बिहार: कोरोना टेस्टिंग में गड़बड़झाला सामने आने के बाद हड़कंप, कई सस्पेंड व बर्खास्त तो विपक्ष है हमलावर

राजद सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया, जबकि तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है, उधर राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन सहित कई के विरुद्ध कार्रवाई की है..

Update: 2021-02-13 06:31 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में कोरोना जांच के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर खासे आक्रामक हैं तो सरकार को सफाई देते नहीं बन पा रहा। इस बीच राजद सांसद मनोज झा द्वारा इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया गया, जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। उधर राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भी सिविल सर्जन सहित कई के विरुद्ध कार्रवाई की है।

स्वास्थ्य विभाग ने जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विजयेंद्र विद्यार्थी सहित चार पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया है। जबकि आधा दर्जन से अधिक अन्य कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। राज्य के जमुई जिला में जांच में अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अब सभी जिलों के जिलाधिकारी को कोरोना टेस्टिंग की जांच कराने का निर्देश दिया है।

उधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि कोरोना काल में बिहार सरकार द्वारा आम जनता की जान से किया गया खिलवाड़ और उनके पैसों से मचायी गयी बंदरबांट की सारी असलियत सामने आ गई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में टेस्टिंग की संख्या 4 महीनों तक देश में सबसे कम रही। विपक्ष और जनदबाव मे मुख्यमंत्री द्वारा विपदा के बीच ही आँकड़ों की बाज़ीगरी नहीं करने वाले 3 स्वास्थ्य सचिवों को हटा दिया।

उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, 'उसके बाद अगले 3 दिनों में ही प्रतिदिन टेस्टिंग की संख्या दुगनी हो गई और लगभग 15 दिनों में यह संख्या एक लाख के पार हो गई और लगभग 25 दिनों में दो लाख तक पहुँच गई!'

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारी घोटाला सामने आने के बाद छोटी मछलियों यानि छोटे स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त कर लीपापोती की कोशिश की जा रही है।

इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग को त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आदेश दिया है कि कोरोना टेस्टिंग को लेकर किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर कोई भी गड़बड़ी हुई होगी तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने दिल्ली दौरे से वापस पटना लौटे। पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव ने उन्हें बताया है कि 22 जिलों की जांच पूरी कर ली गई है। एक जगह पर इस तरह का मामला प्रकाश में आया है, जिस पर तत्काल कार्रवाई हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ऐसी बात है कि किसी की जांच नहीं की और लिख दिया कि जांच हुई तो यह गलत बात होगी। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी। अब हम पटना आ गए हैं इस पर और विस्तृत जानकारी लेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि शुरू से ही कोरोना संक्रमण की प्रतिदिन रिपोर्ट उनके पास आती है। कितनी जांच हुई, कहां क्या स्थिति है, सब मेरे पास आता है। केंद्र सरकार को भी जांच रिपोर्ट भेजी गई है। 

इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच में लापरवाही एवं अनियमितता बरते जाने की रिपोर्ट और कोविड टेस्टिंग में गड़बड़ी को लेकर जमुई डीएम द्वारा की गई कार्रवाई की अनुशंसा के बाद यहां के सिविल सर्जन सहित अन्य कई कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया है।

जमुई के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र डॉ. विमल कुमार चौधरी,  सिकंदरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शाजीद हुसैन एवं बरहट स्थित प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नंद कुमार मंडल को भी निलंबित किया गया है। 

उधर खबर है कि लगभग आधा दर्जन कर्मियों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया गया है। इनमें जमुई के जिला प्रोग्राम मैनेजर, सिकंदरा एवं बरहट के दोनों प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों के हेल्थ मैनेजर, लैब टेक्नीशियन एवं एएनएम शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष सह जिलाधिकारी को इन कर्मियों की पहचान कर बर्खास्त करने का निर्देश दिया है।

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