Covid 19 Study: UN स्टडी में सामने आया डराने वाला सच, कोरोना काल में किशोरियों व महिलाओं का दर्दनाक सफर

Covid 19 Study: छोटे से घर में भाई, चाचा और पिता पूरे समय रहने लगे। मैं सेनेटरी नैपकिन कैसे फेंकती। मन में डर भी था कि घर के आसपास यदि किसी को नैपकिन दिख गया तो? इस शर्मिंदगी से चलते मैंने सेनेटरी पैड्स यूज नहीं किया...

Update: 2022-08-02 14:30 GMT

Covid 19 Study: UN स्टडी में सामने आया डराने वाला सच, कोरोना काल में किशोरियों व महिलाओं का दर्दनाक सफर

Covid 19 Study: कोरोना काल में सभी लोगों को काफी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। कोरोना लॉकडाउन सभी के लिए संकट से भरा रहा। लोग घर में कैद रहने की वजह से डिप्रेशन जैसी बिमारियों का शिकार होने लगे। इस काल में ज्यादातर परेशानियों का शिकार महिलाएं और किशोरिया हुई। बातचीत के दौरान एक किशोरी ने बताया कि, मेरे लिए कोरोना लॉकडाउन काफी संकट वाला रहा। छोटे से घर में भाई, चाचा और पिता पूरे समय रहने लगे। मैं सेनेटरी नैपकिन कैसे फेंकती। मन में डर भी था कि घर के आसपास यदि किसी को नैपकिन दिख गया तो? इस शर्मिंदगी से चलते मैंने सेनेटरी पैड्स यूज नहीं किया।

सैकड़ों बेटियां हुई ऐसे हादसों की शिकार

कोरोनाकाल में ज्यादातर किशोरियों ने ऐसी पीड़ा सही। राजस्थान में सैकड़ों बेटियां ऐसे हादसों की शिकार हुई। लड़कियों को अपने पीरियड के दौरान इस बात का भय सताता था की सेनेटरी नैपकिन फेंकते समय कही उन्हें घर का कोई सदस्य देख न ले। अगर ऐसा करते हुए उनके पिता, चाचा, भाई ने देख लिया तो उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा।

डराने और चौका देने वाली सच्चाई

'यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड' (UNFPA) की ओर से राजस्थान में 14 से 19 साल की किशोरियों-युवतियों को लेकर स्टडी की गई। जिसमे डराने और चौका देने वाली सच्चाई सामने आई शादीशुदा युवतियों ने भी अपनी दिक्कतों का खुलासा किया। उन्होंने इस बात को माना की हार्मोनल इम्बैलेंस के चलते उनका सेक्स टाइम घट-बढ़ गया। महिलाओं में हेल्थ संबंधी समस्याएं इतनी बढ़ गईं कि अब उन्हें लंबे समय तक परेशानी भुगतनी पड़ेगी। 'यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड' (UNFPA) ने इस साल फरवरी में सर्वे किया था, जिसकी रिपोर्ट मई में जारी की है। स्टडी के लिए सैंपल साइज में शामिल 349 लड़कियों के अलावा ग्रुप कम्युनिटी डिस्कशन्स और दूसरे मैथड भी यूज किए गए।

फिजिकल हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसी दिक्कतों का सामना

रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के लॉकडाउन में 52 फीसदी लड़कियों के साथ लैंगिक हिंसा जैसी घटनाएं हुई। राजस्थान की आधे से ज्यादा लड़कियों ने इस दौरान घरेलू हिंसा, फिजिकल हिंसा, यौन उत्पीड़न जैसी दिक्कतों को झेला। लॉकडाउन के कारण लड़किया पुलिस तक भी नहीं जा पाई महिलाओं व लड़कियों के साथ हुई हिंसा के मामलों की अधिकतर रिपोट्‌र्स रिकॉर्ड में हैं ही नहीं। बहुत सी महिलाओं की आवाज घर तक ही दबकर रह गई उन्हें न्याय नहीं मिल पाया।

मेंटल हेल्थ पर पड़ा गहरा प्रभाव

कोरोना काल में आधे से ज्यादा लोग डिप्रेशन जैसी बिमारियों के शिकार हुए परन्तु ज्यादातर महिलाएं इसका शिकार हुई। 'यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड' की स्टडी के अनुसार सरकारी टीचर, मेडिकल ऑफिसर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी मेंबर्स और पंचायत राज प्रतिनिधियों से हुई बातचीत में सामने आया कि कोरोना के चलते राजस्थान की युवतियों-महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

Tags:    

Similar News