प्रवासी मजदूर ने बाहर न जाकर गांव में शुरू कर दी खेती, नाराज पत्नी ने बच्चों संग जहर खाकर जान दे दी

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याएं देश-विदेश में सुर्खियां बनीं थीं। माना जा रहा था कि अब ये अपने गांव में रहकर ही काम-धंधा करेंगे पर गया में इसी को लेकर पति-पत्नी में विवाद हो गया।

Update: 2020-06-23 07:03 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। हमारे यहां की सामाजिक और आर्थिक संरचना भी गजब की है। पहले बड़े-बुजुर्ग कहा करते थे खेती उत्तम, मध्यम व्यापार, नौकरी बेकार। अर्थात खेती करना सबसे उम्दा काम है, उसके बाद व्यापार है। नौकरी को सबसे नीचे रखा जाता था। पर अब गांवों में खेती के काम को लोग दोयम दर्जे का मानने लगे हैं। दूसरे प्रदेशों में मजदूरी को ज्यादा बेहतर काम माना जाने लगा है। भले ही परदेश में तमाम तरह की जिल्लत और कठिनाइयां झेलनी पड़ती हों। बिहार के गया जिला में एक पत्नी ने सिर्फ इस बात को लेकर अपने तीन बच्चों के साथ जहर खा लिया कि लॉकडाउन के दौरान वापस आए उसके पति ने दुबारा बाहर कमाने न जाकर गांव में ही खेती करना शुरू कर दिया।

घटना बिहार के गया जिले के कोंच थाना क्षेत्र के महादेवपुर गांव की है। यहां महिला ने पहले अपने तीन बच्चों को गेंहू का कीड़ा मारने वाली जहरीली दवा सल्फास खिला दी और फिर खुद भी खा ली। महिला और उसकी एक पुत्री की मौत हो गई जबकि एक पुत्र और पुत्री की गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज चल रहा है।

बताया जा रहा है कि महादेवपुर गांव का विधा महतो दूसरे प्रदेश में रहकर मजदूरी का काम करता था। लॉकडाउन के दौरान वहां काम बंद हो गया तो किसी तरह गांव आ गया। गांव में दूसरा कोई काम-धंधा तो था नहीं। ऊपर से विधा बाहर की भारी कठिनाई और कम आमदनी से भी खुश नहीं था। लिहाजा उसने ठान लिया कि अब वह गांव में ही रहकर खेती करेगा। यह बात उसकी 35 वर्षीय पत्नी मंजू देवी को पसंद नहीं थी। वह चाहती थी कि विधा खेती न करे, गांव के लोग क्या कहेंगे। समाज में उन्हें हीन समझा जाएगा। इसी बात को लेकर दोनों के बीच वाद-विवाद होने लगा।

इसी बात को लेकर दोनों के बीच फिर विवाद हुआ। पति विधा महतो उसे समझा-बुझाकर खेतों का पटवन करने चला गया। इस बीच पत्नी मंजू देवी ने अपने तीन बच्चों पुत्री मुस्कान व दिव्या तथा पुत्र विक्की को सल्फास खिला दिया। बाद में खुद भी खा लिया। इससे मंजू देवी और मुस्कान की मौत हो गई तथा विक्की और दिव्या की हालत गंभीर बनी हुई है। गया के एक निजी नर्सिंग होम में उनका इलाज चल रहा है। स्थानीय पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए घटना का कारण पति.पत्नी का विवाद बताया है।

अब पति विधा गांव में रहकर खेती करने के अपने फैसले पर अफसोस कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाहर कई तरह की परेशानियां होतीं हैं। कोरोना का खतरा अलग से है। आमदनी भी बस जीने-खाने लायक होती है। इस कारण उन्होंने गांव में रहकर ही खेती कर परिवार का भरण-पोषण करने की सोची थी। पर पत्नी को यह पसंद नहीं था। चूंकि गांव में रहकर काम करने वाले को यहां समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है और बाहर जाकर जो बेलदारी भी करता है, उसे समाज अच्छी नजर से देखता है। उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी-सी बात पर पत्नी ऐसा कदम उठा लेगी।

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