जानें क्या है चारा घोटाले से भी बड़ा 1600 करोड़ का सृजन घोटाला, मुख्य आरोपित की संपत्ति की गई जब्त

इस बहुचर्चित घोटाले का नाम 'सृजन घोटाला' इसलिए रखा गया क्योंकि कई सरकारी विभागों की रकम विभागीय खातों में नहीं जाती थी या जाती भी थी तो वहां से निकालकर एनजीओ के खाते में जमा कर दी जाती थी...

Update: 2020-12-11 04:47 GMT

File photo

जनज्वार ब्यूरो, पटना। सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने मुख्य आरोपित दंपति के घर कुर्की जब्ती की है। कुर्की-जब्ती की कार्रवाई में सीबीआई ने मुख्य आरोपित अमित कुमार और उसकी पत्नी रजनी प्रिया की 2.62 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है। बिहार के इस बहुचर्चित घोटाले के आरोपित दंपति के कीमती मकान और जमीन को जब्त कर लिया गया है।

बिहार के भागलपुर जिले के नाथनगर, जगदीशपुर और सबौर अंचल में सीबीआई ने जब्ती की कार्रवाई की है। इससे पहले सृजन घोटाले के मुख्य आरोपियों के घर कुर्की जब्ती के लिए सीबीआई ने स्थानीय जिला प्रशासन को सूचित किया था।

जब्ती की कार्रवाई कई जगहों पर चली और विभिन्न जगहों पर होने वाली कार्रवाई के लिए अलग-अलग पुलिस बल और दंडाधिकारी नियुक्त किए गए थे। कार्रवाई के दौरान हंगामा होने की संभावना को देखते हुए तीनों प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी के साथ भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी थी।

इसके साथ ही कोतवाली थाना, तिलकामांझी थाना, इशाकचक थाना, जोगसर टीओपी , ओद्योगिक थाना , ओद्योगिक थाना , नाथनगर और सबौर थाना के थानेदार को संपत्ति जब्त होने के पश्चात रिसीवर के रूप में मौके पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए थे। उधर सबौर के अंचलाधिकारी ने कहा कि उनके अंचल क्षेत्र में शुक्रवार को आरोपितों की संपत्ति जब्त करने की कारवाई होगी।

साल 2019 में दोनों फरार घोषित हुए थे

इससे पहले 1600 करोड़ के सृजन घोटाले में सीबीआई ने साल 2019 के अक्टूबर माह में मुख्य आरोपित मनोरमा देवी के बेटे-बहू को फरार घोषित करते हुए उनके घरों पर इश्तेहार चस्पा किया था। मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहु रजनी प्रिया को फरार घोषित करते हुए उनके घर के अलावा भागलपुर में एटीएम, थाना, स्टेशन, पोस्टऑफिस सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर उनके फरार होने का इश्तेहार चस्पा किया गया था। घोटाले के सामने आते ही दोनों पति पत्नी फरार हो गए थे। दोनों के विदेश भागने की आशंका जताई जा रही थी।

अपने आप में अनूठा है सृजन घोटाला

साल 2017 के अगस्त माह में यह घोटाला उजागर हुआ था, जब भागलपुर के तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे का साइन किया हुआ चेक संबंधित बैंक ने वापस कर दिया था। बैंक ने जानकारी दी थी कि सरकारी खाते में पर्याप्त रकम नहीं है। इसके बाद  डीएम ने एक जांच केेमेटी बना दी थी। कमेटी ने चांज रिपोर्ट सौंपी तो पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ़ बड़ौदा स्थित सरकारी खातों में पैसे ही नहीं हैं। जांच कमेट की रिपोर्ट के बाद डीएम ने मामले से जुड़ी पूरी जानकारी राज्य सरकार को दी और इसके बाद परत दर परत सृजन घोटाले की सच्चाई सामने आने लगी थी।

बैंक में नहीं, NGO में जमा होता था सरकारी पैसा

इस बहुचर्चित घोटाले का नाम 'सृजन घोटाला' इसलिए रखा गया क्योंकि कई सरकारी विभागों की रकम विभागीय खातों में नहीं जाती थी या जाती भी थी तो वहां से निकालकर 'सृजन महिला विकास सहयोग समिति' नाम के एनजीओ के छह खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी। फिर इस एनजीओ के कर्ता-धर्ता जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसे को इधर-उधर कर देते थे। इसके बाद बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध इकाई को इस घोटाले के खुलासे की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। बाद में सीबीआई को जांच की जिम्मेदारी दी दी गई थी।

44 आरोपितों के खिलाफ दी जा चुकी है चार्जशीट

सृजन घोटाले के तीन मामलों में सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया, संचालिका रहीं मनोरमा देवी और उनके बेटे अमित कुमार समेत 44 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने सितंबर 2019 में पटना सिविल कोर्ट के विशेष न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। इन तीनों मामलों में जिन 44 लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, डूडा, कल्याण व सहरसा विशेष भू-अर्जन कार्यालय के अफसर व कर्मचारी शामिल हैं।

कौन-कौन हैं आरोपित

आरोपितों में स्वयंसेवी संस्था सृजन की अध्यक्ष शुभ लक्ष्मी प्रसाद, मैनेजर सरिता झा, संयोजक मनोरमा के पुत्र अमित कुमार, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक नैयर आलम, पूर्व मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक दिलीप कुमार ठाकुर, डूडा के कार्यपालक अभियंता नागेंद्र भगत, रंजन कुमार समैयार, मनोज कुमार आदि शामिल हैं।

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