पुलिस हाजत में पिटाई से इंजीनियर की मौत मामले में आरोपित थानाध्यक्ष बर्खास्त
24 अक्टूबर को बिहपुर थाने की हाजत में इंजीनियर आशुतोष को बंद कर पुलिस ने कथित तौर पर पिटाई की थी, इसके बाद अगले ही दिन 25 अक्टूबर को इलाज के दौरान आशुतोष की मौत हो गई थी...
जनज्वार ब्यूरो, पटना। हाजत में बंद कर पुलिस द्वारा कथित रूप से पिटाई के कारण इंजीनियर की मौत मामले में आरोपित थानाध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया गया है।लगभग डेढ़ माह पूर्व मामूली सी बात को लेकर इंजीनियर आशुतोष की पिटाई के आरोप में भागलपुर जिला के बिहपुर थाने के पूर्व थानाध्यक्ष रंजीत कुमार मंडल को बर्खास्त किया गया है। इंजीनियर की मौत मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था और इसे लेकर विपक्षी दलों ने लगातार राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे।
भागलपुर प्रक्षेत्र के डीआईजी सुजीत कुमार द्वारा आरोपित तत्कालीन थानाध्यक्ष के खिलाफ एक्शन लेते हुए बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया गया है। आरोप है कि विगत 24 अक्टूबर को बिहपुर थाने की हाजत में आशुतोष कुमार पाठक को बंद कर पुलिस ने कथित तौर पर पिटाई की थी। इसके बाद अगले ही दिन 25 अक्टूबर को इलाज के दौरान आशुतोष की मौत हो गई थी।
घटना के बाद काफी बवाल मचा था और मृतक के परिजन लगातार आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रहे थे। मामला के तूल पकड़ने के बाद से ही आरोपित थानाध्यक्ष रंजीत कुमार मंडल फरार चल रहे थे। डीआईजी सुजीत कुमार ने बताया है कि बिहपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि पूर्व थानाध्यक्ष पर लगे आरोप बेहद गंभीर किस्म के थे। थानाध्यक्ष के फरार होने की स्थिति में विभागीय कार्रवाई का संचालन भी मुश्किल हो रहा था। डीआईजी ने बताया कि ऐसे में सर्विस मैन्युअल के अनुच्छेद 311 का प्रयोग करते हुए एक्शन लिया गया है।
घटना भागलपुर जिला के बिहपुर थाना की है। घटना उस वक्त हुई थी, जब इंजीनियर आशुतोष पाठक अपने परिवार के साथ बाइक पर कहीं से अपने घर लौट रहे थे। सड़क पर बैरिकेडिंग को लेकर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों के साथ उनकी बहस हो गई थी। इसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष रंजीत कुमार मंडल ने आशुतोष को थाने ले जाकर हाजत में बंद कर दिया था। हाजत में ही कथित रूप से आशुतोष की बेरहमी से पिटाई की गई, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी।
इससे पहले बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिसकर्मियों द्वारा इंजीनियर आशुतोष की पुलिस पिटाई से मौत मामले में संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार को सख्त निर्देश दिए थे। आयोग ने मृतक के परिजनों को सात लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। आयोग ने इस घटना पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सभ्य समाज में इस तरह की घटना अस्वीकार्य है।
आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में सरकार को दोषी पुलिसकर्मियों को ऐसा कठोर दंड देना चाहिए जिससे भविष्य में कोई पुलिसकर्मी ऐसा करने का दुस्साहस न कर सके। आयोग ने यह भी कहा था कि सरकार चाहे तो मुआवजे की राशि दोषी पुलिसकर्मियों से वसूल कर सकती है।