Kartikeya Singh News: भाजपा के बाद अब महागठबंधन के सहयोगी भाकपा माले ने उठाया सवाल, कानून मंत्री का बने रहना अनुचित
Kartikeya Singh News: बिहार में महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार के सरकार बनाते ही भाजपा लगातार हमलावर है। एक बार फिर बिहार में जंगलराज कायम होने का आरोप लगानेवाली भाजपा को बैठे बैठाये कानून मंत्री का मुददा मिल गया है।
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
Kartikeya Singh News: बिहार में महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार के सरकार बनाते ही भाजपा लगातार हमलावर है। एक बार फिर बिहार में जंगलराज कायम होने का आरोप लगानेवाली भाजपा को बैठे बैठाये कानून मंत्री का मुददा मिल गया है। नवगठित सरकार में आरजेडी विधायक कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाया गया है, जो न्यायालय का भगोड़ा है। इस बीच भाजपा के बाद अब महागठबंधन के सहयोगी भाकपा माले ने भी सवाल उठाते हुए कानून मंत्री को हटाने की मांग की है। सरकार में हिस्सेदार महागठबंधन के तीसरे बड़े दल के रूप में भाकपा माले शामिल है। कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को बनाने के सवाल पर भाकपा माले ने एतराज जताते हुए सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में अब देखना है कि कानून मंत्री से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कब तक पीछा छुड़ाते हैं।
नीतीश और तेजस्वी सरकार में एक दिन पहले जिस कार्तिकेय सिंह ने कानून मंत्री पद की शपथ ली है, वो कानून की नजर में भगोड़े हैं। नये कानून मंत्री के लिए अपहरण मामले में गैर जमानती वारंट जारी है। ऐसे में आरजेडी कोटे से वो कैसे कानून मंत्री बन ये अपने आप में हास्यास्पद बात है। ताज्जुब की बात तो यह है कि मंगलवार को जिस समय वह कानून मंत्री पद की शपथ ले रहे थे उस समय कोर्ट में पेशी पर होना चाहिए था। इस मसले पर कल उनकी कोर्ट में पेशी की डेट भी लगी थी।
यह बात सामने आते ही भाजपा ने सरकार पर अपना हमला तेज कर दिया। कल तक सरकार में साझेदार रही भाजपा को नवगठित सरकार से जंगलराज कायम होने का भय सताने लगा है। महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार के सरकार बनाने को अवसरवाद कराते हुए भाजपा ने राज्यभर में विरोध प्रदर्शन भी किया। इसके बाद कार्तिकेय सिंह का मामला सामने आते ही जंगलराज की बात साबित करने का भाजपा को एक और अवसर मिल गया है।
उधर सरकार में शामिल महागठबंधन के घटक दलों में आरजेडी के बाद दूसरे बड़े सहयोगी के रूप में भाकपा माले शामिल है। जिसके राज्य में 12 विधायक हैं। भाकपा माले ने भी सरकार से कार्तिकेय सिंह को मंत्री बनाने का विरोध करते हुए हटाने की मांग की है। भाकपा-माले के बिहार के राज्य सचिव कुणाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से अपहरण के एक मामले में उनके मंत्री पद पर पुनर्विचार करने की मांग की है। कहा है कि ऐसे लोगों के मंत्री पद पर रहने से सरकार की छवि धूमिल होती है। उक्त आशय का पत्र मुख्य मंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्य मंत्री तेजस्वी यादव को दिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा इस मसले पर भाजपा को कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा ने योगी जैसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना कर रखा है जिन पर दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं, ना केवल योगी बल्कि भारतीय जनता पार्टी सांप्रदायिक उन्माद, दंगा-फसाद और अपराध को प्रश्रय देने वालों का ही समूह है। कानून व्यवस्था की बेहतरी और न्याय की गारंटी को लेकर हमारी पार्टी प्रतिबद्ध है और जनता की उम्मीदों को लगातार मजबूती से उठाती रहेगी।
भाकपा माले ने अपने स्टैंड को सामने रखते हुए सरकार को यह संदेश देने का काम किया है कि सहयोगी दल होने के बावजूद अन्याय की वकालत नहीं की जा सकती। खास बात यह है कि महागठबंधन के तीसरे प्रमुख दल होने के बावजूद भाकपा माले ने मंत्री पद न लेने से इंकार कर दिया था। इसके पीछे यह मंशा साफ नजर आती है कि सरकार में शामिल रहने के बाद भी गलत नीतियों व लोकतंत्र विरोधी कदमों का विरोध जारी रहेगा।
बिहार में नये कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ अपहरण का केस चल रहा है। इस मामले में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। पिछले कई महीनों से न तो बिहार की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया न ही कोर्ट के सामने पेशी करा सकी। यानि वो कानून की नजर फरार अपराधी हैं। कल तक उनको कोर्ट से जमानत नहीं मिली थी। इसके बावजूद उन्हें नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनाया गया है। अधिवक्ता ज्योति शर्मा का कहना है कि कार्तिकेय सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। वो कानून की नजर में फरार अपराधी हैं। 16 जुलाई की डेट तक उन्हें कोर्ट से जमानत नहीं मिली थी। खास बात यह है कि नीतीश कुमार के ताजा कैबिनेट के 33 मंत्री में से 24 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। खुद तेजस्वी यादव के खिलाफ 11 मामले कोर्ट में चल रहे हैं।
नये कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह बाहुबली अनंत सिंह के करीबी हैं और आरजेडी कोटे से एमएलसी भी है। इससे पहले 2005 में जीतन राम मांझी जब मंत्री बने थे तो उन पर घोटाले का आरोप था। उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में केस में फैसला आने के बाद उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया था। इसी तरह 2020 में भी नीतीश के एक मंत्री पर घोटाले का आरोप था और मंत्री बनने के कुछ ही दिनों के अंदर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। फरारी के सवाल पर कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि उनके खिलाफ अपहरण का केस कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन उन्होंने कहा कि केस होना न होना अलग बात है। उसका साबित होना अलग बात है। फिलहाल, ये सब राजनीति है।