कोरोना से हुई जज के पिता की मौत तो डेड बॉडी लेने से किया मना, अंतिम संस्कार के लिए वकील को कर दिया अधिग्रहित

न्यायाधीश महोदय ने पिता के कोरोना संक्रमण से मौत को देखते हुए उनसे दूरी बनाने का फैसला किया। यही नहीं उन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए एक अधिवक्ता को अधिकृत कर लिया। साथी ग्रुप के साथ मिलकर बुजुर्ग को अंतिम विदाई दी गई...

Update: 2021-05-09 12:08 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कोरोना महामारी की आपदा थमने का नाम नहीं ले रही है। वायरस के संक्रमण से लगातार लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना का कहर मानवीय संवेदना के साथ-साथ रिश्तों की भी परीक्षा ले रहा है। लोग अपनों की मौत के बाद उन्हें अंतिम विदाई तक के लिए तैयार नहीं दिख रहे। बिहार के सीवान में ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां एक जज के पिता की कोरोना से मौत हो गई। जज को पता चला तो उन्होंने अपने पिता का शव ही लेने से इनकार कर दिया।

जानकारी के मुताबिक, न्यायाधीश महोदय ने पिता के कोरोना संक्रमण से मौत को देखते हुए उनसे दूरी बनाने का फैसला किया। यही नहीं उन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए एक अधिवक्ता को अधिकृत कर लिया। साथी ग्रुप के साथ मिलकर बुजुर्ग को अंतिम विदाई दी गई। उन्होंने इस संबंध में एक पत्र जारी कर कहा कि हम विवशता के चलते अपने पिता का पार्थिव शरीर अपने यहां नहीं ले जा सकते। उन्होंने जिला प्रशासन से अपने स्तर से दाह संस्कार कराने का निवेदन किया।

 इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि करीब तीन दिन पहले न्यायाधीश ने डायट स्थित डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में अपने बीमार पिता को भर्ती कराया था। जांच के दौरान उनके पिता की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से न्यायाधीश के बुजुर्ग पिता का जरूरी इलाज किया जाने लगा। हालांकि, उनकी तबीयत में ज्यादा सुधार होता नजर नहीं आया। इसी बीच उनकी शुक्रवार 7 मई की रात मौत हो गई।

कोरोना संक्रमण के चलते हुई पिता की मौत के बाद जज साहब ने उनका शव ले जाने से मना कर दिया। उन्होंने एक पत्र जारी किया जिसमें एक अधिवक्ता को उन्होंने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सौंपी, साथ ही जिला प्रशासन से जरूरी व्यवस्था की अपील की। जज के इस पत्र को देख कर हर कोई दंग रह गया। लेकिन मामले कि गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने वकील साहब को शव सौंप दिया।

इसके बाद आपदा साथी ग्रुप के सदस्यों ने शहर के कंधवारा में जज के पिता का अंतिम संस्कार कर दिया। जिसमें ना तो जज खुद शामिल हुए न ही उनके परिवार का कोई सदस्य। सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास यादव ने बताया कि जज साहब मोतिहारी के रहने वाले हैं, वे फिलहाल वहीं हैं। जिसकी वजह से वे शामिल नहीं हो सके।

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