देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना मरीज, मगर बिहार चुनाव की तैयारियां में व्यस्त

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा भले ही अभी संभावित तिथियों की घोषणा नहीं की गई हो, पर चुनाव की तैयारी में कोई कोताही नहीं की जा रही। राजनीतिक दल भी चुनावी अभियान में जुट गए हैं...

Update: 2020-06-09 10:26 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कोरोना संकट के बीच बिहार में चुनाव के लिए आयोग की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। चुनाव आयोग लगातार बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। आयोग ने निर्णय लिया है कि बिहार में इस बार ईवीएम के लेटेस्ट मॉडल एम 3 के माध्यम से मतदान कराया जाएगा। लिहाजा आवश्यक संख्या में एम 3 ईवीएम मशीन मंगाने की तैयारी की जा रही है।

सत्तासीन और विपक्षी दल भी चुनावी तैयारियों के लिए तैयारियां कर रहे हैं। भाजपा के गृहमंत्री बिहार चुनावों के मद्देनजर ही वर्चुअल रैली कर चुके हैं तो अन्य दल भी अलग अलग तरीकों से चुनाव के कमर कस रहे हैं। यह हाल तब है जबकि बिहार में भी कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है।

चुनाव आयोग के राज्य के मुख्य अधिकारी एच आर श्रीनिवास द्वारा पिछले हफ्ते राज्य के जिला पदाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक कर मतदाता सूची पुनरीक्षण, नए लोगों के नाम जोड़ने आदि का निर्देश दिया गया था।

अब ईवीएम के मॉडल 3 को दूसरे राज्यों से मंगाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। यूपी,एमपी और आंध्रप्रदेश से मॉडल 3 ईवीएम मंगाए जाने की योजना है। इन राज्यों में हाल के दो-तीन वर्षों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं और ये चुनाव लेटेस्ट मॉडल 3 ईवीएम से कराए गए थे। इसके लिए जिलों में मजिस्ट्रेट और आवश्यक पुलिसबल के तैनाती भी की जाएगी।

वैसे बिहार में पिछले वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और वर्ष 2015 का विधानसभा चुनाव मॉडल 2 वाली ईवीएम मशीनों से कराए गए थे, पर इस बार का चुनाव लेटेस्ट ईवीएम से कराए जाने की तैयारी है।

देश में ईवीएम का प्रयोग पहली बार वर्ष 1982 में हुआ था। तब से लेकर अबतक ईवीएम के तीन मॉडल सामने आ चुके हैं। इनमें से मॉडल 3 को सबसे लेटेस्ट और आधुनिक तकनीक से लैस बताया जा रहा है।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस ईवीएम में टैंपर डिटेक्शन का नया फीचर है,जो पुराने ईवीएम में नहीं होता था। इस फीचर के कारण ईवीएम में किसी तरह की छेड़छाड़ होने पर यह अपने आप काम करना बंद कर देता है। इसके अलावा लेटेस्ट सॉफ्टवेयर होने की वजह से एक तो तकनीकी खराबियां कम होती हैं और कुछ खराबियों को इसका सॉफ्टवेयर खुद से भी ठीक कर लेता है।

इसकी एक और खासियत बताई जा रही है कि किसी क्षेत्र में 300 उम्मीदवार होने पर भी इस मशीन से वोटिंग कराई जा सकती है, जबकि मॉडल 2 में सिर्फ 64 उम्मीदवारों तक ही वोटिंग हो पाती थी।

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा भले ही अभी संभावित तिथियों की घोषणा नहीं की गई हो, पर चुनाव की तैयारी में कोई कोताही नहीं की जा रही। राजनीतिक दल भी चुनावी अभियान में जुट गए हैं।

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