बिहार के विश्वविद्यालयों में होगा ऑनलाइन एडमिशन, सभी लंबित परीक्षाएं सितंबर तक हो जाएंगी

कोरोना लॉकडाउन के कारण बिहार में भी स्कूल-कॉलेज बन्द हैं। विद्यार्थियों को एक वर्ष बर्बाद होने का भय सता रहा है। इस बीच राज्यपाल फागु चौहान कुलपतियों के साथ बारी-बारी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर रहे हैं।

Update: 2020-06-15 13:15 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कोरोना लॉकडाउन और अनलॉक वन के कारण बिहार के कॉलेजों में कक्षाएं नहीं चल रहीं। एडमिशन और परीक्षाएं भी ठप्प हैं। विद्यार्थी उलझन में हैं कि कहीं उनका एक वर्ष बर्बाद न हो जाए। इन सबके बीच राज्यपाल, जो बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं, कुलपतियों के साथ वर्चुअल मीटिंग कर इसका समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। विभिन्न तिथियों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ हो चुकी मीटिंग के बाद कुछ तथ्य निकलकर सामने आए हैं।

यह निर्णय ले लिया गया है कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में अब ऑनलाइन एडमिशन ही होगा। अबतक की सभी लंबित परीक्षाएं सितंबर के पहले आयोजित कर लीन जाएंगी। इनके रिजल्ट सितंबर-अक्तूबर में जारी किये जायेंगे। परीक्षाओं के पहले ऑनलाइन इन्टरेक्टिव क्लासेज के जरिये विद्यार्थियों का सिलेबस पूरा कराया जायेगा। सिलेबस पूरा करने के लिए प्रतिदिन एक घंटे की शिक्षण अवधि बढ़ेगी। परीक्षाओं के आयोजन, प्रश्नपत्रों के चयन तथा उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर सभी विश्वविद्यालयों में एकरूप व्यवस्था होगी। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित होगी।

यह आदेश राज्यपाल फागू चौहान ने विश्वविद्यालयों को दिया है। वे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये अबतक पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय आदि की शैक्षणिक गतिविधियों की समीक्षा कर चुके हैं। वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में राज्यपाल के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पाण्डेय, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुलाब चन्द राम जायसवाल आदि ने भाग लिया था। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पाण्डेय जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति के भी प्रभार में भी हैं।

राज्यपाल फागू चौहान ने कुलपतियों को निर्देश दिया है कि परीक्षाएं यूजीसी के मार्ग-निर्देशों के अनुरूप संचालित करें। इस वर्ष आयोजित होने वाली परीक्षाओं को इस तरह व्यवस्थित करें कि अगला एकेडमिक सेशन समय से शुरू हो सके।  कुलपतियों को हिदायत दी गयी है कि किसी भी परिस्थिति में स्नातक प्रथम वर्ष में सीट से ज्यादा नामांकन न हो। सीट से ज्यादा नामांकन हुआ, तो संबंधित कॉलेजों के प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनके खिलाफ काररवाई अनुशंसा करें।

जिन कॉलेजों को क्वाइंटाइन सेंटर बनाया गया है, उसे जिला प्रशासन के सहयोग से सेनाटाइज करने के बाद वर्ग या परीक्षा संचालन के लिए उपयोग में लाने के निर्देश दिये गये हैं। इस कार्य में जरूरत पडऩे पर विश्वविद्यालय-महाविद्यालय अपनी निधि से भी राशि खर्च कर सकते हैं।

सहायक प्राध्यापकों की रिक्तियां रोस्टर क्लीयरेंस कराते हुए यथाशीघ्र शिक्षा विभाग को भेजने का निर्देश भी विश्वविद्यालयों को दिया गया है। जिन शैक्षणिक संस्थाओं का नैक मूल्यांकन हो चुका है, उन्हें और बेहतरी के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया गया है। राज्यपाल श्री चौहान ने कहा कि ऑनलाइन टीचिंग की समुचित व्यवस्था बहाल करने के लिए जरूरत हो, तो अन्य राज्य के किसी उत्कृष्ट विश्वविद्यालय में अध्ययन दल भेजें।

ऑनलाइन डिग्री वितरण एवं नेशनल एकेडमिक डिपोजिटरी की व्यवस्था बहाल करने की दिशा में ठोस पहल का निर्देश भी विश्वविद्यालयों को दिया गया है। वेबसाइट पर ऑनलाइन लेक्चर्स अपलोड करने के साथ ही और भी कई निर्देश विश्वविद्यालयों को दिये गये हैं।

बिहार के विश्वविद्यालयों की स्थिति पहले से ही चरमराई हुई है। विश्वविद्यालय सिर्फ नामांकन, परीक्षा और डिग्री देने वाले केंद्र की भूमिका में आ चुके हैं। पठन-पाठन की व्यवस्था ध्वस्त है तो विद्यार्थी भी कॉलेजों में आना नहीं चाहते। समय-समय पर राज्यपाल ऐसे बैठक कर समीक्षा करते रहते हैं। समीक्षा के क्रम में निर्देश भी जारी होते हैं, पर स्थिति अबतक वही है। कई विश्वविद्यालयों में सेशन भी लेट चल रहे हैं। कोरोना काल मे लॉकडाउन के कारण नामांकन, परीक्षा और रिजल्ट का कार्य भी ठप्प होने के कारण इन विश्वविद्यालयों के सेशन और लेट होने की आशंका से विद्यार्थी भी घबराए हुए हैं।

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