Chhath Puja 2021 : सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पूजा समाप्त, जानिए व्रती का पांव छूकर लोगों क्या मांगा आशीर्वाद

Chhath Puja 2021 : उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भक्तों ने व्रतियों का पांव छूकर संपूर्ण विश्व के कल्याण व परिवार की सुख, शांति, बेहतर स्वस्थ्य एवं समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।

Update: 2021-11-11 02:45 GMT

सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पूजा समाप्त।

Chhath Puja 2021 : देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ ( Chhath  Mahaparva ) गुरुवार सुबह उदीयमान सूर्य ( Rising Sun ) को अर्घ्य (  Arghya ) देने के साथ संपन्न हो गया। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन व्रती और श्रद्धालु अपने परिजनों के साथ रविवार की सुबह विभिन्न नदी घाटों और तालाबों के किनारे पहुंचे। पटना, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता नोएडा, चंडीगढ़ सहित देशभर में सुबह के अर्घ्य का अद्भूत नजारा देखने को मिला।

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छठ में दिखती है वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा

Chhath Puja 2021 : छठी मैया के भक्तों ने पानी में खड़े होकर उगते सूर्य ( Rising Sun ) को दूसरा अर्घ्य (  Arghya ) दिया। उसके बाद सभी ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद ग्रहण करने से पहले लोगों ने व्रतियों का पांव छूकर संपूर्ण विश्व के कल्याण व परिवार की सुख, शांति, बेहतर स्वस्थ्य एवं समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। लोगों छठी मैया से कहा कि हमसे हुई भूल को स्वीकार अपने बच्चे व संपूर्ण जगत को माफ कर बेहतर कल का मार्ग प्रशस्त करें। साथ ही सभी को सद्बुद्धि दें कि आपसी भाईचारा और शांति के साथ रहें। वहीं व्रतियों ने भक्तों को आशीर्वाद दिया आप सभी की मंगल कामना पूर्ण करें। परंपरा के मुताबिक भक्तगण प्रतियों का पांव छूकर आाशीर्वाद लेते हैं। खासकर सुहागिन महिलाओं में पहले आशीर्वाद लेने का भी क्रेज होता है। खास बात यह है कि छठ महापर्व ( Chhath Mahaparva )  संपूर्ण जगत के कल्याण का पर्व है। इस पर्व के केंद्र में वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय परंपरा होता है।

इससे पहले नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व तीन दिन पहले शुरू हुआ था। लोक आस्था के इस पर्व के दूसरे दिन व्रतियों के सूर्यास्त होने पर खरना के तहत रोटी एवं खीर का भोग लगाये जाने के बाद उनके द्वारा रखा गया 36 घंटे का निर्जला उपवास शनिवार की शाम डूबते हुए सूर्य एवं रविवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण ( भोजन ) के साथ संपन्न हो गया। आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इसी के साथ व्रती घाट पर ही पूजा के बाद प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलते हैं।

बता दें के आठ नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ ये पर्व आज यानि 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हुआ। सुबह घुटने तक पानी में खड़े होकर व्रतधारियों ने सूप, बांस की डलिया में मौसमी फल, केला, अदरख, मूली, गन्ना सहित पूजन सामाग्री औऱ गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और सुख समृद्धि की कामना की।

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