस्था की गई है, पर ज्यादातर जगहों पर यह व्यवस्था या तो नाकाफी है या फिर अव्यवस्था की शिकार है। कुछ इसी तरह की अव्यवस्था की भेंट दोनों भाई-बहन चढ़ गए।

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