Nagaland Violence: नगालैंड में नहीं वापस होगा AFSPA, सरकार ने घोषित किया अशांत क्षेत्र
Nagaland Violence: नगालैंड (Nagaland) में विवादास्पद कानून Armed Forces (Special Powers) Act (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इस कानून के जरिए सेना को किसी राज्य के अशांत इलाके में कहीं भी स्वतंत्र तरीके से कार्रवाई करने का व्यापक अधिकार मिलता है.
Nagaland Violence: नगालैंड (Nagaland) में विवादास्पद कानून Armed Forces (Special Powers) Act (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इस कानून के जरिए सेना को किसी राज्य के अशांत इलाके में कहीं भी स्वतंत्र तरीके से कार्रवाई करने का व्यापक अधिकार मिलता है. दरअसल जिन इलाकों में AFSPA लागू होता है, वहां कोई भी भारतीय सेना के जवान को केंद्र की मर्जी के बिना परेशान या हटा नहीं सकता है. बता दें कि यह कानून उन क्षेत्रों में लागू होती है जहां पुलिस या अर्द्धसैनिक बल उग्रवाद, आतंकवाद या अन्य किसी बाहरी शक्ति से लड़ने में सेना नाकाम साबित होती है.
अधिसूचना में क्या कहा गया?
गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है, केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है.
6 महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित
अधिसूचना के अनुसार, इसलिए सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (1958 की संख्या 28) की धारा तीन द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 30 दिसंबर, 2021 से छह महीने की अवधि के लिए पूरे नगालैंड राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित करती है.
आपको बता दें कि नगालैंड के अधिकार समूह के अलावा राज्य सरकार ने कई बार AFSPA को वापस लेने की मांग कर चुकी है. नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफिउ रेयो ने 4 दिसंबर को नगालैंड के मौन जिले में हुई घटना के बाद कहा था कि इसमें AFSPA का दुरुपयोग किया गया था जो मानवाधिकारों का हनन है दशकों से नागा लोग इसका विरोध करते आ रहे हैं. वहीं, 20 दिसंबर को नागालैंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से पूर्वोत्तर, विशेष रूप से नगालैंड से AFSPA को रद्द करने की मांग का संकल्प लिया था. इसे लेकर दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री रियो ने बैठक की थी. बैठक के बाद उन्होंने बताया था कि कि विवादास्पद कानून को वापस लेने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.
क्या है AFSPA
AFSPA कानून के जरिए सैनिकों को कई विशेषाधिकार दिए जाते हैं. इसमें किसी को बिना वॉरेंट के गिरफ्तार करना, संदिग्ध के घर में घुसकर जांच करना, पहली चेतावनी के बाद भी अगर संदिग्ध नहीं माने तो उसपर गोली चलाने का भी अधिकार सेना के पास होगा. गोली चलाने के लिए किसी के आदेश का इतंजार नहीं करना होगा. अगर उस गोली से किसी की मौत होती भी है तो भी सेना के जवान पर हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा. अगर राज्य सरकार एफआईआर दर्ज करती है तो कोर्ट में उसकी सुनवाई के लिए केंद्र सरकार की इजाजत लेनी होती है.
किन जगहों पर लागू है AFSPA
AFSPA को पूर्वोत्तर के कई राज्यों समेत पंजाब, चडीगढ़ और जम्मू कश्मीर में लागू किया जा चुका है. पूर्वोत्तर में असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड में इसे लागू किया गया था लेकिन अब कई क्षेत्रों से इसे हटा दिया गया है. फिलहाल ये कानू जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मणिपुर( राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर) असम, और अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में लागू किया गया है.