Bihar MLC Election Result: सिवान में महागठबंधन के विनोद जायसवाल ने मारी बाजी,एनडीए के मनोज सिंह तीसरे स्थान पर
Bihar MLC Election Result: बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकाय प्राधिकार कोटे की 24 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद 7 अप्रैल दिन गुरूवार को मतगणना का कार्य संपन्न हो गया। इसमें सीवान से महागठबंधन के विनोद जायसवाल ने जीत हासिल की है।
Bihar MLC Election Result: सिवान में महागठबंधन के विनोद जायसवाल ने मारी बाजी,एनडीए के मनोज सिंह तीसरे स्थान पर
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
Bihar MLC Election Result: बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकाय प्राधिकार कोटे की 24 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद 7 अप्रैल दिन गुरूवार को मतगणना का कार्य संपन्न हो गया। इसमें सीवान से महागठबंधन के विनोद जायसवाल ने जीत हासिल की है। सत्ताधारी दल एनडीए के उम्मीदवार मनोज सिंह को तीसरे पर ही संतोष करना पड़ा है। जबकि अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले रईस खान ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार दूसरा स्थान हासिल कर अपनी बढ़ती लोकप्रियता का एहसास करा दिया है।
सीवान सीट एनडीए व महागठबंधन के लिए शुरू से ही प्रतिष्ठा की रही है। इस सीट से भाजपा लगातार जीत हासिल करती रही है। निवर्तमान सदस्य टुन्ना पाण्डे के भाजपा से बगावती तेवर अपनाने के चलते इस बार मनोज कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया गया था। मनोज कुमार सिंह एक बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। इस चुनाव में सबसे पहले राजद के महागठबंधन समर्थित प्रत्याशी विनोद कुमार जायसवाल ने चार माह पूर्व से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। विनोद पूर्व में भी राजद के इस सीट से एमएलसी के उम्मीदवार रहे हैं। चुनाव के अंतिम समयों में भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा करते हुए मनोज कुमार सिंह के नाम पर अपनी मोहर लगाई। पिछला विधान सभा चुनाव लोजपा के टिकट पर लड़ चुके मनोज कुमार सिंह को भाजपा नेतृत्व ने अपनी सदस्यता दिलाते हुए इन्हें उम्मीदवार बनाने की घोषणा की।
इस चुनाव की खास बात यह है कि अपराध की दुनिया में बिहार में खान ब्रदर्स के नाम से मसहूर रईस खान की उम्मीदवारी ने हलचल मचा दी। राजद नेता मो. शहाबुददीन के इंतकाल के बाद से ही बाहुबली राजनीति का अंत होने की लगाई जा रही कयास को रोकने का रईस खान ने काम किया है। रईस की जिले में बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा एमएलसी चुनाव को लेकर उसके द्वारा बनाई गई रणनीति व नतीजों से लगाया जा सकता है। रईस खान के चुनाव प्रचार की कमान यहां के जिला परिषद की अध्यक्ष संगीता व सीएम नीतीश कुमार के काफी करीबीयों में रहे पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह ने संभाल रखी थी। इसके बाद से ही राजनीतिक हलको में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि यहां एनडीए एकजूट न होकर अलग अलग खेमे में विभाजित है। इन कयासों पर आखिरकार नतीजों ने भी मोहर लगा दी है। कहा जाता है कि भाजपा व जदयू के नेता जहां एक साथ नहीं खड़े दिखे वहीं इन दलों में भी आपसी गुटबाजी खुब देखने को मिली। जिसका नतीजा रहा कि प्रथम वरीयता के गणना के दौरान भाजपा के उम्मीदवार मनोज कुमार सिंह तीसरे स्थान पर ही सीमट गए।
