पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरुद्ध साइकिल चलाकर विधानसभा पहुंचे तेजस्वी, बोले-पूंजीपतियों के लिए बैटिंग कर रही सरकार

तेजस्वी यादव ने कहा कि जिस तरीके से पूरे देश में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे महंगाई बढ़ रही है, जरूरी सामानों की कीमतें भी लगातार बढ़ रही है, जिससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है..

Update: 2021-02-26 06:57 GMT

(Photo:social media)

जनज्वार ब्यूरो/पटना। पेट्रोल-डीजल की बढती कीमतों को लेकर बिहार के नेता प्रतिपक्ष लगातार अपने अंदाज में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ दिन पहले वे ट्रैक्टर चलाकर विधानसभा पहुंचे थे और आज शुक्रवार को वे साइकिल पर सवार होकर विधानसभा पहुंच गए हैं।

सरकार को घेरने के लिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आज पटना स्थित अपने सरकारी आवास से बिहार विधानसभा साइकिल से पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपने आवास से बिहार विधानसभा तक की लगभग सवा किलोमीटर की दूरी साइकिल चलाकर तय की।

इस दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि जिस तरीके से पूरे देश में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे महंगाई काफी बढ़ रही है। जरूरी सामानों की कीमतें भी लगातार बढ़ रही है, जिससे आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि इसके बाद भी राज्य सरकार ने अलग से टैक्स लगा दिया है, जिस कारण अतिरिक्त भार लोगों की जेब पर पड़ रहा है। नतीजतन महंगाई की दोगुनी मार आम लोग झेल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि निर्धनों को चूसने वाली धनवानों की प्रियतम सरकार ने पेट्रोल, डीजल, गैस की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर आम आदमी को मरने पर मजबूर कर दिया है। ड़बल इंजन सरकार गरीबों को लूट खुलकर पूँजीपतियों के लिए बैटिंग कर रही है।

बता दें कि कुछ दिन पहले भी तेजस्वी यादव पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ने के खिलाफ विरोध जताने के लिए ट्रैक्टर चलाकर विधानसभा पहुंच गए थे। हालांकि उस वक्त उन्हें गेट पर ही सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोक दिया गया था।

उस दिन बिहार विधानसभा के मुख्य द्वार पर पदाधिकारियों ने तेजस्वी यादव को ट्रैक्टर लेकर अंदर ले जाने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद ट्रैक्टर को मुख्य द्वार पर छोड़ कर तेजस्वी यादव अपनी गाड़ी से अंदर गए थे।

इससे पहले तेजस्वी यादव ने रोजगार को लेकर सरकार पर निशाना साधा। तेजस्वी ने कहा कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। नौकरी के नाम पर एक काठ की हांडी केंद्र सरकार ने चढ़ाई थी, 2 करोड़ नौकरी प्रति वर्ष वाली, तब से नौकरी के नाम पर वे पकौड़ा तलना ही सुझा पाए। अब दूसरी 20 लाख नौकरी वाली हांडी बिहार सरकार ने चढ़ाई है जिसके बाद से नौकरी शब्द इनके शब्दकोश से गायब है।

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