बाढ़ के पानी मे डूबा है स्टेट हाइवे, खतरों से खेलते हुए आ-जा रहे लोग

बंगरा के रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि पानी के उस पार कई गांव डूबे पड़े हैं, जहां मवेशी चारा के लिए लोग सुबह शाम आते जाते हैं, मगर सरकार की तरफ से कोई भी सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है, न ही कोई स्थानीय प्रतिनिधि इस पर ध्यान दे रहे....

Update: 2020-08-29 01:30 GMT

खतरों से खेलते हुए लोग आवागमन को हैं मजबूर

जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में बाढ़ से हालात अभी भी ज्यादा सुधरे नहीं हैं। बाढ़ से प्रभावित ज्यादातर इलाकों में पानी अभी भी उतरा नहीं है। सारण में रेल ओवरब्रिज के नीचे सड़क पूरी तरह डूबी हुई है और लोग रोजाना खतरों के बीच आ-जा रहे हैं, पर एक अदद नाव तक की भी व्यवस्था नहीं  है। इस ओवरब्रिज का निर्माण भी कछुए की गति से हो रहा है।

सारण के मशरक-महाराजगंज रेलवे लाईन पर मशरक थाना क्षेत्र के चैनपुर गांव के पास रेल ओवरब्रिज के नीचे बाढ़ का पानी स्टेट हाइवे पर चढ़ा हुआ है। यह छपरा-मशरक-महम्मदपुर एस एच- 90 है, जिस पर पिछ्ले एक महीने से प्रतिदिन  स्थानीय लोग इस डूबने लायक पानी को पार कर आते जाते रहते हैं।

गांव के युवाओं द्वारा जुगाड़ के प्लास्टिक ड्रम के नाव से लोगों को पार कराया जाता था। लोग रोज जान जोखिम में डालकर छाती भर पानी मे डियूटी करने या अन्य काम से आते-जाते थे। रोगी छोटे बच्चे सहित अन्य राहगीरों को भी इसी तरह पार कराया जाता था। हालांकि स्थानीय लोगों के विरोध के बाद इसे बंद करा दिया गया है।

अब प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पैदल ही मशरक बाजार करने जाते हैं। मजदूर तबके के लोग ऐसे ही काम पर जाते हैं और शाम तक काम समाप्त कर लौटने को मजबूर हैं।

स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधियों समेत प्रखंड अधिकारियों को भी इस मामले में जानकारी दी पर यहां प्रशासन के द्वारा एक नाव की भी सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है। जिससे लोगों मेआक्रोश व्याप्त है।

स्थानीय कुंदन सिंह कहते हैं 'रेलवे द्वारा मशरक-महाराजगंज रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज का निर्माण का टेंडर निकाल कर निर्माण शुरू कर दिया गया था, पर कार्य कछुए की गति से चल रहा है। एस एच-90 के निर्माण के दौरान रेलवे ओवरब्रिज कंपनी के निर्माण की वजह से दोनों तरफ नीचे सड़क का निर्माण अधूरा रहा जिससे यहा बड़े बड़े-बड़े गड्ढे बन गए।

मुखिया संघ के अध्यक्ष अमर सिंह कहते हैं कि बाढ़ का पानी सड़क पर चढ़ गया, जिससे आने-जाने वालों को जान जोखिम में डालकर आना-जाना पड़ता है।

बंगरा के रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि पानी के उस पार दर्जनों गांव डूबे पड़े हैं, जहां कम से कम पैदल ही मवेशी चारा के लिए सैकड़ों लोग सुबह शाम आते जाते हैं। मगर सरकार की तरफ से कोई भी सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है। न ही कोई स्थानीय प्रतिनिधि इस पर ध्यान दे रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले टैक्टर से मोटरसाइकिल, साइकिल और पैदल राहगीर को पार कराया जा रहा था, पर पुलिस ने खतरे को ध्यान में रखते हुए बन्द करवा दिया। अब तो उससे भी ज्यादा जोखिम भरा काम हो रहा है। पैदल चलकर छोटे बच्चे ,बुजुर्ग, महिला ,बीमार लोग पार कर रहे हैं और इस पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

उपप्रमुख साहेब हुसैन टुनटुन कहते हैं कि यदि समय रहते इस पर रोक नही लगाया गया तो किसी दिन बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले बंगरा पंचायत के मुखिया द्वारा एक नाव उपलब्ध कराया गया था, पर वह नाव कब चलती है, यह किसी को पता नहीं।

बहरौली पंचायत के मुखिया अजीत सिंह, कुंदन सिंह, रंजन कुमार सिंह, बीडीसी सदस्या कुमारी सविता आदि ने सरकार से मांग की है कि सड़क की मरम्मत कराकर इसे चलने लायक बनाया जाए।

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