40 घंटे की बारिश ने खोल दी नीतीश सरकार की पोल, सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले अस्पताल का हुआ बेहाल

गुरुवार 4 जून की रात से शुक्रवार 5 जून की शाम तक हुई बारिश ने एनएमसीएच की बढ़ाई मुसीबतें, जलजमाव से बढ़ी मुश्किलें....

Update: 2020-06-06 07:51 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। पटना का नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल बिहार का सबसे बड़ा कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल है। बिहार भर के सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों का इसी अस्पताल में इलाज होता है, पर बिहार में लगभग 40 घंटे तक रुक—रुककर हुई बारिश ने इस अस्पताल की परेशानी बढ़ा दी है।

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स्पताल में बारिश और नाले का पानी घुस गया। कोरोना वार्ड में भी जलजमाव हो गया। इसके बाद पटना नगर निगम की ओर से पानी निकालने की कोशिश शुरू कर दी गई है। हालांकि अस्पताल कैंपस और वार्ड में नाले और बारिश का पानी लगने से डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, मरीजों और परिजनों को भारी परेशानी है। अस्पताल में गंदगी फैल गई है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है।

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पिछले वर्ष की बरसात में 4 दिनों तक हुई बारिश के बाद पटना डूब गया था। वीआईपी इलाकों में भी नाव चलने लगे थे। लोग कई दिनों तक घरों में कैद हो गए थे। लोगों के बीच राहत-बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ को उतारना पड़ा था। राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी कई दिनों तक परिवार सहित इस बढ़ में फंसे हुए थे, जिन्हें बाद में एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू किया था। पटना के डूबने के बाद कई जांच कमिटियां बनीं। कई बड़े पदाधिकारी सस्पेंड हुए।कुछ के विरुद्ध जांच अब भी चल रही है।

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स आपदा के बाद भविष्य में पटना को डूबने से बचाने के लिए बडी-बड़ी योजनाएं बनाईं गईं। करोड़ों के बजट बने, पर 40 घंटे के बरसात ने उन योजनाओं की पोल भी खोल दी है। हालांकि इन योजनाओं पर अबतक करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।

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