साइबर अपराधियों ने बिहार पाॅवर होल्डिंग कंपनी की फर्जी वेबसाइट बना कर निकाल दिए इंजीनियर की बहाली के विज्ञापन
हाल के समय में इस तरह के कुछ और मामले सामने आए हैं। साइबर अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि अब वे सरकारी कंपनियों की फर्जी वेबसाइट बनाकर बहाली के विज्ञापन निकालने लगे हैं।
जनज्वार ब्यूरो, पटना। साइबर अपराधियों के नित नए कारनामे अक्सर सामने आते रहते हैं। जालसाजी कर लोगों के बैंक खातों से पैसे निकाल लेने, लोगों के डेबिट और क्रेडिट कार्डों और सोशल मीडिया एकाउंट को हैक कर लेने के मामले तो अक्सर सामने आते रहते हैं, पर बिहार में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां साइबर अपराधियों ने सरकारी बिजली कंपनी बिहार पाॅवर होल्डिंग कंपनी की फर्जी वेबसाइट बना कर इंजीनियर और क्लर्क की बहाली के विज्ञापन ही निकाल दिए।
इसके पीछे इन अपराधियों की मंशा क्या है, यह तो इनके पकड़ में आने के बाद ही स्पष्ट होगा पर सोशल मीडिया पर यह विज्ञापन वायरल हो गया था।
फर्जी वेबसाइट पर बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी की आनुषंगिक कंपनियों में विभिन्न पदों पर थोक में बहाली शुरू होने की सूचना दी गई थी। असिस्टेंट इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, कनीय लेखा लिपिक क्लर्क, प्रबंधक आदि के पदों पर बहाली का विज्ञापन निकाल कर योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित कर दिया गया था, जबकि बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी द्वारा इस तरह की किसी भी बहाली की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
बिहार में नौकरियों में बहाली में गड़बड़ी के मामले भी अक्सर सामने आते रहते हैं। बहाली माफियाओं ने लगभग एक सप्ताह पूर्व ही बिहार विधान परिषद के गेट पर विधान परिषद में विभिन्न पदों पर बहाली हेतु फर्जी रिज़ल्ट चिपका दिया था। मामला सामने आने के बाद विधान परिषद सचिवालय ने इसे फर्जी करार दिया था। इसे लेकर कानूनी कार्रवाई अभी चल रही है। लगभग डेढ़ माह पूर्व बिहार बोर्ड द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति हेतु ली गई एसटीईटी की परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया था परीक्षा के दौरान गड़बड़ी का हवाला देते हुए लगभग एक पखवाड़ा पूर्व इसे रद्द कर दिया गया है। बीपीएससी द्वारा उच्च पदों पर बहाली के लिए ली गई परीक्षाओं के रिजल्ट को भी अक्सर न्यायालयों में चुनौती दी जाती रही है।
मामला प्रकाश में आने के बाद बिहार स्टेट पाॅवर होल्डिंग कंपनी के प्रशाखा पदाधिकारी द्वारा पटना के कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया गया है। अब पुलिस और बिहार पुलिस की साइबर सेल इन साइबर अपराधियों का सुराग लगाने में जुटी हुई है। इनके पकड़ में आने के बाद ही सारा ख़ुलासा हो पाएगा। इधर इस विज्ञापन के फर्जी के तौर पर सामने आने के बाद जो अभ्यर्थी इस विज्ञापन के आधार पर आवेदन करने और नौकरी पाने की लालसा में थे, वे निराश हो गए हैं।