मेवालाल प्रकरण को लेकर जदयू का तेजस्वी पर हमला, खुद हैं आरोपित और नैतिकता की बात कर रहे

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि मेवालाल चौधरी को लेकर वे तेजस्वी यादव आरोप लगा रहे हैं, जो खुद कई मामलों में आरोपित हैं और नेता प्रतिपक्ष बने हुए थे...

Update: 2020-11-21 13:15 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। पदभार संभालने के कुछ ही देर बाद शिक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके मेवालाल चौधरी को लेकर विपक्षी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव आक्रामक हैं। अब जेडीयू ने इस प्रकरण को लेकर उनपर ही हमला बोल दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि मेवालाल चौधरी को लेकर वे तेजस्वी यादव आरोप लगा रहे हैं, जो खुद कई मामलों में आरोपित हैं और नेता प्रतिपक्ष बने हुए थे।

उन्होंने कहा कि एक आरोपित को दूसरे आरोपित के मामले पर बोलने का कोई नैतिक हक है क्या? उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी का शुरू से ही स्टैंड रहा है कि न तो किसी को फँसाएंगे न बचाएंगे।

पटना में बुलाए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हमेशा यही मानना रहा है कि राजनीति में शुचिता होनी चाहिए। किसी के विरुद्ध कोई गंभीर आरोप है तो उसे पाक साफ साबित होने तक राजनीति की मुख्यधारा में नहीं रहना चाहिए। इसी सोच के तहत पूर्व में जीतनराम मांझी, रामाधार सिंह आदि का भी इस्तीफा लिया गया था। जब वे पाक साफ साबित हुए तो राजनीति की मुख्य धारा में वापस भी हुए।

मेवालाल प्रकरण की चर्चा करते हुए वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इस्तीफा देकर मेवालाल चौधरी ने एक उदाहरण पेश किया है। जबकि तेजस्वी यादव खुद आरोपित होने के बावजूद दूसरे पर अंगुली उठा रहे हैं, यह आश्चर्यजनक है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मंत्री अशोक चौधरी ने मेवालाल प्रकरण के घटनाक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि मेवालाल चौधरी ने बीते 16 नवंबर को शपथ ली थी। 17 नवंबर को संबंधित एसपी ने अभियोजन स्वीकृति की मांग की, इसकी जानकारी 18 नवंबर को हमारे नेता को हुई। जानकारी होने के बाद 19 नवंबर को उनसे इस्तीफा ले लिया गया।

उन्होंने कहा कि हमारे नेता से सार्वजनिक जीवन में जिस आचार की लोग आशा करते हैं, उसपर वे 15 साल से खतरे उतरते आ रहे हैं। जबकि लोग हमारे ऊपर सवाल उठा रहे हैं और कह रहे है कि मेरे दबाव में इस्तीफा लिया गया। लेकिन यह वास्तविकता है कि नीतीश कुमार ने 15 साल में इस तरह के 6 मंत्रियों को इस्तीफा लिया है। जब वे लोग पाक साबित हुए तो फिर से राजनीति की मुख्य धारा में वापस आए। 

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