जरूरी सामान ले तटबंधों पर जा रहे हैं बाढ़ पीड़ित, चिंता है कि माल-मवेशियों के चारे का कैसे हो इंतजाम

इन लोगों को सबसे बड़ी परेशानी मवेशियों के चारे की हो रही है। खेतों में पानी भरा है और भूसा रखने वाले भुसवल भी पानी में डूब चुके हैं।

Update: 2020-07-24 04:43 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। सारण जिले में भी बाढ़ से धीरे-धोरे बड़ी आबादी प्रभावित होती जा रही है। गंडक में उफान से पानापुर और तरैया प्रखंडों के कई गांवों में पानी घुस गया है। सैकड़ों लोग सारण तटबंध पर शरण लिए हुए हैं। प्रशासन द्वारा दो-तीन स्थानों पर राहत कैंप की भी व्यवस्था की गई है। बाढ़ पीड़ितों के समक्ष अभी सबसे बड़ी समस्या पशुओं के चारे की हो गई है, चूंकि खेतों में पानी भरा है और भुसवल में रखे भूसा आदि भी पानी में डूब चुके हैं।

बांध के पूर्वी क्षेत्र के गांव सगुनी शामपुर, अरदेवा, जिमदहा, राजवाड़ा, उसरी, फरीदनपुर, शितलपुर, माधोपुर, मल्लाह टोली, भलुआ, शंकरडीह, बनिया, हसनपुर, चंचलिया, राजधानी, रसीदपुर, मौलनापुर, टिकमपुर, मंझोपुर, भटगाई आदि गांव पहले से पानी से घिरे हुए थे। अब गंडक का जलस्तर बढऩे के कारण इन गांवों ने पानी और ज्यादा बढ़ गया है। जिससे लोग अब अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हो रहे है। बहुत से लोग उंचे स्थानों पर शरण लिये हुए हैं।

इधर बांध के पश्चिमी क्षेत्र के गांव डुमरी, मुकुन्दपुर, नवरत्नपुर, चांदपुरा, अंधरबाड़ी, सिरमी, शीतलपट्टी, सानी, खराटी चैनपुर, गलिमापुर, चकिया, सिरमीटोला, पोखरेड़ा, लौवा, आकुचक पट्टी, पचरौर, भगवतपुर, नारायणपुर, रामपुर, महेश, रामपुर केशव, फरीदपुरा सरेया, सरेया रत्नाकर, डेवढ़ी, भटौरा आदि गांव खदरा नदी गडक़ी नदी, मही नदी एवं डबरा नदी के जलस्तर में हो रहे लगातार वृद्धि से प्रभावित हैं। इन गांवों के किसानों के धान की फसल एक सप्ताह पहले ही डूब गई है।

गंडक बराज का पानी विभिन्न स्त्रोतों से इन नदियों तक भी पहुंच रहा है। जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। खदरा नदी का पानी तरैया से शीतलपट्टी जाने वाली ग्रामीण सडक़ को पार कर रामाकोला में गिर रहा है। जिससे हरखपुरा एवं रामकोला तथा खदरा किनारे बसे तरैया गांव के लोग प्रभावित है।

माधोपुर पंचायत के मुखिया सुशील कुमार सिंह, चंचलिया मुखिया सीमा कुमारी गुप्ता, डुमरी मुखिया प्रतिनिधि धनवीर कुमार सिंह विकु, नारायणपुर मुखिया तारकेश्वर राय ने बताया कि बांध के पूरब जो गांव गंडक के पानी से घिर गये है। उन गांवों के पशुपालकों के सामने चारा संकट एक गंभीर समस्या है। इन गांवों में पेयजल एवं लोगों के बीच शौचालय की भी समस्या है।

सारण डीएम सुब्रत कुमार सेन, एसपी हर किशोर राय, एसडीओ विनोद कुमार तिवारी, बीडीओ राकेश कुमार, सीओ वीरेन्द्र मोहन एवं थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने सारण तटबंध के किनारे बसे गांवों का निरीक्षण किया और लोगों को एलर्ट किया।

डीएम ने स्थानीय पदाधिकारियों से कहा कि नेपाल द्वारा गंडक बराज से ५ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद इन क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना बढ़ गयी है। इसलिए आप सभी आवश्यक तैयारी पूर्ण कर लीजिए उन्होंने सीओ को राहत कैम्प खोलने का निर्देश दिया।

सीओ वीरेन्द्र मोहन ने बताया कि सगुनी में राहत शिविर खोल दिया गया है। जिसमें प्रभावित लोगों को नि:शुल्क भोजन कराया जा रहा है तथा नाव एवं अन्य आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है।

उधर पानापुर में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। पिछले 36 घंटे से गंडक नदी का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति गंभीर हो गयी है।कल तक जो लोग घरों में कैद थे वे भी अब सुरक्षित जगहों की ओर जाने को मजबूर हो गए है।गंडक नदी के निचले इलाकों में बसे पृथ्वीपुर ,सलेमपुर ,बसहिया, उववा ,रामपुररूद्र आदि गांवों के सभी घरों में पानी प्रवेश कर गया है।

लोग अपने सामानो को समेट सारण तटबंध पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। लोगो को सबसे बड़ी समस्या पशुओं के चारे की है क्योंकि अधिकांश भुसौल बाढ़ के पानी मे डूब गये हैं। बाढ़ पीड़ितों द्वारा सारण तटबंध पर ठहरने एवं मवेशियों के बांधे जाने से आवागमन में भी कठिनाई हो गयी है।

सोमवार की सुबह नेपाल द्वारा वाल्मीकिनगर बराज से चार लाख चालीस हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से उत्पन्न संकट से लोग अभी संघर्ष कर ही रहे थे कि गुरुवार की सुबह दो लाख बारह हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना से बाढ़ पीड़ितों में दहशत व्याप्त हो गया है। इस बीच प्रशासनिक स्तर पर पृथ्वीपुर ,सलेमपुर ,बसहिया एवं कोंध स्थित विद्यालय में राहत शिविर चलाया जा रहा है, जहां बाढ़ से विस्थापित लोगो के रहने एवं खाने की व्यवस्था की गयी है।वही एनडीआरएफ की टीम भी मथुराधाम घाट पहुँची एवं प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण किया।

Tags:    

Similar News