बाढ़ ने किया विस्थापित, बांध व सड़क किनारे शरण ली तो बारिश बन गई विलेन
बिहार के बाढ़ पीड़ितों के समक्ष पिछले 3-4 दिनों से दोहरा संकट आ गया है। बारिश में प्लास्टिक-तिरपाल की अस्थायी छतें नाकाम हो गईं हैं और भोजन पकाने पर भी आफत हो गई।
जनज्वार ब्यूरो, पटना। एक तो बाढ़ ने घर बार छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बांध आदि पर शरण ली। तिरपाल, प्लास्टिक की छत बनाई और फूस की दीवार, पर बारिश विलेन बन गई। बाढ़ पीड़ितों के लिए खाना पकाना भी मुश्किल हो गया। पीने के पानी का भी संकट है। बिहार के अधिकांश बाढ़ पीड़ितों की पिछले तीन-चार दिनों की यही रामकहानी है।
बिहार के 8 जिलों में बाढ़ का प्रकोप है। इसी बीच पिछले 3-4 दिनों से बारिश भी हो रही थी। नतीजा बांधों पर और सड़क किनारे शरण लिए बाढ़ पीड़ितों के लिए यह दोहरे संकट की घड़ी है। बाढ़ पीड़ित परिवारों के चूल्हों पर भी पानी फेर गयी बारिश।
विस्थापित परिवारों ने यह नहीं सोचा था कि बाढ़ की विभीषिका के बीच बारिश कोढ़ में खाज की तरह परेशानी का सबब बन जायेगी। लगातार हो रही बारिश ने न सिर्फ उनके बसेरा बल्कि जीविका पर भी आफत खड़ा कर दिया है।
मुजफ्फरपुर जिला में बारिश एवं बाढ के कारण औराई-कटरा के प्रभावित क्षेत्रों में रविवार की रात और सोमवार को सैकड़ों विस्थापित परिवारों का चूल्हा नहीं जला। चूड़ा-नमक या चूड़ा-मीठा खाकर लोग समय काट रहे हैं। सैकड़ों विस्थापित परिवार बागमती बांध पर डेरा डाले हुए हैं। किसी ने झोपड़ी बनाया है, तो किसी ने प्लास्टिक टांग रखा है। खाना बनाने का सभी स्थान बारिश से गीला हो चुका है। जलावन भींग चुका है। किसी-किसी के पास गैस है, लेकिन झोपड़ी से पानी गिरने के कारण खाना नहीं बन पा रहा है। आखिरी ये बाढ़ पीड़ित क्या करें।
इन्हें अपने भोजन के साथ पशु के भी भोजन की चिंता है। औराई प्रखंड के नयागांव, वभनगवा, मथुरापुर बुजुर्ग, महेशवारा, सरहचिया आदि पंचायतों के बाढ पीडित बागमती नदी के दोनों बांधों पर डेरा डाले हुए हैं। इन लोगों को पेयजल का भी संकट है, पीने का पानी दूर-दराज से लाना पड़ता है। रात्रि में रोशनी के अभाव के कारण लोग रतजगा करते हैं, सांप बिच्छू का भी लोगों को भय बना हुआ है। वहीं जंगली सूअर भी बाढ़ पीड़ितों को परेशान कर रहे हैं।
औराई, कटरा प्रखंड के दो दर्जन पंचायतों की तकरीबन एक लाख की आबादी बाढ़ और बारिश दोनों का मुकाबला कर रही है। जदयू नेता बेचन महतो ने सरकार से मांग की है कि जहां-जहां विस्थापित परिवार हैं, वहां राहत कैंप लगाया जाए। दोनों बांध पर हेल्थ कैंप, रोशनी की व्यवस्था की जाए। राहत शिविर में सुबह-शाम भोजन की व्यवस्था भी करवाई जाय।
उधर सीतामढ़ी जिला के परिहार और बोखरा क्षेत्र में लगातार दो दिनों तक हुई बारिश के कारण प्रखंड से गुजरने वाली मरहा एवं हरदी नदी एक बार फिर से उफना गई है। जिससे प्रखंड क्षेत्र के करीब आधा दर्जन पंचायतों के एक दर्जन गाँव की लगभग तीस हजार की आबादी प्रभावित होने की सूचना है। इनमें से कई गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। प्रखंड कार्यालय परिसर में भी पानी प्रवेश कर गया है।
कई जगहों पर सड़क के ऊपर पानी का बहाव हो रहा है। जिसके कारण लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। सरेह पूरी तरह जलमग्न हो गया है। जिसके कारण फसलों को भारी क्षति की सूचना है। परिहार-भिसवा पथ पर विष्णुपुर एवं चांद टोला के समीप सड़क के ऊपर पानी बह रहा है। अधगांईं एवं रमनैका पथ पर मैसहा मोड़ के समीप सड़क के ऊपर पानी का बहाव जारी है। प्रखंड के एकडंडी, अमुआ, रमनैका, जगदर, लहुरिया, खुरशाहा, महुआबा, महादेवपट्टी, परसा, इंदरबा, बाया, फुलहट्टा, मलाही, विष्णुपुर, मझौरा आदि गांव के निचले इलाकों में पानी फैल गया है। जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। कई घरों में पानी घुसने की भी सूचना है।
लगभग यही हाल बिहार के बाढ़ प्रभावित उन जिलों के विस्थापितों का है, जहां बारिश हो रही है। बिहार में बाढ़ से मोतिहारी, बेतिया, सारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्णिया, दरभंगा आदि जिले प्रभावित हैं। बाढ़ से इन जिलों की लाखों की आबादी कठिनाई में है।