बिहार : विश्वविद्यालयकर्मियों की नई पेंशन योजना में 14 फीसदी अंशदान करेगी सरकार

पहले जहां विश्वविद्यालयकर्मियों के मासिक वेतन से मूल वेतन एवं मंहगाई भत्ते के योग की 10 प्रतिशत राशि अंशदान के रूप में कटौती की जाती थी, वहीं उतनी ही राशि नियोक्ता के रूप में विश्वविद्यालय द्वारा अंशदान दिया जाता था, जिसे अब बढ़ा कर 14 प्रतिशत करने की अनुमति वित्त विभाग ने दे दी है...

Update: 2020-09-03 16:20 GMT

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पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां गुरुवार को कहा कि नई अंशदायी पेंशन योजना में केंद्र के अनुरूप राज्य के विश्वविद्यालयकर्मियों के लिए भी राज्यकर्मियों की तरह 10 की जगह 14 प्रतिशत का अंशदान राज्य सरकार करेगी।

उन्होंने कहा कि इसका लाभ एक सितंबर, 2005 और उसके बाद राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्त 3 हजार शिक्षकों व एक हजार शिक्षकेत्तरकर्मियों को मिलेगा। राज्य सरकार ने एक जुलाई, 2019 के प्रभाव से अपने अंशदान को 10 से बढ़ा कर 14 प्रतिशत कर दिया है।

मोदी ने बताया, "पहले जहां विश्वविद्यालयकर्मियों के मासिक वेतन से मूल वेतन एवं मंहगाई भत्ते के योग की 10 प्रतिशत राशि अंशदान के रूप में कटौती की जाती थी, वहीं उतनी ही राशि नियोक्ता के रूप में विश्वविद्यालय द्वारा अंशदान दिया जाता था, जिसे अब बढ़ा कर 14 प्रतिशत करने की अनुमति वित्त विभाग ने दे दी है।"

बिहार के वित्तमंत्री मोदी ने कहा, "नई पेंशन योजना के तहत राज्यकर्मियों की तरह विश्वविद्यालयकर्मियों को भी पेंशन निधि या निवेश पैटर्न का विकल्प चुनने की सुविधा रहेगी। वे वर्ष में एक बार अपने विकल्प को बदल सकेंगे।"

उन्होंने कहा कि जो कर्मी न्यूनतम जोखिम राशि के साथ निर्धारित प्रतिफल के विकल्प का चयन करेंगे उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में 100 प्रतिशत निवेश और जो उच्चतर प्रतिफल के लिए विकल्प का चयन करेंगे। उन्हें जीवनचक्र पर आधारित विकल्प दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि फिलहाल पेंशन निधि या निवेश पैटर्न में परिवर्तन की अनुमति केवल बढ़ी हुई निधि के संबंध में ही दी जाएगी।

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