तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी में छात्र राजद के कार्यकर्ताओं ने की असिस्टेंट प्रोफेसर की पिटाई, गहराया विवाद

कहा जा रहा है कि पूरे मामले में अपने कुकृत्यों पर पर्दा डालने और विपक्षी स्वर को दबाने के लिए एक दलित लड़के का उपयोग किया जा रहा है और एससी-एसटी एक्ट को औजार बनाया जा रहा है...

Update: 2021-03-30 15:52 GMT

अंजनी विशु की टिप्पणी

जनज्वार। 26 मार्च 2021 को बिहार बंद के दौरान तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय,भागलपुर के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में छात्र राजद के कार्यकताओं और अंग क्रांति सेना के संयोजक शिशिर रंजन सिंह ने कक्षा लेने के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्यानंद की पिटाई कर दी।

वे हिंदी विभाग में समेस्टर-2 के छात्रों की कक्षा ले रहे थे। कक्षा का कमरा बंद था। बंद कराने पहुंचे कार्यकताओं ने धक्का देते हुए गेट खुलवाया और बाहर खींचते हुए दिव्यानंद पर एक ने थप्पड़ चलाया। हल्ला होने के बाद विभाग के अध्यक्ष डॉ.योगेन्द्र पहुंचे, उनके सामने भी छात्र राजद के लालू यादव ने थप्पड़ मारा।

घटना के बाद विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षकों ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन पहुंच कर कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को मामले की पूरी जानकारी दी। कुलपति ने मामले को अनुशासन समिति में हवाले कर तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी। विश्वविद्यालय थाना में दिव्यानंद ने एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया।


घटना के दिन छात्र राजद और अंग क्रांति सेना के द्वारा न कोई आवेदन दिया गया, न ही हिंदी विभाग में हुई घटना में बंद समर्थक छात्र के साथ शिक्षकों द्वारा हिंसा से संबंधित बयान अखबार को दिया गया और न ही सोशल मीडिया पर लिखा गया। जब मामला आगे बढ़ गया और सोशल साईट पर हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने घटना को लेकर पोस्ट किया तो उसके बाद सोशल साइट्स पर छात्र राजद और अंग क्रांति सेना के नेताओं व कार्यकताओं ने अपने बचाव में प्रतिक्रिया देना शुरु किया।

27 मार्च 2021 को अंग क्रांति सेना के विश्वविद्यालय सचिव गौतम कुमार पासवान ने विश्वविद्यालय थाना में हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्यानंद और विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र पर जातिसूचक गाली देने एवं हिंसक व्यवहार के संबंध में आवेदन दिया।उसके बाद दूसरे दिन अखबारों में अंग क्रांति सेना के संयोजक शिशिर रंजन सिंह का शिक्षकों पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए बयान आया।




दलित छात्र के आवेदन को आधार बनाकर अखबारों में छपे बयान में राजद के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर यादव ने कहा कि छात्र राजद कार्यकताओं पर लगाये गये मारपीट का आरोप पूर्णतः राजनीति से प्रेरित है। आरोप लगाने वाले शिक्षक ने ही प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ दुव्यर्वहार किया व संगठन के विषय में अपशब्द कहा है। विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक बेवजह मामले को तूल दे रहे हैं। विश्वविद्यालय का माहौल बिगाड़ने की साजिश करवायी जा रही है। वहीं युवा राजद के प्रदेश महासचिव मो. मेराज अख्तर उर्फ चांद ने बयान दिया कि छात्र राजद कार्यकताओं पर लगाये गये आरोप मिथ्या एवं मनगढंत हैं।

गौरतलब है कि बंद के दौरान हिंसक हरकतों के कारण राजद पार्टी के नेता ने पूर्व जिलाध्यक्ष व मो. मेराज अख्तर उर्फ चांद पर कार्रवाई भी किया था। उस दौरान भी इन दोनों की पूरी फजीहत हुई थी, जबकि अब तक छात्र राजद के तरफ से ना कोई अखबारों में बयान आया है ना ही कोई थाना में आवेदन दिया गया है।

लेकिन अंग क्रांति सेना के द्वारा घटना के दूसरे दिन एक दलित छात्र द्वारा विश्वविद्यालय थाना में आवेदन दिलवाया गया। उसके बाद दूसरे दिन इस संगठन के संयोजक शिशिर रंजन सिंह का बयान छपता है। इसी मामले को आधार बनाकर राजद के जिलाध्यक्ष और युवा राजद के प्रदेश महासचिव का बयान अखबारों में आता है, लेकिन छात्र राजद की तरफ से कोई सफाई नहीं आती है।

कहा जा रहा है कि पूरे मामले में अपने कुकृत्यों पर पर्दा डालने और विपक्षी स्वर को दबाने के लिए एक दलित लड़के का उपयोग किया जा रहा है और एससी-एसटी एक्ट को औजार बनाया जा रहा है। यह घोर ब्राह्मणवादी व्यवहार है। दलित अस्मिता का मजाक उड़ाना है, एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ ब्राह्मणवादी दुष्प्रचार का मौका मुहैया कराना है।

अगर विभाग में अध्यक्ष व शिक्षक के द्वारा बंद करवाने गये कार्यकताओं से कुछ भी बदसलूकी किया गया था तो उसे उसी दिन थाना में आवेदन देना चाहिए था, न कि अपने कुकृत्यों को जायज ठहराने के लिए एक दलित लड़के का उपयोग करना चाहिए।

राजद समर्थक सोशल मीडिया पर सामाजिक न्याय की लड़ाई का दावा करते हुए छात्र राजद के हिंसक कार्रवाई को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। क्या सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने के कारण छात्र राजद को कुछ भी करने की छूट मिल जाती है? दूसरी तरफ वे दिव्यानंद की जाति पर बात कर रहे हैं। आखिर जाति देखने का मतलब क्या है? क्या दिव्यानंद ने कोई ब्राह्मणवादी उत्पीड़नकारी व्यवहार किया है?

 डॉ. योगेन्द्र तो पिछड़ी जाति से आते हैं। छात्र राजद की सामाजिक न्याय के साथ कैसी प्रतिबद्धता है कि सामाजिक न्याय के संघर्षों में सक्रिय भागीदारी करने वाले पिछड़ी जाति के एक बुद्धिजीवी के साथ घृणास्पद व्यवहार कर रहा है?

सवाल है कि छात्र राजद के सहयोग में सक्रिय अंग क्रांति सेना किस खास सवर्ण जाति का गिरोह है, उसके नेतृत्वकर्ता की जाति क्या है? अंग क्रांति सेना विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के कई मामलों के आरोपी एक कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य, जो एक खास सवर्ण जाति के हैं, के लिए काम करता है।

विधानसभा में लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ राजद की राजनीतिक कार्रवाई तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में असली चरित्र के साथ खड़ी है। बहुतेरों का आकलन है कि तेजस्वी यादव और राजद की राजनीति बदल रही है। अब देखना है कि तेजस्वी यादव भागलपुर के मामले में क्या करते हैं?

यह भी देखा जाना है कि विश्वविद्यालय के कुलपति कौन सा ठोस कदम उठाते हैं? जिससे कैंपस का बेहतर माहौल बने और ऐसे तत्वों पर शिकंजा कसा जाए।  यह भी दिखेगा कि नीतीश कुमार की पुलिस कितना बेहतर ढंग से अपनी जवाबदेही का पालन करती है, ताकि न निर्दोष फसें और न दोषी बचे!

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