नीतीश कुमार के मंत्री का सनसनीखेज दावा, लालू प्रसाद के दो नहीं तीन बेटे
लालू प्रसाद के 73वें जन्मदिन पर बिहार में जदयू और राजद भिड़ गए। बिहार सरकार में मंत्री जदयू के नीरज कुमार ने लालू प्रसाद पर सनसनीखेज आरोप लगाए तो राजद ने इसे घटिया राजनीति बताते हुए पलटवार किया
जनज्वार ब्यूरो, पटना। राजद सुप्रीमो लालू यादव के 73वें जन्मदिन पर एक बार फिर बिहार की राजनीति गरमा गई है। सत्ताधारी जदयू और विपक्षी दल राजद भिड़ गए हैं और पिटारे से आरोप-प्रत्यारोप के नए-नए तीर निकल गए हैं। जदयू ने लालू प्रसाद पर गांव के लोगों और सगे-संबंधियों की जमीन हड़प लेने का आरोप लगाया है तो राजद ने पलटवार करते हुए इसे घटिया राजनीति बताई है।
गुरुवार 11 जून को इसकी शुरुआत बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री जदयू के नीरज कुमार के प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए बयान से हुई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने एक कागज दिखाते हुए लालू प्रसाद पर सनसनीखेज आरोप लगा दिया।
उन्होंने दावा किया कि गोपालगंज के फुलवरिया,जो लालू प्रसाद का गांव है, उस गांव की एक जमीन के दस्तावेज में तरुण यादव का नाम है और उसके पेशर के तौर पर लालू प्रसाद का नाम लिखा हुआ है और पता भी वही है।उस जमीन के कथित दस्तावेज को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि अब ये तरुण यादव कौन हैं? इन्हें कहां छिपा कर रखा गया है, इसका जबाब तो लालू प्रसाद को देना ही होगा, आखिर उसके नाम पर इन्होंने संपत्ति जो ले रखी है।
उन्होंने दावा किया कि यह तो अभी पहली कड़ी है और आगे ऐसे कई खुलासे होंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लालू प्रसाद ने विभिन्न काम कराने के एवज में गांव के लोगों और रिश्तेदारों की जमीन भी लिखवा ली है, किसी को भी बख्शा नहीं है।
उधर इस मामले पर प्रतिक्रिया देने राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्यंजय तिवारी सामने आए। उन्होंने मंत्री नीरज कुमार के बयान को जदयू की घटिया राजनीति बताते हुए कहा कि लालू प्रसाद के एक ट्विट के बाद सत्ताधारी दलों में भूचाल आ गया है और अब वे घटिया आरोप लगाने लगे हैं। उन्होंने कहा कि ये सब पुरानी बातें हैं और लालू यादव और तेजस्वी यादव पर कई तरह के आरोप पूर्व में भी लगाए जाते रहे हैं।
उन्होंने चुनौती दी कि लालू परिवार पर जो आरोप अबतक लगाए गए हैं, अगर वे सही हैं तो सत्ताधारी दल कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य की जनता सत्ताधारी दलों से ऊब चुकी है और इनको हटाने का मन बना चुकी है, इसी की प्रतिक्रिया में ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं।
वैसे बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद और उनके परिवार पर ऐसे आरोप कोई पहली बार नहीं लगे हैं। वर्ष 2015 में जदयू ने जब भाजपा से अलग होकर राजद के साथ महागठबंधन बना कर चुनाव लड़ा था और सरकार बनाई थी तो उस समय मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने लालू प्रसाद पर सैकड़ों करोड़ की बेनामी संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था तथा सीरीज के रूप में प्रतिदिन दस्तावेज जारी किया करते थे।