ऐसे आए नतीजे
मतगणना के दौरान प्रथम वरीयता का राजद व महागठबंधन प्रत्याशी विनोद जायसवाल को कुल 1693 मत हासिल हुआ। जबकि निर्दलीय रईस खान को 1250 तथा भाजपा एनडीए समर्थित मनोज सिंह को 1093 वोट हासिल हुआ। किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए आधे से एक अधिक वोट की आवश्यकता थी। अर्थात कुल पड़े 4617 मतों में से 23 09 वोट जीत के लिए लाना था। यह जीत का जादुई आंकड़ा प्रथम वरीयता की गणना में कोई भी नहीं पा सका। लिहाजा द्वितीय वरीयता के मतों की गणना का निर्णय लेना पड़ा। इसमें विनोद जायसवाल ने 666 मतों के अंतर जीत हासिल कर ली है। विनोद को 2032 व निर्दलीय रईस खान को 1336 वोट मिला है। इसके अलावा भाजपा एनडीए के प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह को द्वितीय वरियता में भी तीसरे स्थान पर रहे।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डे भी भाजपा को नहीं दिला सके जीत
बिहार सरकार में भाजपा के कोटे से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डे का सीवान गृह जिला है। विधान परिषद सदस्य को लेकर हो रहे चुनाव को देखते हुए नेतृत्व ने स्वास्थ्य मंत्री को यहां कैंप करने को कहा था। पार्टी के निर्देश के मुताबिक मंगल पाण्डेय लगातार यहां जमा रहे। विशेषकर पार्टी के अंदर की गुटबाजी का अध्ययन करते हुए उसे समाप्त कर एकजूटता प्रदर्शित करने की उनको संगठन ने जिम्मेदारी थी। जनकारों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव से ही यहां एनडीए में खुलकर गुटबाजी सामने आ गई थी। भाजपा के ओमप्रकाश यादव का टिकट काटकर जब नेतृत्व ने जदयू से कविता सिंह को उम्मीदवार बना दिया। इसके बाद हुए दरौंदा विधान सभा क्षेत्र की सीट के उप चुनाव में भी गुटबाजी दिखी। जिसका नतीजा रहा कि यहां से निर्दलीय ने जीत हासिल की। आपसी गुटबाजी का नुकासन पार्टी को जिले की कई सीटों पर विधान सभा चुनाव में भी चुकानी पड़ी। एक बार फिर यह गुटबाजी एमएलसी के चुनाव में भी सतह पर आते दिखी है। अपनी सरकारी व मशीनरी भी एनडीए के उम्मीदवार के काम नहीं आई। महागठबंधन के विधायकों की मुहिम ने चुनावी लड़ाई को निर्णायक बना दिया तथा जीत को अपने पक्ष में करने में आखिरकार सफलता दिला दी है।
सीवान की राजनीति में रईस खान की मजबूत इंट्री
विधान परिषद के चुनाव में पहली बार भाग्य आजमाने वाले रईस खान को मिले वोटों के आधार पर यह चर्चा शुरू हो गई है कि जिले की राजनीति में आनेवाले दिनों में ये प्रमुख चेहरा हो सकते हैं। रईस खान की राजनीति में इंट्री के पूर्व अपराध जगत में नाम रहा है। दर्जनों संगीन धाराओं में अभियुक्त रहे रईस खान की बाहुबली सांसद मो. शहाबुददीन से भी अदावत रही है।एक बार रघुनाथपुर विधान सभा चुनाव में रईस के पिता के चुनाव लड़ने पर उनका अपहरण कर लिए जाने की बात सामने आई थी। जिसमें मो. शहाबुददीन पर ही अपहरण कराने का आरोप लगाता था। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच टकराव बढ़ते देख प्रशासन की फौरी कार्रवाई के बदौलत रईस के पिता अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त हो पाए। ऐसे में अपराध से राजनीति में पैर रखनेवालों में मो. शहाबुददीन के इंतकाल के बाद रईस खान का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि बाहुबली राजनीति का जिले में रईस चेहरा बन सकते हैं। हालांकि बदली राजनीतिक परिस्थितियों में बाहुबल का वर्चस्व कायम हो पाना संभव नहीं है।