बिहार : नीतीश के लिए अहम रहे स्पीकर के बाद गृहमंत्री का पद भी क्या जदयू से छिन जाएगा?

मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के बाद बिहार में स्पीकर व गृहमंत्री के पद पर सबकी निगाह टिकी है, अबतक अपनी हर सरकार में गृह विभाग का प्रभार रखने वाले नीतीश कुमार से क्या इस बार यह पद छिनेगा...

Update: 2020-11-17 03:04 GMT

जनज्वार। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सोमवार को एक बार फिर एनडीए सरकार बन गई है। सरकार में पहली बार भाजपा कोटे से दो उपमुख्यमंत्री शामिल हुए हैं और जदयू के नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री होने के बावजूद सत्ता का संतुलन भाजपा की ओर झुका हुआ है। नीतीश के अलावा जहां जदयू कोटे से पांच चेहरे कैबिनेट में शामिल हुए, वहीं भाजपा के सात लोगों को कैबिनेट में जगह मिली है।

भाजपा 74 व जदयू 43 के बीच 31 सीटों का फासला होने की वजह से लोगों की निगाह इस फैसले पर टिकी है कि बिहार का अगला स्पीकर व गृहमंत्री कौन होगा? अबतक की तमाम सरकारों में गृहमंत्री का पद खुद नीतीश कुमार ने अपने पास रखा। बिहार में कानून व्यवस्था एक संवेदनशील मुद्दा है और सीमाओं व सवालों के बावजूद नीतीश कुमार ने इस मुद्दों को सख्ती और संवेदनशील ढंग से हैंडल किया है। अपवादों को छोड़ कर नीतीश कुमार की यह उपलब्धि उनकी यूएसपी मानी जाती रही है।

लेकिन, अब नए राजनीतिक समीकरण में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इस पद पर खुद का दावा पेश करती है। मंगलवार सुबह नीतीश की नई कैबिनेट की पहली बैठक 11 बजे सचिवालय स्थित कैबिनेट कक्ष में होगी, जिसमें मंत्रियों को उन्हें आवंटित विभागों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। तब इस बाद से पर्दा उठ सकेगा कि बिहार में गृह मंत्रालय किसके खाते जाता है। वहीं, दूसरा अहम पद वित्त मंत्री का नीतीश कुमार ने अबतक हमेशा अपने सहयोगी को दिया है। भाजपा के साथ साझेदारी में सरकार चलाने वक्त हमेशा सुशील कुमार मोदी वित्तमंत्री रहे, जबकि अल्पकाल के लिए राजद के साथ सरकार चलाने के दौरान राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को यह मंत्रालय दिया गया था।

सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजभवन गए और वहां उनके बीच आपसी मंत्रण भी हुई है।

स्पीकर का पद नीतीश के लिए क्यों रहा है अहम?

नीतीश कुमार अबतक कभी खुद की पार्टी के बहुमत से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं। उन्होंने हमेशा सहयोगियों के साथ सरकार चलायी है और स्पीकर के पद को लेकर उन्होंने सहयोगियों के साथ कभी समझौता नहीं किया है। इस पद पर वे अपने भरोसेमंद का चयन करवाते रहे हैं। पिछली विधानसभा में स्पीकर रहे विजय कुमार चौधरी अब नीतीश कैबिनेट में मंत्री बन गए हैं।

उधर, बिहार भाजपा के कद्दावर नेता नंदकिशोर यादव इस बार सरकार में शामिल नहीं किए गए हैं और  यह लगभग तय है कि लंबे ससंदीय अनुभव के मद्देनजर भाजपा द्वारा उन्हें स्पीकार बनाया जाएगा। मीडिया में इस आशय की खबरें भी छप गईं हैं, हालांकि आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

नाजुक बहुमत व गठबंधन वाली सरकार में स्पीकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। जीतन राम मांझी को पद से हटाना हो या महागठबंधन की सरकार गिरने के बाद फिर एनडीए सरकार बनना इन तमाम मौकों पर स्पीकर की भूमिका बड़ी साबित होती रही है। ऐसे में अगर भाजपा इस पद को अपने पास रखती है तो सत्ता का संतुलन भाजपा को और झुक जाएगा। 

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