अब चीनी एप को टक्कर देने सामने आया बिहारी ब्राउजर, आठ लाख से ज्यादा लोग कर चुके हैं डाउनलोड

इस एप एप का ट्रांसलेशन फीचर अब 12 भारतीय भाषाओं के साथ फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और अरबी समेत 29 विदेशी भाषाओं में भी पलभर में अनुवाद कर सकेगा...

Update: 2020-07-02 09:38 GMT

मनोज पाठक

पटना, जनज्वार। बिहार के युवा सिर्फ चीन की सीमाओं पर ही नहीं, तकनीक के मोर्चे पर भी चीन को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। देश में चल रहे चाइनीज एप्स के बहिष्कार के अभियान और केंद्र सरकार द्वारा 59 चायनीज एप्स को बंद किए जाने के बाद मेड इन इंडिया एप की मांग बढ़ी है। इसी क्रम में दो बिहारी युवाओं का बनाया 'मैगटैप' नाम के वेब ब्राउजर गूगल प्ले स्टोर पर खूब डाउनलोड किया जा रहा है।

गूगल प्ले स्टोर पर आने के कुछ महीनों में ही इसे 8 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चूका है और फिलहाल इसकी रेटिंग 4.9 है।

एप से जुड़े सत्यपाल चंद्रा बताते हैं कि मैगटैप पूरी तरह से मेड इन इंडिया है। उन्होंने कहा, मैगटैप एक विजुअल ब्राउजर के साथ-साथ डक्यूमेंट रीडर, ट्रांसलेशन और ई-लरनिंग की सुविधा देने वाला एप है। इस एप को खास तौर पर देश के हिंदी भाषी छात्रों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

उन्होंने दावा करते हए कहा, प्ले स्टोर पर एजुकेशन कैटेगरी में यह एप दुनिया भर में पहले नंबर पर है। हाल ही में इसका वर्जन 2 भी लांच किया गया है। वर्जन 2 के लांच होने और फिर चायनीज ऐप्स पर बैन के बाद मैगटैप को ढाई से तीन लाख के करीब डाउनलोड किया गया है।

वे कहते हैं कि इंटरनेट पर अधिकतर अच्छी जानकारियां अंग्रेजी में हैं, ऐसे में उन्हें पढ़ते वक्त यह एप किसी भी शब्द, वाक्य या पूरे पैराग्राफ को भी हिंदी सहित देश की 12 भाषाओं में अनुवाद कर सकता है। साथ में कोई भी दूसरा एप जैसे. व्हाट्सएप, फेसबुक, मैसेंजर आदि में भी किसी शब्द पर टैप कर उसका अर्थ जाना जा सकता है।

मैगटैप को डेवलप करने वाले रोहन कुमार ने बताया कि उन्होंने अभी ही इसका अपडेटेड वर्जन मैगटैप 2.0 लांच किया है। इस नए अपडेट में कई और सुविधाएं जोड़ी गयी हैं, जिससे यह एप चीन की यूसी ब्राउजर के साथ ही गूगल के क्रोम और ओपेरा ब्राउजर से भी बेहतर साबित होगा।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि एप का ट्रांसलेशन फीचर अब 12 भारतीय भाषाओं के साथ फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और अरबी समेत 29 विदेशी भाषाओं में भी पलभर में अनुवाद कर सकेगा। इससे भारत में हिंदी सहित कोई भी भाषा जानने वाले लोग अपने देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की सभी मुख्य भाषाओं को घर बैठे सीख सकते हैं। इसके अलावा इस नए अपडेट में आवाज से आवाज और चित्र से आवाज में अनुवाद की भी सुविधा दी गई है।

मैगटैप ऐप बनाने वाली कंपनी मैगटैप टेक्नोलॉजी का मुख्यालय मुंबई में है। यह कंपनी भारत सरकार के स्टार्टअप योजना से भी जुड़ी है। कंपनी के दो फाउंडर में एक सत्यपाल चंद्रा जहां गया के रहने वाले हैं वहीं रोहन सिंह समस्तीपुर के हैं। मैगटैप को रोहन ने डिजाईन किया है और इसके तकनीकी पक्षों को संभालने में उनके 18 वर्षीय भाई अभिषेक सिंह मदद करते हैं।

नक्सल प्रभावित गया के इमामगंज प्रखंड के रहने वाले सत्यपाल चंद्रा अभाव और गरीबी के बीच प्रारंभिक पढाई पूरी कर कमाने के इरादे से वे दिल्ली चले गए। सत्यपाल ने करीब छह माह दिनरात मेहनत कर अंग्रेजी बोलना-लिखना सीखा। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई अंग्रेजी उपन्यास लिख डाले। उनकी किताबें द मोस्ट इलिजिबल बैचलर और व्हेन हेवेन्स फॉलडाउन काफी चर्चित रही हैं।

समस्तीपुर के मोहनपुर प्रखंड के निवासी रोहन सिंह ने 19 साल की उम्र में ही वेब डेवलपर के तौर पर काम किया है।

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