तेजस्वी की अपील-अंतरात्मा की आवाज सुन विधानसभा अध्यक्ष चुनें विधायक, AIMIM के रुख पर सबकी नजर

तेजस्वी यादव ने सभी दलों के नवनिर्वाचित विधायकों से अंतरात्मा की आवाज सुन विधानसभा अध्यक्ष चुनने की अपील की है, विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में एआईएमआईएम के 5 विधायकों की भूमिका क्या रहती है, यह देखना भी दिलचस्प होगा...

Update: 2020-11-24 15:45 GMT

महागठबंधन के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक को संबोधित करते तेजस्वी यादव

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कल होनेवाले बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले मंगलवार की शाम महागठबंधन के विधायकों की बैठक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर हुई। बैठक में हालांकि सीपीआई माले के विधायक शामिल नहीं हो सके। बताया गया कि माले विधायक दल की बैठक अलग से इसी वक्त पर निर्धारित थी, जिस कारण वे इस बैठक में शामिल नहीं हो सके।

बैठक में तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के विधानसभा अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को जिताने की अपील की। बैठक में विधानसभा सत्र के लिए महागठबंधन की रणनीति भी तय की गई।


तेजस्वी यादव ने सभी दलों के नवनिर्वाचित विधायकों से अंतरात्मा की आवाज सुन विधानसभा अध्यक्ष चुनने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अवध बिहारी चौधरी विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्यों में से एक हैं। 1985 में पहली बार विधायक बने और तब से लेकर अबतक छह बार विधायक रह चुके हैं। बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इस पद के लिए हर तरह से सुयोग्य हैं।

इससे पहले आज दिन में सीपीआई माले के विधायकों ने भी कहा था कि इस बार हर कदम पर नेक टु नेक फाइट है, चूंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों की संख्या में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।

हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में एआईएमआईएम के 5 विधायकों की भूमिका क्या रहती है, यह देखना भी दिलचस्प होगा। क्योंकि इस रुख से एआईएमआईएम का भविष्य में क्या रुख रहनेवाला है, यह भी एक तरह से स्पष्ट हो जाएगा।

एनडीए की ओर से बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं महागठबंधन की ओर से विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्यों में से एक सीवान के विधायक अवध बिहारी चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है।

दोनों ने आज अपना नॉमिनेशन भी कर दिया है। ऐसे में यह तय हो गया है कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए इस बार वोटिंग होगी। अगर ऐसा होता है तो लगभग 5 दशक के बाद बिहार विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग होगी।

इस बार एनडीए को बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से महज 3 सीटें ही ज्यादा, यानि 125 सीटें मिली हैं, वहीं विपक्षी महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। 5 सीटें असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी को, 1 बसपा को, 1 निर्दलीय को और 1 सीट लोजपा को मिली है। लिहाजा आनेवाले 5 वर्षों तक विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहने वाली है।

ऐसे में दोनों गठबन्धनों का जोर इस पद को लेकर है। इससे पहले एनडीए के अंदर भी इस पद को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच जिच की खबरें सामने आई थीं। कहा जा रहा था कि जेडीयू अपनी ओर से विधानसभा अध्यक्ष का प्रत्याशी देना चाह रहा था, जबकि बीजेपी इस बार बड़े भाई की भूमिका निभाने की कोशिश में अपना उम्मीदवार देना चाहती थी।

इससे पहले जेडीयू की ओर से ही अध्यक्ष पद के प्रत्याशी दिए जाते थे और पिछली विधानसभा में विजय कुमार चौधरी अध्यक्ष बनाए गए थे, हालांकि उनका निर्वाचन निर्विरोध हुआ था।

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