महागठबंधन में ऑल इज वेल, सभी घटक दल कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के साथ लड़ेंगे चुनाव

कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने साफ कर दिया है कि बिहार में महागठबंधन के घटक दलों के बीच कोई दिक्कत नहीं है। सभी दल साथ मिलकर पॉजिटिव एजेंडे पर चुनाव लड़ेंगे।

Update: 2020-07-09 08:08 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। महागठबंधन के घटक दलों, खासकर हम और रालोसपा के लिए यह राहत की खबर है। बिहार में सियासी हलचल के बीच कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के साथ चुनाव में जाने की घोषणा कर दी है। उन्होंने महागठबंधन में किसी भी तरह के मतभेद की अटकलों को भी खारिज कर दिया है। कहा है कि समान विचारधारा वाले सभी दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ेंगे।

सांसद गोहिल ने पटना में पीएम मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा 'मोदी जी, चीन को लाल आंखें दिखाइए। आप तो सैनिकों के एक सिर के बदले दस सिर लाने की बात कहते थे। बिहार रेजिमेंट के हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए हैं, 200 सिर लाइए, इसमें हम भी साथ देंगे। आपने तो अचानक लॉक डाउन का फरमान सुना दिया, जिससे बिहार के लाखों मजदूर भारी संकट में फंस गए।

मध्यप्रदेश में सरकार बनानी थी तो लॉकडाउन नहीं किया और सरकार बनते ही 24 मार्च को बिना पूर्वसूचना के लॉकडाउन कर दिया। उस समय 12615 पैसेंजर ट्रेनें चल रहीं थीं। उन ट्रेनों से रोज 2 करोड़ लोग एक कोने से दूसरे कोने जा सकते थे। 3-4 दिनों में सारे मजदूर अपने घरों को चले जाते। आर्थिक पैकेज के आधा प्रतिशत से भी कम यानि सिर्फ 0.40 फीसदी खर्च होता। काश आपने ऐसा करने के बाद लॉकडाउन किया होता तो हमारे बिहारी मजदूर सुरक्षित घर पहुंच गए होते।'

इससे पहले 8 जुलाई की रात गोहिल की राबड़ी आवास में इंट्री हुई थी। उनके साथ कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सांसद अखिलेश सिंह भी थे। घँटों चली इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस और राजद के बीच सीट शेयरिंग सहित कई अहम मुद्दों पर बातें हुईं हैं।

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के घटक दलों के बीच नाराजगी की बातें सामने आ रहीं थीं। खासकर हम पार्टी सुप्रीमो जीतनराम मांझी और रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की। इस बीच 7 जुलाई की शाम कांग्रेस के बिहार प्रभारी गोहिल पटना पहुंचे। उसके बाद सियासी तापमान बढ़ गया था।

गोहिल ने बीजेपी पर घटक दलों को धोखा देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा 'बीजेपी का घटक दलों को धोखा देने का इतिहास रहा है। जरूरत पड़ने पर साथी के पैर पड़ेंगे और जरूरत खत्म होने पर साथी दल का पोलिटिकली गला काट देंगे। महबूबा मुफ्ती और शिवसेना इसके सटीक उदाहरण हैं। अब नीतीश कुमार और रामविलास पासवान सोचें।'

जाहिर है कि गोहिल की तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी से मुलाकात और उसके बाद दिए गए बयानों से महागठबंधन के अन्य सहयोगी दलों को राहत मिलेगी। जीतनराम मांझी ने 10 जुलाई को अपनी पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, माना जा रहा था कि वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। इसके पहले गोहिल के इस बयान से अब इन चर्चाओं पर विराम लग सकता है।

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