बिहार : सत्र के ठीक बाद हो सकता है नीतीश कैबिनेट का विस्तार, भाजपा को मिलेगी अधिक हिस्सेदारी
नीतीश कुमार के अगले कैबिनेट विस्तार में छोटे सहयोगियों को और प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाएगा, वहीं भाजपा को फिर एक बार जदयू से अधिक प्रतिनिधित्व मिलना लगभग तय है...
जनज्वार। बिहार में एक बार फिर बनी नीतीश कुमार सरकार का एक और कैबिनेट विस्तार निकट भविष्य में हो सकता है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि फिलहाल दो से तीन बड़े मंत्रालय की जिम्मेवारी एक-एक मंत्री के पास है और ऐसे में उनके लिए अपने काम पर फोकस करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में विधानसभा के विशेष सत्र के बाद नीतीश सरकार एक बार फिर कैबिनेट विस्तार कर सकती है।
छठ महापर्व के बाद विधानसभा का विशेष सत्र 23 नवंबर से 27 नवंबर तक बुलाया गया है। इसमें सरकार अपना बहुमत साबित करेगी और इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। इस दौरान सरकार अन्य आवश्यक विधायी प्रक्रिया भी पूरी करेगी। इसके बाद सरकार अपने सुचारू कार्य संचालन पर फोकस करेगी। जाहिर है इसके लिए विभागों का संतुलित बंटवारा आवश्यक होगा, ताकि संबंधित मंत्री अपने काम पर अधिक ध्यान दे सकें।
संभावना है कि विशेष सत्र के बाद नीतीश कुमार कैबिनेट में 17 और मंत्री शामिल किए जाएंगे। इसमें जदयू से सात और भाजपा से 10 मंत्री बनाए जाने की संभावना है। वहीं, एनडीए के दो छोटे दलों वीआइपी व हम को और प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाएगा, क्योंकि दोनों दलों से एक-एक मंत्री सरकार में शामिल किए जा चुके हैं। सरकार में जहां वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश कुमार सहनी शामिल हुए हैं, वहीं हम कोटे से उसके अध्यक्ष जीतन राम मांझी के बेटे को शामिल किया गया है।
इस बार अगर 17 सदस्य कैबिनेट में शामिल किए जाएंगे तो मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या 32 हो जाएगी। फिलहाल कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त भाजपा से सात, जदयू से पांच और हम व वीआइपी से एक-एक मंत्री शामिल हैं।
राज्य में एमएलसी का चुनाव भी होना है और राज्यपाल के द्वारा सीटों पर मनोनयन भी करना है। भाजपा-जदयू अपने सहयोगी मुकेश सहनी को उच्च सदन विधान परिषद में भी भेजेगी, क्योंकि वे विधानसभा चुनाव हार गए और उसके बावजूद मंत्री बने हैं। ऐसे में छह महीने के अंदर किसी सदन के लिए उनका निर्वाचन आवश्यक है।