कभी बच्चों को देते थे शिक्षा, अब कर रहे दिहाड़ी मजदूरी
स्कूल बंद होने के कारण छोटे प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक आर्थिक तंगी से परेशान हैं, इस कारण कई प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक अब दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश हो गए हैं...
सारण, जनज्वार। देश में लगे कोरोना लॉकडाउन ने लोगों के जीवन पर काफी गहरा और दूरगामी असर डाला। बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार छिन गए, उद्योग-व्यवसाय बंद हुए। छोटे-छोटे दुकानदारों के व्यवसाय प्रभावित हुए। कई तरह के उद्योग-धंधे धीरे-धीरे शुरू भी हुए, पर पुरानी स्थिति में कबतक लौटेंगे, यह कहना मुश्किल है। हालांकि सरकार द्वारा अब ज्यादातर कार्यों को शुरू करने की इजाजत दे दी गई है, पर स्कूल अभी भी नहीं खोले गए हैं।
स्कूल बंद होने के कारण छोटे प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक आर्थिक तंगी से परेशान हैं। इस कारण कई छोटे प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक अब दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश हो गए हैं। कोरोना लॉकडाउन में और सब कुछ तो खुल गया, पर स्कूल नहीं खुले।
सरकारी स्कूलों के शिक्षक-कर्मियों को तो सरकार तनख्वाह दे देती है, पर निजी स्कूल बंद रहने के कारण उन स्कूलों के संचालकों और शिक्षकों के समक्ष भीषण आर्थिक संकट पैदा हो गया है। खासकर छोटे स्कूलों के संचालकों और शिक्षकों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है। निजी स्कूलों के कई शिक्षक अब दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हो गए हैं।
ज्ञात हो कि देश में मार्च 2020 से ही लॉकडाउन और कोरोना के वजह से सभी प्राइवेट स्कूल बंद हो चुके हैं। जिससे प्राइवेट स्कूल संचालक भी आर्थिक तंगी का शिकार हो चुके हैं और इसके साथ-साथ उनमे डिप्रेशन भी बढ़ रहा है।
कई शिक्षकों को आर्थिक तंगी की वजह से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दैनिक मजदूरी का काम करना पड़ रहा है। कई स्कूलों के संचालक भी अब बकरी पालन, मुर्गी पालन, चाय की दुकान चलाने इत्यादि का काम कर रहे हैं।
कोरोना महामारी में विद्यालय भवन का किराया, विद्युत विपत्र, वाहनों का किस्त देने में छोटे निजी विद्यालयों के संचालक खुद को असमर्थ महसूस कर रहे हैं।
प्रोग्रेसिव प्राइवेट स्कूल ऑर्गेनाइजेशन एंड किड्स वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष सियाराम सिंह ने कहा 'कोरोना वायरस के दौर में सारण के जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया गया कि बिजली बिल, विद्यालय का किराया माफ किया जाय। सरकार से भी अपील है कि जब सबकुछ खुल गया है तो स्कूल खोलने की अनुमति भी दी जाय तथा छोटे निजी स्कूलों के संचालकों एवं शिक्षकों को उचित मुआवजा भी दिया जाय ताकि वे कर्ज के बोझ और आर्थिक तंगी से निजात पा सकें।'
हालांकि इससे इतर बिहार सरकार ने एक तरह से स्पष्ट कर दिया है कि क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक के बाद ही स्कूलों को खोलने पर कोई फैसला लिया जाएगा। क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप राज्य में कोरोना की स्थिति की समीक्षा करने के बाद ही कोई निर्णय लेगी।
प्राइवेट स्कूलों को सहायता देने के मुद्दे पर एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि प्राइवेट स्कूल कोई चैरिटी नहीं चला रहे थे, बल्कि व्यवसाय कर रहे थे और सरकार को वे कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं देते थे कि अब उन्हें मुआवजा दिया जाय।
वैसे हाल में ही बिहार के विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं और उनमें राजनेताओं के चुनाव प्रचार वाली रैलियों में हजारों-लाखों की भीड़ इकट्ठी होती थी। ऐसे में प्राइवेट स्कूल के शिक्षक और संचालक यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि उस वक्त कोरोना नहीं था क्या।