कोरोना: उत्तराखंड में कावंड़ यात्रा पर पाबंदी लेकिन यूपी सरकार ने दी मंजूरी, SC ने कहा राज्य सरकारों का भ्रमित करने वाला रवैया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तराखंड ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए यात्रा रद्द कर दी है लेकिन यूपी ने ऐसा नहीं किया है। राज्य सरकारों का यह रवैया लोगों को भ्रमित करने वाला है...

Update: 2021-07-16 06:17 GMT

(उत्तराखंड सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है।)

जनज्वार। कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप झेल चुके और इसकी तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) को अनुमति दिए जाने और नहीं दिए जाने को लेकर बहस का एक दौर चल रहा है। श्रावण माह में देश के कई राज्यों में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार (Haridwar) की कांवड़ यात्रा में पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों के लाखों लोग शामिल होते हैं, हालांकि उत्तराखंड सरकार कांवड़ यात्रा पर इस साल रोक लगा चुकी है।

बिहार के सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर के लिए भी श्रावण माह में महीने भर चलने वाली कांवड़ यात्रा निकाली जाती है पर कोरोना के कारण बिहार में सार्वजनिक समारोहों और धार्मिक आयोजनों पर पहले से ही पाबंदी लगी है। उधर कांवड़ यात्रा को मंजूरी देने के यूपी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करने वाला है। कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है।

कोर्ट ने कहा है कि उत्तराखंड ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए यात्रा रद्द कर दी है लेकिन यूपी ने ऐसा नहीं किया है। राज्य सरकारों का यह रवैया लोगों को भ्रमित करने वाला है। इस मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड को रोकने के प्रयासों में कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि 25 जुलाई से धार्मिक यात्रा शुरू करने की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के बाद लोग हैरान हैं।

यूपी में क्या है हाल

उधर यूपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप ने कहा कि आगामी 25 जुलाई को राज्य में शुरू हो रही कांवड़ यात्रा में कोविड प्रोटोकॉल के साथ-साथ इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए जाने वाले दिशानिर्देशों का भी सख्ती से पालन किया जाएगा। हर साल निकाली जाने वाली कावड़ यात्रा के लिए इस वक्त जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करके तैयारियां की जा रही हैं।

कावड़ यात्रा निकालने के सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "सुनवाई के दौरान जो भी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे उन पर हम विचार करेंगे।"

बता दें कि कांवड़ यात्रा हर साल श्रावण माह में शुरू होकर अगस्त तक चलती है। यूपी, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में शिवभक्त गंगा जल लेने उत्तराखंड स्थित हरिद्वार आते हैं। एक बड़ी कांवड़ यात्रा झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए भी होती है जो पूरे सावन महीने चलती है। देशभर के लाखों लोग बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल लेकर लगभग 105 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। हालांकि इस बार लगातार दूसरे साल यह कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई है।

उत्तराखंड ने रद्द की है कांवड़ यात्रा

कोरोना संक्रमण को देखते हुए रद्द की गई कांवड़ यात्रा में कांविड़यों को हरिद्वार आने से रोकने के लिए प्रशासन ने कड़ी चेतावनी जारी की है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद भी अगर कोई कांवड़ लेने आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है। कोरोना संक्रमण के कारण कांवड़ यात्रा पर लगातार दूसरे साल रोक लगाई गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा के संबंध में सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में कोविड के डेल्टा प्लस वैरियेंट पाए जाने और कोविड की तीसरी लहर की आशंका व देश-विदेश में इसके दुष्प्रभावों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इस संबंध में विशेषज्ञों की राय पर भी विचार किया गया। सीएम ने कहा कि मनुष्य के जीवन की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आगामी कांवड़ यात्रा  को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया। 

मुख्यमंत्री ने सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक को यथोचित कार्यवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने ये भी निर्देश दिए कि पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए प्रभावी कार्यवाई के लिए अनुरोध किया जाए। जिससे वैश्विक माहमारी को रोकने में सफलता मिल सके। 

कांवड़ यात्रा पर पहले ही लगा है प्रतिबंध

प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के संचालन पर पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है। सचिव शहरी विकास शैलेश बगौली की ओर से बाकायदा इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। बता दें कि कोरोना के प्रकोप के कारण लगातार दूसरे साल कांवड़ यात्रा को स्थगित किया गया है।

कांवड़ मेला प्रतिबंध को लेकर पुलिस ने एक बार फिर कमर कस ली है। आगामी 24 जुलाई से हरिद्वार के बॉर्डर कांवड़ियों के लिए सील कर दिए जाएंगे। बृहस्पतिवार को डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जरूरी दिशा-निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित अवधि में यदि कोई कांवड़िया सड़क पर दिखाई देता है तो उसे विनम्रता से वापस जाने के लिए कहा जाए। बावजूद इसके न माने तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। 

डीजीपी ने देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और पौड़ी गढ़वाल जिलों में इंफोर्समेंट टीमों का गठन करने के निर्देश दिए। ट्रेनों से आने वाले कांवड़ियों को रोकने के लिए ट्रेनों को हरिद्वार से पहले पड़ने वाले स्टेशनों पर रोका जाएगा। यदि वहां कोई दिखाई देता है तो उन्हें शटल ट्रेनों से वापस भेजा जाएगा। इस मामले में लगातार कांवड़ संघ व समितियों के साथ चर्चा की जाए। 

कोरोना के कारण बिहार-झारखंड में पहले से पाबंदी

झारखंड में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले पर लगातार दूसरे साल भी ग्रहण लगना तय माना जा रहा है। इस बार भी बाबा वैद्यनाथ व भगवान बासुकीनाथ के दर्शन ऑनलाइन ही होंगे। कोरोना वारयस की दूसरी लहर का रौद्र रूप देख चुके विभागीय अधिकारी नहीं चाहते हैं कि श्रावणी मेले के माध्यम से कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़े। बहुत मुश्किल से राज्य में वायरस का कहर थमा है।

राज्य सरकार के गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन प्रभाग में श्रावणी मेले के दो महीने पूर्व से ही विधि-व्यवस्था को लेकर बैठकें होती हैं और विशेष योजना बनाई जाती है। श्रावण मास आरंभ होने वाला है लेकिन विधि-व्यवस्था को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं है। सभी यह तय कर चुके हैं कि इस बार भी किसी भी कीमत पर श्रावणी मेला नहीं होगा। राज्य सरकार की भी लगभग मौखिक सहमति मिल चुकी है। बाबा वैद्यनाथ के दर्शन को लेकर गत वर्ष हाई कोर्ट के दिशा-निर्देश पर जारी व्यवस्था को लागू करने को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है।

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