बिहार: सारण और चंपारण तटबंध टूटे, चार जिलों की 10 लाख की आबादी पर खतरा

सारण तटबंध बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह गोपालगंज, सीवान और छपरा जिला को गंडक की बाढ़ से बचाता है। अब कई जिलों के जलमग्न होने का खतरा मंडरा रहा है।

Update: 2020-07-24 07:17 GMT

गोपालगंज में सुरक्षित स्थानों की ओर जाते लोग

जनज्वार ब्यूरो, पटना। महज दो दिन पहले बिहार के जल संसाधन मंत्री ने दावा किया था कि सभी तटबंधों की मरम्मत कर ली गई है। नई तकनीक का प्रयोग कर तटबंधों को सुरक्षित कर लिया गया है। इधर इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है गोपालगंज और मोतिहारी से, जहां बरौली के देवापुर में सारण मुख्य बांध और मोतिहारी में चंपारण बांध टूट गया है। इसके अलावा मांझागढ़ प्रखंड के पुरैना में भी सारण बांध टूट गया है।

दोनों बांध बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और इनके टूट जाने से कई जिलों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। लगभग 10 लाख की आबादी पर खतरा मंडरा रहा है। गोपालगंज में सारण तटबंध टूटने की वजह से गंडक नदी का तेज बहाव एनएच-28 की तरफ बढ़ रहा है। जिला प्रशासन की ओर से सारण बांध के किनारे बसे गांवों के लोगों को अलर्ट कर दिया गया है।

गोपालगंज में साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी का बहाव था, जिसकी वजह से जिले में तटबंधों पर कई जगह रिसाव हो रहा था। गुरूवार की देर रात सिकटिया में रिसाव हो रहा था। उसके बाद सूचना मिली कि बरौली के देवापुर में रिंगबांध में रिसाव शुरू हो गया। जब तक अधिकारी मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लेते, तब तक देखते ही देखते रिंग बांध ताश के पत्तों की तरह धराशायी हो गया। रिंग बांध टूटने की वजह से गंडक नदी का तेज बहाव बरौली के देवापुर गांव के समीप सारण मुख्यबांध की तरफ बढ़ने लगा और अचानक खबर आई की रात को करीब 1 बजे सारण बांध भी टूट गया।

सारण बांध के टूटने से पानी तेजी से एनएच-28 की ओर बढ़ने लगा है। बांध के टूटने के साथ ही एनएच-28 पर बड़े वाहनों का परिचालन ठप हो गया है। लोग अपने घरों से सामन निकालने के लिए रातभर जागते रहे। इस बांध के टूटने से गोपालगंज का बरौली, मांझागढ़, सिधवलिया और बैकुंठपुर प्रखंड सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है। इन प्रखंडों में बसे करीब 500 से 600 गांव बाढ़ की चपेट में आने लगे हैं।

गोपालगंज के इन चार प्रखंडों के अलावा सिवान और छपरा के इलाकों के भी बाढ़ से प्रभावित होने की आशंका है। गोपालगंज में सारण बांध के दो जगहों पर टूटने के बाद तेजी से पानी मांझागढ़ और बरौली प्रखंड के नए इलाकों में घुस रहा है। यहां गंडक के तेज बहाव की वजह से लगातार पानी एनएच-28 की दूसरी तरफ बह रहा है।

उधर मोतिहारी में गंडक नदी पर बने चंपारण तटबंध के टूट जाने से दर्जनों गांव में पानी घुस गया है। सबसे पहले बांध संग्रामपुर के समीप टुटा। बांध लगभग 10 फीट चौड़ाई में टूटा हुआ है। अब लोग घर छोड़कर ऊंचे स्थान पर पलायन कर रहे हैं। क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। बांध टूटने से एसएच-74 पर भी बाढ़ का पानी चढ़ रहा है। प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

ये बांध संग्रामपुर प्रखंड के दक्षिणी भवानीपुर पंचायत के निहालु टोला में टूटा है। और देखते ही देखते पानी कंट्रोल से बाहर हो गया है।

बांध की मरमत के समय जिला के सभी अधिकारी वहां मुआयना करने गए थे। अब सवाल उठता है कि प्रसासन इस बांध कि कमजोरी को जानने के बाद भी कैसे चुप रहा? हलाकि बांध में अभी कई जगह रिसाव भी हो रहा है।

स्थानीय राजद विधायक डॉ. राजेश कुमार ने सरकार की कर्यशैली पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा 'महज दो माह पहले जिस बांध की मरमत का कार्य किया गया, वह बांध टूट गया। इसमें प्रशासनिक मिलीभगत से लूटखसोट हुआ है। इसीलिए सबने हामी भरी और बांध की कमजोरी पर सबने अपना मुंह बंद कर लिया। अब इसका जबाबदेह कौन होगा।'

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