बिहार : लोक स्वास्थ्य विभाग हर छह महीने बाद बदल देता है कर्मचारियों का नाम कि करना न पड़े परमानेंट

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) ने नौकरी में कर्मचारी को स्थायी नहीं करने का फार्मूला ढूंढ़ निकाला है। यहां पर छह माह ही काम दिया जाता है। इसके बाद कार्यरत उक्त कर्मचारी का नाम बदल दिया जाता है...

Update: 2020-08-05 04:13 GMT

आलोक कुमार की रिपोर्ट

पटना, जनज्वार। बिहार के लोक स्वास्थ्य विभाग के कांट्रेक्ट कर्मचारियों को स्थायीकरण से बचने के लिए नाम बदल-बदल कर काम कराया जाता है। उन्हें एक नाम पर छह महीने से अधिक काम नहीं कराया जाता है, ताकि स्थायी करने के लिए वे मांग न उठा सकें। ऐसे कर्मचारियों को कई बार अपने बेटे, भाई या परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम पर काम करना होता है। इसके बाद कार्यरत उक्त कर्मचारी का नाम बदल दिया जाता है। इस तरह के तिकड़मबाजी के शिकार चार हजार से अधिक कर्मी हो रहे हैं। जिस पद पर बहाल होते हैं और उसी पद रिटायर हो रहे हैं।

यह हाल लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED Bihar) में है। इस विभाग के द्वारा एक डिविजन में 100 पम्पिंग स्टेशन संचालित किया जाता है। इन पम्पिंग स्टेशनों में दो शिफ्ट में पम्प ऑपरेटर कार्यशील रहते हैं। उनको मजदूरी के रूप में 277.00 रुपये मिलते हैं। 268.00 रुपये में परिवर्तित महंगाई भत्ता लागू करके 277.00 रुपया किया गया है। बिहार में अकुशल मजदूरों के लिए मजदूरी दर 268 रुपये रोजाना तय थी। इसमें नौ रुपये की वृद्धि कर 277 रुपये कर दिया गया है। वहीं अर्धकुशल मजदूरों की दर 279 से 10 रुपये बढ़ाकर 289 कर दिया गया है, जबकि कुशल मजदूरों को 340 के बदले 12 रुपये अधिक 352 रुपये रोजाना मिलेंगे।

पटना नगर निगम के वार्ड नंबर 22ए में तीन पम्पिंग स्टेशन संचालित है।आईटीआई के सामने पम्पिंग स्टेशन खराब हैं। दूसरा बांसकोठी और तीसरा हमीदपुर में है। इन दोनों पम्पिंग स्टेशनों में जलमीनार है, जो हाथी का दिखाने वाला दांत साबित हो रहा है।

हमीदपुर पम्पिंग स्टेशन के पम्प ऑपरेटर वीरेंद्र राय ने आपबीती बतायी। उन्होंने कहा, हम बिहार के संपूर्ण पम्प ऑपरेटरों का वर्तमान और भविष्य लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार के कार्यकाल में सुरक्षित नहीं है। 2015 से पद पर चिपके हैं। उनका स्थानान्तरण भी नहीं हो पाता है। इसके कारण उनका एकछत्र राज चलता है। जमकर शोषण व मानवाधिकार का हनन हो रहा है।

उनका कहना है कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में किसी की स्थायी नौकरी नहीं होती है। स्थायीकरण से बचने के लिए छह माह के बाद नाम बदल कर नौकरी करनी पड़ती है। नकटा दियारा क्षेत्र में रहने वाले भूनाथ राय के पुत्र पम्प ऑपरेटर वीरेंद्र राय कहते हैं कि चार साल से यहां कार्यरत हैं। राजवंशी नगर में वीरेंद्र राय के नाम से कार्य किया। शास्त्री नगर में पुत्र प्रेम कुमार के नाम पर कार्य किया।

नासरीगंज में वीरेंद्र राय के नाम से कार्य किया। अभी हमीदपुर में एक अन्य पुत्र वासदेव कुमार के नाम पर कार्य कर रहे हैं। छमाही कर्मचारी अप्रैल के अंत तक कार्य करते हैं। फिर मई माह से किसी अन्य के नाम पर नवंबर माह तक काम करते हैं। अभी हाल में डेढ़ साल के बाद मजदूरी मिली। अभी पांच माह से मजदूरी बाकी है।

हमीदपुर पम्पिंग स्टेशन के बाद बांसकोठी स्थित पम्पिंग स्टेशन में जाने से पता चला कि जो दुःख हमीदपुर पम्पिंग स्टेशन के पम्प ऑपरेटर का है, वहीं परेशानी यहां लोग झेल रहे हैं। यहां पर दोनों शिफ्ट के पम्प ऑपरेटर मिल गये। पांच साल से दीपक कुमार पम्प ऑपरेटर हैं। नाम बदल-बदल कर काम कर रहे हैं। विवाह नहीं होने के कारण भाई का नाम रख कर छह माह काम करते हैं। उनके भाई का नाम सुरेश कुमार हैं। चार साल से महेश कुमार नाम बदल-बदल कर काम कर रहे हैं। ये भी अपने भाई दीपांशु कुमार के नाम पर छह माह कार्य करते हैं। एक शिफ्ट सुबह पांच से दोपहर एक बजे तक और द्वितीय शिफ्ट चार बजे से दस बजे तक है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पूरे बिहार में चार हजार पम्पिंग स्टेशन हैं और उन स्टेशनों पर आठ हजार पम्प ऑपरेटर कार्यरत हैं। सबकी एक समान समस्या है।

आईटीआई के सामने पम्पिंग स्टेशन पर पलम्बर मिस्त्री की पत्नी पम्प ऑपरेटर के रूम कार्यरत हैं। दोनों पम्पिंग स्टेशनों के पम्प ऑपरेटरों की ही तरह हैं।

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